Nojoto: Largest Storytelling Platform

New चारी Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about चारी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, चारी.

Related Stories

    PopularLatestVideo

Ashi Singh

धीरज धर्म मित्र और नारी आपदा काल परखिये चारी... एक सकारात्मक बदलाव की ओर... #FortunateStories

read more
mute video

ramakant kshirsagar

ये रेल कर्म चारी अपना फर्ज निभाने मे कोई कम नही होते है . अपना कर्तव्य निभाते रहते है #विचार

read more
 ये रेल कर्म चारी अपना फर्ज निभाने मे कोई
कम नही होते है . अपना कर्तव्य निभाते रहते है

Hariom Pratap Singh

लोग बीमारी से नहीं यहां लाचारी से मर रहे हैं बेबसी और अन्याय चारी से मर रहे हैं हुक्मरान मस्त अपनी दुकान चलाते हैं लोग इस दुकानदारी से मर #JagjitSingh

read more
mute video

Lalit Machhi

*दर्द को अपने मूल उद्गम तक पहुंचने की प्रबल इच्छा के रूप में स्वीकार करें। -चारी जी महाराज "वास्तव में दर्द हमारे असली मकान की खिड़की पर रखे #विचार

read more
Woh kya baat thi ..? *दर्द को अपने मूल उद्गम तक पहुंचने की प्रबल इच्छा के रूप में स्वीकार करें।
-चारी जी महाराज

"वास्तव में दर्द हमारे असली मकान की खिड़की पर रखे

yogesh atmaram ambawale

सुप्रभात सुप्रभात माझ्या लेखक मित्र आणि मैत्रिणीनों आजचा विषय आहे प्रिय माझे गाव... #प्रियमाझेगाव चला तर मग आज यावर लिहुया. #Collab #yqtaai #letters #YourQuoteAndMine

read more
तसे पाहता मला कुठले गाव नाही.
पण मी ज्या शहरात राहतो ते ही पूर्वी कधी गावच होते हे ही लक्षात राहते.
गावाकडची मजा अनुभवायला मी नेहमीच मित्रांच्या गावी गेलो आणि माझे प्रिय गाव म्हणून त्यांनाच पसंद करू लागलो.
गावाची नावे घेता तुम्ही समजू शकता ह्या गावात तुम्ही किती मजा करू शकता.
नाशिक गेलो,धुळे गेलो,रत्नागिरी ही फिरलो,लांजा ला राहिलो सिंधुदुर्ग पाहिला कुडाळ मध्ये 10 दिवस मुक्काम ही केला.
तरीही सर्वात जास्त माळशेज आवडला,
त्याच्या पायथ्याशी मोरोशी गावाजवळून दोन किलोमीटर खाली न्याहाडी गाव जास्त भावला.
भावासमान मित्र तिथे लाडके आई बाबा ही तिथेच चारी बाजूनी डोंगर घरामागे वाहणारी नदी नि सर्वत्र पसरलेली हिरवीगार शेती ही तिथेच.
10/12 घरांनी मिळून बनलेलं हे गाव मनाला खूप भावते जाता कधी तिकडे घरी येण्यास मन न मानते. सुप्रभात सुप्रभात माझ्या लेखक मित्र आणि मैत्रिणीनों
आजचा विषय आहे
प्रिय माझे गाव...
#प्रियमाझेगाव
चला तर मग आज यावर लिहुया.
#collab #yqtaai

yogesh atmaram ambawale

शुभ संध्या मित्रहो आताचा विषय आहे जालियनवाला बाग.. #जालियनवालाबाग एप्रिल १३, इ.स. १९१९ या दिवशी इंग्रजांच्या भारतावरील राजवटीत ब्रिगेडियर-जन #Collab #YourQuoteAndMine #yqtaai

read more
जालियनवाला बाग हत्याकांड,
नाव जरी ऐकले तरी अंगावर काटा येतो,
काय नि कसे घडले असेल तेव्हा,
तिथे फिरताना मी अनुभव घेत होतो,
चारी बाजूनी भिंत,आत जायला एकच छोटा मार्ग,
भीषण  ह्या हत्याकांडात बाहेर पडायला ही नव्हता मार्ग.
जिवाच्या आकांताने जो तो पळत होता,
वाचवा जीव म्हणून विहिरीत उड्या मारत होता.
जनरल डायर ला काहीच फरक नव्हता
स्त्रिया मुलं बाळ न बघता तो फक्त गोळीबार करवत होता.
आठवता ते हत्याकांड जीव नुसताच धडधडत होता,
अमर ज्योत ला नमस्कार करून परतताना वंदे मातरम नारा गुंजत होता. शुभ संध्या मित्रहो
आताचा विषय आहे
जालियनवाला बाग..
#जालियनवालाबाग
एप्रिल १३, इ.स. १९१९ या दिवशी इंग्रजांच्या भारतावरील राजवटीत ब्रिगेडियर-जन

Amar Anand

#हैप्पीरक्षाबंधन बहना हमारी सबसे प्यारी नटखट खूब दुलारा चारी भैया आशुतोष की इकलौती बहना पापा मम्मी के जैसे हों राजकुमारी भैया आशीष बड़े सया

read more

रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं
प्यारी सी कविता नीचे कैप्शन में...

-Amar Bairagi


 #हैप्पीरक्षाबंधन 
बहना हमारी सबसे प्यारी
नटखट खूब दुलारा चारी
भैया आशुतोष की इकलौती बहना
पापा मम्मी के जैसे हों राजकुमारी

भैया आशीष बड़े सया

sandy

सणाचा आनंद वाढवणारी तयारी दिवाळी जवळ येत होती, तशी रमाची कामाची गडबड चालू झाली.स्वतःच्या घरामधली साफसफाई आणि जिथे जिथे कामाला जाते ,धुणं भ #story #nojotophoto

read more
 सणाचा आनंद वाढवणारी तयारी


दिवाळी जवळ येत होती, तशी रमाची कामाची गडबड चालू झाली.स्वतःच्या घरामधली साफसफाई आणि जिथे जिथे कामाला जाते ,धुणं भ

Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुन्दरकांड🙏 दोहा – 10 राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद। सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥ उधर #समाज

read more
🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 10
राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है
भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥
उधर तो रावण अपने भवन के भीतर गया-इधर वे नीच राक्षसियों के झुंड के झुंड अनेक प्रकार के रूप धारण कर के सीताजी को भय दिखाने लगे॥
श्री राम, जय राम, जय जय राम

त्रिजटा का स्वप्न
रामचन्द्रजी के चरनों की भक्त, निपुण और विवेकवती त्रिजटा

त्रिजटा नाम राच्छसी एका।
राम चरन रति निपुन बिबेका॥
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना।
सीतहि सेइ करहु हित अपना॥
उनमें एक त्रिजटा नाम की राक्षसी थी।
वह रामचन्द्रजी के चरनों की परम भक्त और बड़ी निपुण और विवेकवती थी- उसने सब राक्षसियों को अपने पास बुलाकर,जो उसको सपना आया था, वह सबको सुनायाऔर उनसे कहा की –हम सबको सीताजी की सेवा करके
अपना हित कर लेना चाहिए(सीताजी की सेवा करके अपना कल्याण कर लो)॥

त्रिजटा अन्य राक्षसियों को स्वप्न के बारे में बताती है
सपनें बानर लंका जारी।
जातुधान सेना सब मारी॥
खर आरूढ़ नगन दससीसा।
मुंडित सिर खंडित भुज बीसा॥

क्योकि मैंने सपने में ऐसा देखा है कि एक वानर ने लंकापुरी को जला कर
राक्षसों की सारी सेना को मार डाला और रावण गधे पर सवार है,वह भी कैसा की नग्न शरीर,सिर मुंडा हुआ और बीस भुजायें टूटी हुई॥

स्वप्न में रामचन्द्रजी की लंका पर विजय
एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई।
लंका मनहुँ बिभीषन पाई॥
नगर फिरी रघुबीर दोहाई।
तब प्रभु सीता बोलि पठाई॥
इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मैंने सपने में यह भी देखा है कि मानो लंका का राज विभिषण को मिल गया है और नगर मे रामचन्द्रजी की दुहाई फिर गयी है-तब रामचन्द्रजी ने सीता को बुलाने के लिए बुलावा भेजा है॥

स्वप्न सुनकर राक्षसियाँ डर जाती है
यह सपना मैं कहउँ पुकारी।
होइहि सत्य गएँ दिन चारी॥
तासु बचन सुनि ते सब डरीं।
जनकसुता के चरनन्हि परीं॥
त्रिजटा कहती है की मै आपसे यह बात खूब सोच कर कहती हूँ की यह स्वप्न चार दिन बितने के बाद (कुछ ही दिनों बाद) सत्य हो जाएगा॥त्रिजटा के ये वचन सुनकर सब राक्षसियाँ डर गई।
और डर के मारे सब सीताजीके चरणों में गिर पड़ी॥

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम)आज 419  से 430 नाम
419 परमेष्ठी हृदयाकाश के भीतर परम महिमा में स्थित रहने के स्वभाव वाले
420 परिग्रहः भक्तों के अर्पण किये जाने वाले पुष्पादि को ग्रहण करने वाले
421 उग्रः जिनके भय से सूर्य भी निकलता है
422 संवत्सरः जिनमे सब भूत बसते हैं
423 दक्षः जो सब कार्य बड़ी शीघ्रता से करते हैं
424 विश्रामः मोक्ष देने वाले हैं
425 विश्वदक्षिणः जो समस्त कार्यों में कुशल हैं
426 विस्तारः जिनमे समस्त लोक विस्तार पाते हैं
427 स्थावरस्स्थाणुः स्थावर और स्थाणु हैं
428 प्रमाणम् संवितस्वरूप
429 बीजमव्ययम् बिना अन्यथाभाव के ही संसार के कारण हैं
430 अर्थः सबसे प्रार्थना किये जाने वाले हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड🙏
दोहा – 10
राक्षसियाँ सीताजी को डराने लगती है
भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रूप बहु मंद ॥10॥
उधर

sandy

📝✍️📚... एक पत्र तुझ्यासाठी प्रिय असावरी. एक मी आणि एक तू. झाल. संपल इथच आपल जग. कशाला कोण हव आपल्याला इथ ? या जगात लोक आली कि त्यांचा त्रा #story #nojotophoto

read more
 📝✍️📚...
एक पत्र तुझ्यासाठी


प्रिय
असावरी.
एक मी आणि एक तू. झाल. संपल इथच आपल जग. कशाला कोण हव आपल्याला इथ ? या जगात लोक आली कि त्यांचा त्रा
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile