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Rishu
कभी कभी समय निकाल कर निष्क्रिय हुआ कीजिए, इस जीवन,संसार मे, जो हर क्षण अत्यधिक सक्रिय है, सन्तुष्टता प्रदत्त है निष्क्रियता,भय और इच्छा बाधा है, साक्षीपन का अभ्यास आवश्यक यदि जीवन प्रिय है, प्रायः निष्क्रियता अभ्यास है चेतना को मुक्त करने का, परिस्थितियों पर से नियंत्रण खोने की सचेत प्रक्रिया है, साहस और विश्वास अति आवश्यक है,आंनद के लिए, परिवर्तन को सहज स्वीकारना ही योगी की दिनचर्या है, निष्क्रियता में अंतर्मन के द्वन्दों पर ध्यान दिया कीजिए, हृदय को खोलने, व्यक्त करने का पूर्ण अभ्यास कीजिए, श्रेष्ठता की बजाए,सत्यता को जीवन का केंद्र बिंदु बनाएं, कभी उपरोक्त अभ्यास पूर्वनियोजित और कभी अनायास कीजिए साक्षीदृष्टा भव:🤚 #yqbaba #yqdidi #निष्क्रियता #साक्षीदृष्टा।
RiChA SiNgH SoMvAnShI
अंत: हृदय का है, असीमित सवाल, निष्क्रिय व्यक्ति है, जीवित सामान । "निष्क्रिय - बेरोजगार" #yqbaba #yqdidi #निष्क्रियता #writingislove
Kartik Pratap
जब रात ढले लिखना हो कोई गीत तब मत लिखना अपने दिलदार को लिख देना कोई नज़्म जिसमे इंसान, इंसान ही नज़र आए लिख देना अपनी सारी पर्तें खंगाल कर कुछ अटरम-सटरम बिखेर देना खुद को उस गीत में इस तरह कि बस जैसे लिखा जा रहा हो दुनिया का आखिरी गीत #NojotoQuote आखिरी गीत #गीत
Kandari.Ak
sunset nature अभोर जब होगा इक नया दौर आएगा बेशक ये हस्ती मिट चुकी होगी मेरे गीत - गजलों से अटल जी सा एक नाम मेरा भी गुजेंगा हर कवि सम्मेलन इक छोर पे हर मुश्यारे के एक मोड़ पे मेरी लिखी पंक्तियां पढ़ी जाएंगी अभोर जब ......... इक नया दौर ....... ✍️ ©Kandari.Ak #गीत#गीत✍🏻 #ग़ज़ल #shyari
Anuj thakur "बेख़बर"
अधूरी मुहब्बत का किस्सा हूं जो कभी सुनाया जाऊंगा! टूटता आईना हूं, अब क्या किसी को दिखाया जाऊंगा बदक़िस्मती ने बखूबी साथ निभाया ताउम्र मेरा! गीत ही तो हूं खुशी में न सही गम में तो गाया जाऊंगा!! बेख़बर गीत
विनय शुक्ल 'अक्षत'
तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। वक्त के तटबंध पर बनकर मैं शीतल जल छहरता। पर तुम्हे तो हार का अवसर दिखाई दे रहा था। एक भयानक त्रासदी का डर दिखाई दे रहा था। मुख से कुछ बोले नहीं तुम पर निगाहें कह रही थी। पीर उर की नैन के कोरों से रिस कर बह रही थी। मौन थे तुम, आँसूओं से थी दुपट्टे पर तरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। प्राण ! तुमको वक्त का था भान न मालूम मुझको। बंदिशों को तोड़ना आसान न मालूम मुझको। पर शिकायत है कि तुम से कुछ छुपाया जा रहा था। सच न कह कर मुझसे मेरा दिल दुखाया जा रहा था। थी नहीं अब प्राण ! तुझमें पहले जैसी वो सरलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। पर चलो जो भी हुआ अच्छा हुआ यह मानता हूँ। अब न मुझको जानते तुम मैं न तुमको जानता हूँ। वक्त के हाथों गढ़ी तस्वीर लेकर देख लेंगे। एक दूजे के हृदय की पीर लेकर देख लेंगे। सोचता हूँ कब तलक मुझको सताएगी विफलता, तुमने गर आवाज दी होती तो मैं पल भर ठहरता। ©©©©विनय अक्षत' गीत