Find the Latest Status about असोसिएशन कबड्डी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, असोसिएशन कबड्डी.
कमल यशवंत सिन्हा 'तिलसमानी'
चोट खा कर भी मुस्कुराते है वो ही तो खिलाड़ी कहलाते है ©कमल यशवंत सिन्हा 'तिलसमानी' #खिलाड़ी #कबड्डी #स्पोर्ट्स #Pain #Injury #kabaddi
Seema Sharma
पित्रसता की दस्तक (ये बिलकुल सच है की 2021 भी अब खत्म हो रहा है, पर ये भी सच है की कुछ नही खत्म हो रहा तो वो है इस सोच का चक्र और ये तब तक नही होगा जब तक हम इसकी बातें खुलकर ना करें, ये कहानी भी मेरी कल्पना है और मेरे लिए सच्चाई से कम नहीं है) स्मिता एक 14 साल की नादान सी लड़की जिसको पेड़ों पर चढ़ जाना पसंद है , बगीचों में मंडराना पसंद है गांव के नहर में उससे अपने पाओ डुबाए बैठ जान
Ravendra
सांसद ने किया शुरूवात ©Ravendra अक्षयवर लाल गोंड ने किया सांसद खेल स्पर्धा का शुभारम्भ बहराइच 18 मार्च। सांसद खेल स्पर्धा अन्तर्गत इन्दिरा गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम बहराइ
सुसि ग़ाफ़िल
आज शेरां की धरती का जन्म होया रै , नाम हरियाणा प्रदेश यो ट्रेंड होया रै , यहां लोगों की आदत है अच्छे काम करण की, न्यू है तो हरियाणा नंबर वन होया रै ! दूध दही देशी खाना घात में जान झौटे बरगी रै, सारे दंगला में कब्जा हरियाणा का होया रै!! टूबल के ऊपर महफिल जमावें , चाले पहले तोड़ की मारे दौले बलदा की जोड़ी रे जावे ठोकर में गोली फोड़ दी। 6-6 के फुट के छोरे , खेल कुश्ती कबड्डी जिगरी होया रै, यहां के रूके किल्की और भगत भोले के फेमस होये रै ! यहां के पहनावे में धोती खंडका खानदानी होया रै, गुंडी आली मूंछ और हुक्का वाली बैठक का चर्चा होया रै! भारत की बात अलग है पूरे विश्व में फेमस होया रै , यहां की छोरियां न पूरे विश्व में तिरंगा लहराया रे! इतनी खूबियां गैल म्हारा हरियाणा ट्रेंडिंग में आया रे रवा यहां सब मिलजुल कर भाईचारे में नाम कमाया रै ।। मेरा प्यारा हरियाणा आज शेरा की धरती का जन्म होया रै , नाम हरियाणा प्रदेश यो ट्रेंड होया रै , यहां लोगों की आदत है अच्छे काम करण की, न्यू ह
सुसि ग़ाफ़िल
छः-छः फुट के छोरे, खेल कबड्डी कुश्ती जिगरी होया रै ! यहां के रुके किल्की अर भगत भोले के फेमस होये रै !! सभी को हरियाणा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !!❣️ इसके बाद वाली पोस्ट हरियाणा की खूबियों के लिए करूंगा खास बातें!! छः-छः फुट के छोरे, खेल कबड्डी कुश्ती जिगरी होया रै ! यहां के रुके किल्की अ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गिल्ली डंडा खेल पुराने । बचपन के दिन बडे सुहाने ।। जब भी आती यादें उनकी । करते सबसे बातें उनकी ।। पहले खेल हुआ करते थे । मन में जोश भरा करते थे ।। चाहे कबड्डी हो य खो खो । मातु-पिता ना करते भौ भौ ।। स्वस्थ शरीर व चुश्ती फुरती भाग दौड़ में करते मस्ती मन पतंग सबका हो जाता । बिन पँख फिर वो उड़ता जाता ।। सबके मन को वह भा लेते । यह कविता जो तुम पढ़ लेते ।। उन खेलों का क्या था मतलब । सीख आज जो तुम अब लेते ।। स्वस्थ स्वास्थ का वही खजाने । अपना सुंदर खेल पुराने ।। जब भी आती यादें उनकी । करते सबसे बातें उनकी ।। २८/०२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गिल्ली डंडा खेल पुराने । बचपन के दिन बडे सुहाने ।। जब भी आती यादें उनकी । करते सबसे बातें उनकी ।। पहले खेल हुआ करते थे । मन में जोश भरा करत
CalmKazi
//कबड्डी// भोर भये उठते ही आज, कंबल सिरहाने रख दिया । इक तूफ़ान सा अंदर समेटे, पन्नों को सम्हाल लिया । निकल पड़े अनभिज्ञ राह पर, कुछ शब्दों स