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Stories related to खुली अर्थव्यवस्था समष्टि अर्थशास्त्र

Yashpal Sharma&J.K

#snow हिम क्रिस्टलीय जलीय बर्फ के रूप में हुआ एक प्रकार का वर्षण है, जिसमे एक बड़ी मात्रा में हिमकण शामिल होते है जो बादलों से गिरते हैं। चू

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Unsplash हिम क्रिस्टलीय जलीय बर्फ के रूप में हुआ एक प्रकार का वर्षण है, जिसमे एक बड़ी मात्रा में हिमकण शामिल होते है जो बादलों से गिरते हैं। चूंकि हिम बर्फ के महीन कणों से बनी होती है, इसलिए यह एक दानेदार पदार्थ है। इसकी संरचना खुली और इसलिए नरम होती है, जब तक कि कोई बाहरी दाब डाल कर इसे दबाया ना जाए।

©Yashpal Sharma&J.K #snow हिम क्रिस्टलीय जलीय बर्फ के रूप में हुआ एक प्रकार का वर्षण है, जिसमे एक बड़ी मात्रा में हिमकण शामिल होते है जो बादलों से गिरते हैं। चू

TARUN KUMAR VIMAL

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ग़रीबी से अमीरी की तरफ भारत की 
अर्थव्यवस्था को ले जाने वाले प्रधानमंत्री का निधन.

©TARUN KUMAR VIMAL #Manmohan_Singh_Dies

#ग़रीबी से #अमीरी की तरफ #भारत की #अर्थव्यवस्था को ले जाने वाले #प्रधानमंत्री का #निधन.

#Rip
#tarun_kumar_vimal  #tar

Praveen Jain "पल्लव"

#Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है

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पल्लव की डायरी
वातावरण दूषित,
व्यबस्था मन को कसौटती है
आपाधापी मची है जीवन मे
खुराक मिलावटी और जहरीली मिलती है
खिले है व्यसन के द्वार
इनकी लतो से जीडीपी सरकारों की बढ़ती है
डिप्रेशन और निराशा के अधीन जीवन
जो रोगो को आमंत्रण देती है
स्वस्थ रहना अब दूर की कौड़ी हो गया
बीमारियों से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Health बीमारियो से कई देशों की अर्थव्यवस्था चलती है

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें, सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें। बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो, झुके भी तो खु

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पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें,
सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें।

बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो,
झुके भी तो खुद्दारी के संग चलता हो।

तूफ़ानों से लड़ने का मिज़ाज रखो,
खुद को गिरने से बचाने का रिवाज़ रखो।

दुनिया का बोझ जितना संभालोगे,
खुद से उतना ही दूर निकल जाओगे।

जो गहराई समझे, वही ऊपर उठेगा,
जो दूसरों से डरेगा, वहीं खुद सिमटेगा।

अपने अंदर समंदर सा सुकून रख,
ऊपर से शांत, अंदर जुनून रख।

जो भीड़ के साथ चला, खो गया,
जो अलग रहा, खुदा जैसा हो गया।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
पलकों पर ख्वाब हों, मगर आँखें खुली रहें,
सफ़र चाहे लंबा हो, हिम्मत सजी रहें।

बड़ा वही जो झुकने का हुनर जानता हो,
झुके भी तो खु

Palak Parmar

अगर मैं लिखूं किताब तो तुझे अपना लिखूंगा , खुली आंखों से देखा हुआ सपना लिखूंगा, लिख कर सारे दुख अपने हिस्से तेरे हिस्से बस हंसना लिखूंगा

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White अगर मैं लिखूं किताब तो तुझे अपना लिखूंगा , 
खुली आंखों से देखा हुआ सपना लिखूंगा, लिख कर सारे दुख अपने हिस्से 
तेरे हिस्से बस हंसना लिखूंगा

©Palak Parmar अगर मैं लिखूं किताब तो तुझे अपना लिखूंगा , 
खुली आंखों से देखा हुआ सपना लिखूंगा, लिख कर सारे दुख अपने हिस्से 
तेरे हिस्से बस हंसना लिखूंगा
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