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Dalip Kumar Deep
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 🤗💕 कभी हमारी भी लग जाये आँख🍂🍂
Acharya Chandramani Jha
मेरा भी अरमान है एक चाय तुम्हारे साथ हो जाये , आँखो ही आँखो में दिन कटे सुबह से शाम हो जाये....!! ✍️@आचार्य मेरा भी अरमान है एक चाय तुम्हारे साथ हो जाये , आँखो ही आँखो में दिन कटे सुबह से शाम हो जाये....!! ✍️@आचार्य Eisha mahi Sakshi Chaudhry M
Author kunal
विश्वास की चमक नफरत के आगे फिका न हो जाये वृंदावन में हूं आ जाओ राधा बन तुम कहीं ये वियोग इस मनचले आशिक को शायर न बना जाये उस अतुल्यनीय विश्वास की कमजोर कढ़ी न हो जाये , आ जाओ अब मेरे कान्हा कही एक और घड़ी यूँ ही व्यथा व्यतीत न हो जाये।। इस हृदय में शेष जो ममत्व ह
Siddharth Balshankar
बदलाव बदलाव इस एक लफ्ज को कुछ बारीकी से पेहेचाने की आज मुझे जरुरत आन पडी हैं एक अंधे की नजर से देखा जाये, आँखो मे बस्ती रात को रोशनी का ऐहेसास हो जाये रोशन हुवे उसके यही अंधीयारे मे बदलाव का एक बीज अंकुरीत हो जाये कुछ अपने नजरियेसे बदलाव बदलाव इस एक लफ्ज को कुछ बारीकी से पेहेचाने की आज मुझे जरुरत आन पडी हैं एक अंधे की नजर से देखा जाये, आँखो मे बस्त
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
अच्छा है चुप रहना सीख। लेकिन सच भी कहना सीख झूठ दूर तक कब चलता है। कड़वा सच भी सहना सीख। हवा के संग बहता जाता है। अपने पाँव पर रहना सीख। दिल पत्थर ही ना बन जाये। आँसू बन कर बहना सीख। अगर मर्ज़ी से रहना है तो। किसी के दिल में रहना सीख झूठी शान में जीवन खोया। अब जिल्लत में रहना सीख। हार जीत सब बेमानी है। गिर-गिर उठते रहना सीख।। ©Ankur Raaz अच्छा है चुप रहना सीख। लेकिन सच भी कहना सीख झूठ दूर तक कब चलता है। कड़वा सच भी सहना सीख। हवा के संग बहता जाता है। अपने पाँव पर रहना सीख। दिल
Santosh Sagar
सफर में हमसफ़र बन जाते हैं , बारिस में छतरी के भाँति काम आते है ! मुश्किल भरी सफर होती है हमारी, साहब हम रेल चलाते है ....... दो परिवारों को साथ लाते हैं, पर्वत को झीलों से मिलाते हैं! भूले- भटके को घर पहुंचाते है , साहब हम रेल चलाते हैं...... दो धर्मो के मानाने वाले , दूसरे की भाषा न जानने वाले ! सभी को हम साथ ले जाते हैं, साहब हम रेल चलाते हैं..... एक अकेले बेटे को,दिल में आंशु लपेटे को! माँ की ममता मिट न जाये , आँचल में उनके गुल खिलाते है ! साहब हम रेल चलाते हैं..... दो प्रेमी दीवाने को , चढ़े प्यार परवाने को ! बिच खड़े दिवार को चंद घंटो में मिटाते हैं! साहब हम रेल चलाते हैं..... :- संतोष 'साग़र' #gif सफर में हमसफ़र बन जाते हैं , बारिस में छतरी के भाँति काम आते है ! मुश्किल भरी सफर होती है हमारी, साहब हम रेल चलाते है ....... दो परिवारों
हरीश वर्मा हरी बेचैन
चलो अब समापन किया जाये! अब न कोई शिकायत किया जाये! कर लो दो बात अपने अपनों से! अब न किसी से अदावट किया जाये! खाली हाथ ही जाना है आये थे जैसे
Krishan Sangar
जब जाना ही था तो आये ही क्यों जब रुलाना ही था तो हस्या ही क्यों मालूम था कि सपने नही होते पूरे तो मुझे वो सपने दिखाए ही क्यों मंजिल तक पहुँचना ही न थी तो सफ़र शुरू किया ही क्यों जब जाना ही था तो आये ही क्यों बैठा बैठा अक्सर खुद से ही ये बाते करता रहता हूँ मैं कि काश ऐसा हो जाये कि तू आ जाये मेरे बुलाने से काश ऐसा हो जाये की एक बार फिर से तू हँस जाए मेरे हँसाने से जानता हूँ पास अब नही है तू मेरे लेकिन आकर गले लग जाये और दूरियां ये कम हो जाये आँखे मेरी खुशि से ही सही लेकिन एक बार नम ही हो जाए ओर तू फिर से मेरे अश्को को साफ कर के मुझे गले लगाए जब जाना ही था तो आये ही क्यों जब रुलाना ही था तो हस्या ही क्यों मालूम था कि सपने नही होते पूरे तो मुझे वो सपने दिखाए ही क्यों मंजिल तक पह
lalitha sai
मेरे कुछ प्रश्न... सिर्फ अपने आपसे ही..? आज कुछ कहना है.. फिर से ना मज़ाक उड़ाए कोई.. सिर्फ ये सोचकर.. दिल बहुत घाबरता है.. कुछ अच्छा सोचकर हर दिन को.. शुरुआत करती हूं... मगर कमी कहां
संगीत कुमार
(मनुज कवि बन जाता है ) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कह न सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है © (संगीत कुमार /जबलपुर) ✍🏽✍🏽स्वरचित 🌹🌹 (मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज