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Kulvant Kumar
Hritik Gupta
White मोदी जी ने दस साल में क्या किया:- गांव गांव शौचालय बनवाया करोना काल से हमको बचाया कभी थाली से तो कभी 🪔 दिया जलवाकर हमलोग का हिम्मत बढ़ाया लॉकडाऊं जैसे हालातो में भी लड़ना सिखाया गरीबों के खाते जनधन में 500 +राशन फ्री बाट हम सबको बचाया वही लोग आज बोल रहे हैं मोदी जी ने क्या किया याद करो वो दिन जब शाम को तुम बाहर नहीं निकल पाते थे दहसत इतना था कि जुबां से कुछ बोल नहीं पाते थे आज कहते हो मोदीजी ने क्या किया सबका साथ सबका विकास ©Hritik Gupta #VoteForIndia #आपका #एक #वोट #आपके #आने #वाले #भविष्य #तय #करेगा
GRHC~TECH~TRICKS
White ज़िन्दगी हर पल नये मोड़ को तलाशतीं रहती है। एक दिन तो अन्तिम पहलू कै मोड़ से नवाजा जाता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #Road देव बाबू ,की कलम से /-/emat ,s Mr, shivam rai @?(Mahakal ka bhakt) Yuvraj Koli Rajni Pandey Brajraj Singh Kamlesh
Sarfaraj idrishi
mera vote meri pehchan बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)के बाद अगर कोई आपकी नुमाइंदगी करेगा । तो वो भाई ऐडवोकेट चंद्र शेखर आजाद होगा। ©Sarfaraj idrishi बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM)के बाद अगर कोई नगीना लोकसभा से आपकी नुमाइंदगी करेगा । तो वो भाई चंद्र शेखर आजाद होगा।poet ziya ansari Prav
Vikrant Rajliwal
ANSARI ANSARI
Beautiful Moon Night समय के आगे सबने हारा। समय से चलता जीवन हमारा। समय से पहले कुछ नहीं पाता। पाके क्या करेगा जीवन मे। जब की सब कुछ यहीं रह जाता। ©ANSARI ANSARI पा के क्या करेगा।
Krishna
Men walking on dark street ज्या व्यक्तीशी बोलताना, दहा वेळा BYE बोलल्यानंतर ही, तुम्हाला कॉल Cut करू वाटत नसेल, तेव्हा समजून जा कि, तुम्ही त्या व्यक्तीच्या प्रेमात वेडे झाले आहात….. ©Krishna #Emotional ज्या व्यक्तीशी बोलताना, दहा वेळा BYE बोलल्यानंतर ही, तुम्हाला कॉल Cut करू वाटत नसेल, तेव्हा समजून जा कि, तुम्ही त्या व्यक्तीच्या
GoluBabu
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की फिर उसी मोड़ पर आकर खड़े हों जाते हैं। कभी कभी तो लगता है अपने हाथ पैर मारना ही छोड़ दे ताकि कुछ पल सुकून के तो मिल सके पर यह भीं इसे मंजूर नहीं होता है, फिर कोई न कोई राह दिखा कर फिर उसी मोड़ पर ले आती है। ना यह चेन से जीने देती है और ना मरने देती है। जब तकलीफ़ का दौर देखा और अपने आप को कोसने लगे तो फिर इसे शख्स को सामने लाकर खड़ा कर देगी। जो हमसे भीं ज्यादा तकलीफ़ मे होगा, उसे देख कर और उनकी तकलीफ़ को सुनकर उनके लिए प्रार्थना करने के लिए अपने आप भगवान के आगे उठ जाते हैं। और आंखो में अश्रु भर जाते हैं। बस और बस केवल उनकी ही पीड़ा मन में रहती है। जब हाथ पकड़ कर कहती हूं सब ठीक हों जायेगा। तो वो जैसे ही ठीक हों जाता था। तो हमे भूल जाता है। और मन में एक ठीस सी उठती है। हमें दुःख किस बात का हुआ वो भूले इस कारण यां उनकी पीड़ा हमारे अंदर आ गई उसके कारण.. समझ नहीं आता की नियति क्या खेल खेलती है। हमारा मन एक कोरा कागज़ है उसपर हर तरह के रंग भर देती है। चाहें हमें पसंद हों यां नहीं। बस भरे जा रहीं हैं, भरे जा रही है। जो देखेगा तो उसका अलग ही मत होगा। कोई अपनी अलग ही राय कायम करेगा। पर इन सब के बीच में पिसता पेपर हैं। अगर रंग अच्छे भरे तो सुंदर चित्र उभर कर आयेगा और उसे साथ ले जायेगा। और किसी को पसंद नहीं आया तो कचरे के डिब्बे में फेका जायेगा, तब वो स्याही भीं ख़राब तो उस पेन की चुबन और वो पेपर भीं ख़राब हों जायेगा। और बाद में हमारी नियति भीं ख़राब बता दी जायेगी क्योंकि सबसे बड़ी कलाकार हमारी नियति है और हम वो प्लेन पेपर है, और दुःख, सुख, शांति, पीड़ा, संघर्ष रूपी कलम सभी हमारी नियति है। और शून्य से बढ़े तो शून्य में ही विलीन हों गए। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #aaina हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की