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Satendra Sharma
************************************* (1) अपनापन संसार में, है सबसे अनमोल। मिले मधुर व्यवहार से, वाणी में रस घोल।। (2) संकट का है यह समय, सभी रखो अपनत्व। अपनों की पीड़ा हरो, यह है पावन सत्व।। ************************************* सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' देहरादून (उत्तराखण्ड) ************************************* ©Satendra Sharma #Tarang
Satendra Sharma
🌹🌸🌼🌺🌷🎆🍫🎊🎉🍰🎂🎁 ❤️प्यारी बेटी शालू (शालिनी शर्मा)❤️ के जन्मदिन के शुभ अवसर पर मम्मी-पापा के स्नेहयुक्त शुभाशीष एवं भाई-बहन के अनुराग के संग.... निम्न पंक्तियों के माध्यम से शुभाशीर्वाद एवं अशेष शुभकामनाएं💝💝 एक नन्ही परी बनकर आज के दिन तुम घर में आई थी, मुस्कराते हुए अपनी किलकारी तुमने हमको सुनाई थी। 'शालिनी' नाम तुम्हे दिया हमने दुनिया में आने से पहले, शालीनता अपने स्वरूप में तुमने जन्म से ही पाई थी।। वर्षों पूर्व बसन्त अपने साथ प्यार तुम्हारा लाया था, उपवन में हमारे तेजस्वी कली को खिलाया था। वो कली आज पुष्प बनकर बगिया में महक रही है, तुमने हमें धरा पर स्वर्ग का अहसास कराया था।। कामना है उत्सव हो सारे बसन्त तुम्हारे जीवन के, आशीष है ऊंचाईयां छुएं सब पल तुम्हारे जीवन के। धरा सी धीरता, शैल सी शिखरता हो व्यक्तित्व में, कर्मशीलता, विनम्रता अंग हों तुम्हारे जीवन के।। हमारे स्नेह की पराकाष्ठा की पात्र तुम सदा बनी रहो, खुशियों से पूर्ण जीवन की हकदार तुम सदा बनी रहो। आस्तित्व तुम्हारा मधुर ताजगी देता रहे अपनों को, निष्कलंक, निष्कंटक जीवन का व्यवहार सदा बनी रहो। चलो सदैव नेक राह पर भटके ना कदम कभी तुम्हारे, उड़ो निर्बाध लक्ष्य तक परिपूर्ण हो जीवन के क्षण सारे। जीवन-पथ पर बढ़ें मर्यादित कर्म से युक्त कदम तुम्हारे, सुखी जीवन पाओ जन्मदिन पर यही आशीर्वचन हमारे। 💖💖तुम्हारे मम्मी - पापा💖💖 ©Satendra Sharma #Tarang
Satendra Sharma
नशीली आंखों का दर्द तुम समझ ना पाओगे, जो गुजरी नशेमन पर तुम समझ ना पाओगे। फूल ने आगोश में रखा लोभी तितलियों को, अरमां कत्ल हुए भंवरे के तुम समझ ना पाओगे।। .....सतेन्द्र शर्मा 'तरंग ©Satendra Sharma #Tarang
Satendra Sharma
💕💕तेरी यादों के झरोखों से..... शाम की चूनर ने फिर ओढ़ा घना कुहासा है, खुद में समन्दर समेटे बादल फिर प्यासा है। नज़रों की गुस्ताखियों ने यादें दी उम्र भर की, मुग़ालता ये कि आज भी दिल को तेरी आशा है। बाद मुद्दत के मिले हो मत बैठो मुंह फेरकर, मुलाकात का भ्रम बना रहे ना लगे तमाशा है। शिकवे शिकायतों की तो अब आदत ही न रही, पर मनुहार की भी अब हमारे पास न कोई भाषा है। मेरे चेहरे की खरोंचों से मेरे वजूद का अंदाजा न लगा, हक़ीक़त बस इतनी है 'तरंग' को ऐबों ने तराशा है। ......सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' ©Satendra Sharma #Tarang
Satendra Sharma
🙏🙏 हृदय में समेटे संवेदना, कदम जमीं पर यूं रखें जायें, आसमां तक को तेरे आस्तित्व की प्रतीति हो जाये। लिबास तो बदल जायेगा, चरित्र सदा रहेगा 'तरंग', सदियों तक महके जीवन ऐसी पावन सुगंधि हो जाये।। ......सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang
Satendra Sharma
💕💕 जख्म उस दिल के क्या देखते हो, जिसने चोट अपनों से खायी हो। शिकवा भी न किया कभी उससे 'तरंग' मातम पर मेरे जिसने महफिल सजायी हो। ..... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang
Satendra Sharma
Expression Depression लगन, मेहनत, समर्पण, निष्ठा पूंजी हो तेरी, किस्मत स्वयं की स्वयं लिखना कला हो तेरी। तृण सी लचकता शैल सी अडिगता हो तेरे पास, तभी तो रंग दिखायेगी जमाने को प्रतिभा तेरी। ......सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang
Satendra Sharma
💕💕 आंखे मिलाकर फिर मुस्कराकर वो गुम हो गये, हंसी सपना दिखाकर न जाने वो कहां खो गये। नम आंखे अक्सर दिल से सवाल करती हैं 'तरंग', खोया मैंने उन्हें टुकड़े-टुकड़े क्यों तुम हो गये। ...... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang
Satendra Sharma
बात जब दिल से निकलेगी तो छुएगी दिल को, परेशां मत हुआ करो हाल-ए-दिल सुनाने को। .... सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang
Satendra Sharma
खुद को दुश्वारियों से घिरा देखकर, मन का उत्साह जब भी कम होता है, याद कर लेता हूँ उस कश्ती को, भंवर से निकलकर जो किनारा पा लेती है, तूफान के निर्दयी चंगुल से अपना दामन बचा लेती है । खुद को टुकड़ों टुकड़ों में टूटते देखकर, बिखरते हुए जब भी देखता हूँ, याद कर लेता हूँ उस चिड़िया को, तिनका तिनका चुग कर जो घरौंदा बनाती हैं, लड़कर हवाओं की प्रकृति से आस्तित्व मनवाती है। खुद को राहे जिन्दगी में फिसलते देखकर, कदमों को जब भी थका हुआ देखता हूँ, याद कर लेता हूँ उस चींटी को, कदम कदम पर जो फिसल जाती है, गिरती है, उठती है, गिरती है, उठती है, हौंसला अपना हिमालय सा रखती है, नन्हीं चींटी संघर्ष का उदाहरण बन जाती है। खुद को असफलता के साये में देखकर, मंजिल पाने की जब भी आस छोड़ देता हूं, याद कर लेता हूँ उस इन्सान को, पर्वत का सीना चीरकर, जिसकी मचलती भुजायें राह बनाती है, दिल में उफनते ध्रुव इरादों से, मंजिल जिसके कदमों में आ जाती है। .......सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' #Tarang