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Sneh Prem Chand
काश कोई योग गुरु ऐसा भी होता जो हमें ऐसा अनुलोम विलोम करना सिखा देता, जिसमें अंदर सांस लेते हुए संग प्रेम,सौहार्द,अपनत्व और स्नेह ले जाएं, और बाहर सांस छोड़ते हुए अपने भीतर के ईर्ष्या,द्वेष, अहंकार,क्रोध,लोभ,काम सब छोड़ देवें।। दिल की कलम से ©Sneh Prem Chand अनुलोम विलोम #Hope
NEERAJ SIINGH
आज मोदी जी का बर्थडे है अच्छी बात है सबने मनाया पर आज पैसे जो जनता गरीब हों गई उसका जवाब खुद मोदी जी भी अपने बर्थ डे में नही दे सकतें, क्योंकि हिंदू को जगाने के बाद हिंदू या राष्ट्र करेंगा क्या ये आज के समय में युवा है जब आज राष्ट्र सबसे युवा बेरोजगार है और नेता और तंत्र फूल मूर्ख बनाने की प्रक्रिया में व्यस्त है कुल मिलाकर आप केवल प्रतिदिन मूर्ख बनाने के कार्य में राष्ट्र का बंटाधार कर रहे है देश को चाहे कांग्रेस ने बर्बाद किया हो या बीजेपी करे या कोई और देश चूसक पार्टी पर देश को कुल मिलाकर आप चूस रहे है और अपनी रोटियां सेंक रहे है ताकि किसी तरह हमारी कुर्सी बची रहे और जनता भिखारी और भूखमरी में जीती रहे क्या यही थे अच्छे दिन मूर्ख बनाने वाले #cinemagraph #मूर्ख बनाने का प्रतिदिन प्रयास
DR. LAVKESH GANDHI
मूर्ख और विद्वान में अंतर क्या है मूर्ख कहता हैं कि मैं सब कुछ जनता हूँ जबकि विद्वान कहता है कि मैं बहुत थोड़ा जनता हूँ और मुझे अभी जीवन भर सीखने की जरुरत पड़ेगी #मूर्ख # #मूर्ख कौन # #yqmurkh #yqvidwan #
गौरव गोरखपुरी
मेरे इंतज़ार में पलके बिछाते हो। मुझसे इश्क़ है कि नहीं ,पूछने पर मूझी से तुम छिपाते हो। ऐसा कर के तुम क्या पाते हो। मुझे सब पता है ,बताओ.. किसको मूर्ख बनाते हो! अकेले में ,मेरे नाम को ही गाते हो। जो मै सामने आ जाऊं तो तुम क्यों अकबकाते हो। एक बार ही सही हाल ए दिल क्यों नही सुनाते हो। मुझे सब पता है,बताओ .. किसको मूर्ख बनाते हो! मै दिख गई थी जिस मोड़ पर कल शाम हर शाम उस मोड़ पर क्यों जाते हो। मुझसे है मोहब्बत , मुझी से शरमाते हो और हजार बहाने बनाते हो। मुझे सब पता है, बताओ.. किसको मूर्ख बनाते हो!!!© गौरव पांडेय मूर्ख
Arsh Deep(੧੩ਸਾਇਰ)
हम तो गम के रास्ते पे दर्द भूलने जा रहे थे।। उसी रास्ते पे कुछ मूर्ख देखे हमने जो आग को जलाने का रहे थे।। १३ शायर दीप मूर्ख लोग
Surya Kant singh
#AprilFoolDay एक गदहा था... बिल्कुल गदहा था... एकदम गदहा था.... गदहो का गदहा था.. लेकिन घबराओ नहीं.. आपके सामने कुछ भी नहीं था। happy 1 april fool day Surya Kant singh मूर्ख दिवस
Amar Singh
मैं मूर्ख (अज्ञ) सही जमाने की नजरों में, फिर भी हर किसी के ह्रदय के उद्गारो,और भाव- बन्धो को समझने के लिए प्रयत्नशील रहता हूँ या (समझता हूँ) और एक वो जन है,जो किसी की भावनाओं की कद्र नहीं करते है। वही लोग शान से खुद को विद्वान और सुयोग्य कहते है। अमर'अरमान' लेखक विचारक मूर्ख कौन ?