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Vickram
काफी अच्छी तरह सीख लिया अकेले रहना अब और किसी की जरूरत महसूस नहीं होती हां हर बात रब से हो जाती है आजकल अपनी अपने हिस्से का प्यार भी उसी से मिल जाता है तकलीफ तो लोग दे जाते हैं आज रिश्ता बनाकर खुद को उसपर छोड़ दें फिर तकलीफ नहीं रहेगी ©Vickram रहस्य खुशी का,, दुनिया तो भ्रम है
Parasram Arora
आज तक ये रहस्य मझे समझ नही आया. कि आखिर क्यों मरघट मे सूनापन चिखा करता है क्यों ये मिट्टी मिट्टी संग ब्याह रचाती है ©Parasram Arora रहस्य
Aks
जीवन के समस्त समस्याओं का सामना अकेले ही करना है तो फिर उदास क्यो रहना ! ©Aks रहस्य
Abhimanyu Dwivedi
मैं चला जहाँ से तू मिला वहाँ न था वही मग़र तू दिखा वहाँ न चलते चलते खाखें छानी मैंने हर राहों की पर फिर भी तू दिखा कभी न फिर फिर चलता,चलता ही जाता खुदा की तलाश में मैं खुद में ही ढलता भी जाता ढलते ढलते खुद से खुद बना मै ढाल बना मै भी अब तक मेरा खुद मुझसे मिटा न फिर भी तू तब भी दिखा न खोजा जब खुद में खुद को खुद से तो सारा चलना उसी पल में मैं भूल गया जब मैं खुद को भी भूल गया बस पल भर में तू तभी मिला ©Abhimanyu Dwivedi रहस्य
Roshani Thakur
कहीँ मोहब्बत की वारिष हुई है तो कहीँ सुखा पड़ा है। कोई तो बतादो इसमे कौन सा गहरा राज छिपा है।। रहस्य
Kavita jayesh Panot
रहस्य जीवन का होना हमारा अस्तित्व जीवन मे घटित घटनाएं वक्त का हर क्षण करवटें.बदलना आज का होना ,कल के होने का सवाल एक रहस्य है। पृकृति का सौन्दर्य वृक्षो का लहलहाना फूलो का खिलना और खुशबुओं का फैलाना। सूरज का उदित होना चाँद तारो का आकाश मे आक्षादित हो धरती की शोभा बढाना। बादलों का गडगडाहट कर बरसना पक्षियों का कलरव करना सबकुछ एक रहस्य है । आज के इस वक्त मे कोरोना का आना कोलाहल मचाना और क्षण भर मे सबकुछ बदलना। अचानक मानव का घरों मे बंद हो जाना एक रहस्य है। कब तक यूं ही जीना है क्या है इसका कोई निदान यह भी तो रहस्य है। जीवन का होना और फिर अन्त मे पंचतत्वों मे विलीन होना एक रहस्य है। (कविता जयेश पनोत) #रहस्य
ଶ୍ରଦ୍ଧା......
जीवन के रहस्यों को समझ् ना पाए तो जींदगि जिने मे मजा ही क्या, मरने वालों की तों बात ही ना करो वे पुछ्ते है जीवन की वजह है क्या? रहस्य
Anupama Sharma
क्या तुम भी ऐसी जीवात्मा हो? रहस्यों से भरी जैसे आसमान में हो कोई तश्तरी या पानी में कोई जलपरी जिसे देखते ही ' कोई सोच' ' शोधकर्ता' बन जाती है पर वो कुछ भी ज़्यादा कर नही पाती है कई बाते अनंत है आकाशीय आयामों की तरह जिन्हे समझना वैसा ही है जैसे असंख्य तारों के प्रतिबिंब को सीमित माध्यमों में देखना ©Anupama Sharma #रहस्य