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Sarfaraj idrishi
ये चिराग़ ख़ुद जलाते नहीं सलीक़े से, मगर सभी को शिकायत हवा से होती है ©Sarfaraj idrishi #Diwali कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से, मगर सभी को शिकायत हवा से होती हैPraveen Storyteller M@nsi Bisht Ankita Tantuway Dhanya blackrocks Is
꧁ARSHU꧂ارشد
अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते .. ©꧁ARSHU꧂ارشد अधूरा महसूस करते हैं ख़ुद को आज कल , जैसे छोड़ गया हो कोई तामीर करते करते ... Manisha Keshav Ritu Tyagi Bandita Ishika NIKHAT (अलफ़ाज़ मेरे अप
Royal Jaat
पास नहीं हो फिर भी तुम्हें प्यार करते हैं देखकर तस्वीर तुम्हारी तुम्हें याद करते हैं दिल में इतनी तडप है कि हर वक्त तेरे मिलने की फरियाद करते हैं ©Royal Jaat क्या लिखूं कोई लब्ज़ नही है
Rajkumar Kewat
K R SHAYER
White जो कभी मिटे ही नहीं, एसी लकीर होता! जहा हर तरफ खुशियां हो, वो में तकदीर होता! कह देता इश्क है सनम तुमसे, मुझे,,, काश जो में गरीब नहीं, तेरी तरह अमीर होता॥ ©K R SHAYER #mountain कह देता इश्क है तुमसे,जो में कोई रईस होता love shayeri Nîkîtã Guptā muskan Kumari sana naaz indu singh MM Mumtaz
Sk
White किसी को सुनने से ज्यादा उसे समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना वह महसूस करता है ©Sk किसी को सुनने से ज्यादा उसे समझने की कोशिश कीजिये क्योंकि हर कोई उतना कह नहीं पाता जितना वह महसूस करता है
Himanshu Prajapati
White समझ ना आये तो रुकों, समझों फिर से करो हो जाएगा, ये जिन्दगी है जनाब इसको कोई नहीं जानता कब कौन मर जाएंगा, कब कौन किधर जाएगा..! ©Himanshu Prajapati #Dosti समझ ना आये तो रुकों, समझों फिर से करो हो जाएगा, ये जिन्दगी है जनाब इसको कोई नहीं जानता कब कौन मर जाएंगा, कब कौन किधर जाएगा..!
Rishu singh
White कोई किसी के लिए फ्री में कुछ नही करता जिसका जितना स्वार्थ उसकी उतनी जी हुजूरी फर्क सिर्फ इतना है कि हम स्वार्थ को प्रेम का नाम दे देते हैं ©Rishu singh #Dosti कोई किसी के लिए फ्री में कुछ नही करता जिसका जितना स्वार्थ उसकी उतनी जी हुजूरी फर्क सिर्फ इतना है कि हम स्वार्थ को प्रेम का नाम दे देत
Rabindra Kumar Ram
यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रमाओ . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram यूं हासिल होने को हम भी हो जाये , हमें मुहब्बत से भी चाहे कभी कोई . " ये इल्म तेरा यकीनन इल्म तेरा ही हो , तुम हमारे ख़सारे पे ग़ैर तो फ़रम
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच