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Amir 'Ek Anjaan Shayar'
लोग लिबास देखने में इतने मसरूफ हैं कि उन्हें अखलाक देखने का वक्त ही नहीं मिलता। ©Amir 'Ek Anjaan Shayar' अखलाक
#AkhlaqueSahir
हालात के जद़ में रहो या कुदरती जद़ में रहो. ताईरों जिद्द ना करो अपने बने हद्द में रहो. रहजनी की बात छोड़ो रहनुमा कोई नहीं. आप' हम ' वो ' जो भी जहाँ है खुश रहो. गर्दिशें आई है सब खामोश अपने घर में है. गर परोसी गमज़दह हैं,संग रक्खो खुश रहो. #अखलाक साहिर #अखलाक साहिर
कवि आदेश दुबे
योगी तुम्हारे प्रदेश में मचा है आतंक। क्या ऐसे ही सरकार चलेगी बोलो महंत।। तुम चुनाव में मस्त जनता रहे त्रस्त। भगवाधारियों का होता रहेगा क्या ऐसे ही अंत। । कमलेश तिवारी हत्याकांड
Author Rupesh Singh
रो उठीं बाग की दीवारें हर दिशा ख़ौफ़ से डोली थी। ज़ालिम डायर ने जब खेली खूँख़ार खून की होली थी। गुमनाम शहीदों की गणना ख़ुद मौत न कर पाई होगी। निष्ठुरता भी चीखी होगी, निर्ममता चिल्लाई होगी। ©R. k. singh # जलियांवाला बाग हत्याकांड
ABHISHEK TIWARI
जलियांवाला बाग हत्याकांड:- यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते, काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते। कलियाँ भी अधखिली, मिली हैं कंटक-कुल से, वे पौधे, व पुष्प शुष्क हैं अथवा झुलसे। परिमल-हीन पराग दाग़ सा बना पड़ा है, हा! यह प्यारा बाग़ खून से सना पड़ा है। ओ, प्रिय ऋतुराज! किन्तु धीरे से आना, यह है शोक-स्थान यहाँ मत शोर मचाना। कोकिल गावें, किन्तु राग रोने का गावें, भ्रमर करें गुंजार कष्ट की कथा सुनावें। कोमल बालक मरे यहाँ गोली खा कर, कलियाँ उनके लिये गिराना थोड़ी ला कर। तड़प तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खा कर, शुष्क पुष्प कुछ वहाँ गिरा देना तुम जा कर। यह सब करना, किन्तु यहाँ मत शोर मचाना, यह है शोक-स्थान बहुत धीरे से आना। ~सुभद्रा कुमारी चौहान जलियांवाला बाग हत्याकांड
Urmila Katariya
जनरल डायर निगल गया हजारों निर्दोष भारतीयों को बनकर के विषैला नाग याद करके जलिया वाले बाग की घटना जल उठती है ह्रदय में आक्रोश कीआग 13 अप्रैल जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस है आज ©Urmila Katariya जलियांवाला बाग हत्याकांड दिवस