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Er. Nishant Saxena "Aahaan"

अलिफ लैला की कहानियां पूरी कहानी सुनने के लिए लिंक पर क्लिक करें https://open.spotify.com/show/3my9tNCa9xs4JRiQurzQ0m #लव

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#NITKavi जो है,खिंचाव ,गुलशन में*गुल का खुशबू के साथ,है यही लगाव,मुस्लमा का, यहा हिंदू के साथ//१*पुष्प गवाह है,निस्बते हमारी,सरजमीने हिंद स #Trending #nojotohindi #nojotoapp #nojototeam #Following #EXPLORE #shamawritesBebaak #Bhaicharazindabad💪

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Er. Nishant Saxena "Aahaan"

Budhe Aur Uski Hirni Ka Kissa l बूढ़े और उसकी हिरनी की कहानी l Alif Laila l अलिफ लैला #लव

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Er. Nishant Saxena "Aahaan"

Gadhe, Bail Aur Unke Maalik Ka Kissa ।गधे, बैल और उनके मालिक का किस्सा l Alif Laila l अलिफ लैला #लव

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Er. Nishant Saxena "Aahaan"

Kissa Wyapaari Aur Daitya Ka ( Part 1) l किस्सा व्यापारी और दैत्य ( भाग १) l Alif Laila l अलिफ लैला #लव

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Er. Nishant Saxena "Aahaan"

Kissa Wypaari Aur Daitya Ka ( Part 2) l किस्सा व्यापारी और दैत्य का ( भाग २) l Alif Laila l अलिफ लैला #लव

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Aditya Thakur

याद आते है वो दिन। याद आते है वो दिन। कैसे रूहअफजा की मिठास और इमली के चटकारे लगाते थे। जब 1 रुपये के 4 गोलगप्पे आते थे।। याद आते है वो द #NojotoGurgaon

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याद आते है वो दिन।
याद आते है वो दिन। 
कैसे रूहअफजा की मिठास और इमली के चटकारे लगाते थे। 
जब 1 रुपये के 4 गोलगप्पे आते थे।।

याद आते है वो द

Vandana

कभी लौट आना तुम उस गली में पलके बिछाए बैठे हैं,,, दरिया में कमल के खिले दल महक रहे सब मिलकर तुम्हारी बाट जुटाए बैठे,,,, तुम आना संग कश्ती #YourQuoteAndMine #yqkanmani

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वो नाव की पतवार संभाले
वो जीवन की बागडोर संभाले
वो नटखटपन लड़कपन
वो शौक आजमाइश
वह दौर था ना समझी का
ये दौर है समझदारी का कभी लौट आना तुम उस गली में 
पलके बिछाए बैठे हैं,,,

दरिया में कमल के खिले दल
महक रहे सब मिलकर
तुम्हारी बाट जुटाए बैठे,,,,

तुम आना संग कश्ती

JALAJ KUMAR RATHOUR

आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, ‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली

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आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, 
‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली ऐसे जाया करती थी जैसे आज कल  जिंदगी से लड़की, तो मै शक्तिमान के पिछ्ले एपीसोड के बारे में अपने दोस्तो को बता रहा था कि हमने कल टैक्टर से टीवी चलायी थी तो उसमें शक्तिमान ने गीता को बचाने के लिए कैसे बिल्डिंग से घूम कर उसको बचाया और मैं भी गोल गोल घूमने लगा अचानक मैं किसी से टकरा कर गिर पड़ा मेरे दोस्त हँसने लगे मै  उठा तो मैंने देखा मुझसे एक लड़की टकराई है जो मेरे पास ही गिर पडी थी उसके हल्की चोट लग गयी थी और इस वजह से वो गुस्से में थी शायद उसका नाम. बाती ठाकुर हाँ वो  ही थी क्लास की टॉपर  और मेरे पूरे क्लास की पसंद, उस वक्त तो मैंने उससे कुछ नही कहा मेरे सभी दोस्त भाग निकले थे मै  भी भाग आया । प्रार्थना के बाद मैं डर रहा था कहीं वो मैडम से मेरी शिकायत ना कर दे और साथ मे मेरे दोस्त भी मेरे मजे ले रहे थे पर ये क्या उसने लंच तक किसी भी टीचर से मेरी शिकायत नही की लंच की बेल बजी सभी लोग बाहर लंच करने गए थे मेरे दोस्तों ने कहा पर मैं नही गया था मैंने देखा वो खामोश सी बैठी है मैंने बहुत हिम्मत जुटाई और उसके पास जाकर सोरी बोला वो बोली कोई नही गलती मेरी भी थी मुझे भी देखकर चलना चाहिए था, फिर मैने उससे बोला "हाय मैं दीपक प्रताप " और मैंने अपना टिफिन उसकी और बढ़ाया , इलायची वाली टॉफी और गजर का हलवा हाँ यही तो था उस दिन हमारे बीच जिसने हमारे बीच दोस्ती करवाई, उस दिन मैंने उससे कहा मुझे गणित के स्थानीय मान और अंग्रेजी को पढने मे दिक्कत होती है तो उसने मुझे कहा तुम मेरे साथ बैठा करो मैं तुम्हे सब सिखा दूँगी, फिर क्या था अगली सुबह मैं जो कभी सबसे पीछे से एक सीट पहली की शान हुआ करता था अब आँगे बैठता था, एक दिन वो मुझे हिंदी की क्लास में गणित का होमवर्क करवा रही थी तभी मैम ने हमे देखा और एक दूसरे के कान पकड़वा कर क्लास के बाहर खड़ा कर दिया शायद वो पहला दिन था जब मैंने उसको करीब से देखा था  मुझे नही पता था तब ,प्यार क्या होता है पर हाँ था कुछ जो मुझे उसकी याद दिलाता था, मैं उसे रोज बताता था की आज, अलिफ लैला में क्या हुआ, सोंन परी ने अल्तु को कैसे बचाया, शा का ला क बुम बूम  में क्या हुआ, वो मुझे गौर से सुनती थी और हंसती थी, उस ये सब देखना अच्छा नही लगता था पर मुझे सुनती जरूर थी, उसने आगे सीट पर बैठने का मेरा खौफ निकाल दिया था , वो मुझे बहुत चीजे सिखाती थी इंग्लिश मे अपना नाम  कैसे बोलते है और भी बहुत ,वो वक्त पता नही चला कैसे बीता , हमारे चौथी क्लास के पेपर आ गए थे मैं रोज पेपर से पहले उसे मिलता था और उस इलायची वाली टोफी देकर जो उसने मुझे सिखाया था बेस्ट ऑफ लक बोल देता था। मुझे  नही पता क्या था पर हाँ अच्छा लगता था उससे बात करना । जब हमारे क्लास चार के पेपर खत्म हुए तो हम सबकी छुटियाँ हो गयी थी मैं अपने मामा के घर छुटियाँ बिताने गया था मैंने मामा के यहाँ मेले से उसके नाम के पहले अक्षर की ब्रेसलेट ली थी जब मै घर लौटकर आया  तो बहुत खुश था क्युकी कल से स्कूल जाना था और उससे मिलने वाला था आज जब शक्तिमान को टीवी पर फिर से आते देखा तो जहन में बचपन कीकुछ पुरानी यादें ताजा हो गयी, 
‌शायद उस वक्त मैं चौथी क्लास में था उस वक्त बिजली
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