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Raja Ajay JI
अगर तू चाहती है कि मैं तेरा पीछा ना करूं..... तो प्लीज तू मेरे आगे आगे चल..... R☆AJAY तेरे संग संग
Omkar Mishra
मैं बन जाऊं रेत सनम,, तुम लहर बन जाना… भरना मुझे अपनी बाहों में अपने संग ले जाना..!! ©Omkar Mishra तेरे संग जीना तेरे संग मरना
TAHIR CHAUHAN
संग संग चलना अधूरा रह गया मेरा ख्वाब था। तेरे संग जीने का। जो रेत की तरह । समय की धारा में बह गया। दो पल मिल कर दूर हो गए हम। तेरे संग संग चलना अधूरा रह गया। ताहिर।।। #तेरे संग संग चलना
Anuj Ray
संग तेरे " तेरे वादे पर भरोसा करके, छोड़ दुनिया को चली आई मैं ,संग तेरे। दिल के मंदिर में तेरी पूजा कर , मन ही मन लगा लिए सात,संग फेरे। प्रीत के रंग में, रंग गई ऐसे, दूर रहूं अब तुझसे कैसे, मोहे अंग लगाले तेरे। ©Anuj Ray # संग तेरे "
Sanskruti Patel
मेरे आधे हर ख्वाब मुकम्मल से लगते है, जब कुछ लम्हे ही सही ,मगर हम साथ होते हैं ।। #तेरे संग
Om Prakash Kumar
आज मद-मस्त सावन बरस रहा है। तेरे-संग झूमने को मन तरस रहा है।। #तेरे-संग
Piyush Prarthi
संग तेरे संग तेरे हर एहसास खास लगने लगता है, पर ये कमबख्त वक्त भी तभी रफ्तार पकड़ने लगता है। यूं तो तेरी जुदाई में हर लम्हा सदी सा लगता है, पर तू साथ हो तो अक्सर वक्त कम पढ़ने लगता है। ज़ी चाहता है बैठा रहूं पहलू में तेरा हाथ पकड़कर, कहे तू भी दिल की हर बात मेरे कांधे पे सर रख कर, तेरे खयाल बिना बीते जो लम्हा मैहरूम सा लगता है, पर मेरे ख्यालों का ख्याल भी तेरे खयालों में मशरूफ रहता है, संग तेरे ऐसे जियूं हर पल एक हसीन याद बन जाए, छोटा बड़ा हर किस्सा एक अनमोल जज़्बात बन जाए। थम जाए वक्त तेरे मेरे दरमियां दिल ये फरियाद करने लगता है, पर शायद इस पाक मोहब्बत से वक्त भी जलने लगता है। यूं ही मुकम्मल नहीं होती मोहब्बत जहां में, एक दूजे को बखूबी समझना पड़ता है। हर कसौटी पे खरी उतरी हो तुम मोहब्बत की, संग तेरे बिताया हर लम्हा ये बयान करता है। संग तेरे हर एहसास खास लगने लगता है, पर ये कमबख्त वक्त भी तभी रफ्तार पकड़ने लगता है, यूं तो तेरी जुदाई में हर लम्हा सदी सा लगता है, पर तू साथ हो तो अक्सर वक्त कम पड़ने लगता है। ©Piyush Prarthi संग तेरे
SAHIL KUMAR
न शिकायतों के लिए जगह थी, न नाराजगी की वजह थी मैं खुश था उस पल जब तुम्हारी मुस्कराहटें साथ थी नहीं हो सकता मैं युँ चुप बिना किसी वजह के जब हो साथ तुम्हारा भले ही कुछ लम्हों में यादें तो आती है बहुत पर क्या करें समय की गुस्ताखियां बनती पाबंदियाँ हमारे मिलने में समझ में नहीं आता की यह सिर्फ इत्तेफाक है या खेल किस्मतों का जो अक्सर समय ही कम है मिलने का ©SAHIL KUMAR तेरे संग
।।दिल की कलम से।।
जो वक्त जि़दगी के बचे हैं, उन खुशियों मे जीना चाहता हूंँ, जो सांसें बची है जि़दगी की, तेरे साथ जीना चाहता हूंँ, तुम साथ दे दो इस जि़दगी का, मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ। जो खुशियाँ खोई थी कही, मैं बस उन्हें पाना चाहता हूंँ। हसरतें मेरी तुम से जुड़ी हैं, वो हसरतें बस चाहता हूँ। मुहब्बते-जज्बातों को समझो, वो ख्वाहिशें चाहता हूँ। जो वक्त जि़दगी के बचे हैं, तेरे संग जीना चाहता हूँ। ©।।दिल की कलम से।। तेरे संग