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Parasram Arora
कोई पुरखो को पानी पहुंचा रहा हैँ कोइ गंगाओ मे पाप धो रहा हैँ कोई पथर की प्रतिमाओं के सामने बिना भाव सर झुकाये बैठा हैँ धर्म के नाम पर हज़ार तरह की मूढ़ताएं प्रचलन मे हैँ धर्म से संबंध तो तब होता हैँ जब आदमी जागरण की गुणवत्ता हासिल कर लेता हैँ जहाँ जागरण होगा वहा अशांति कभी हो ही नहीं सकती क्यों कि जाग्रत आदमी विवेकी होता हैँ इर्षा क्रोध की वृतियो से ऊपर उठ चुका होता हैँ औदेखा जाय तो धर्म औऱ शांति पर्यायवाची शब्द हैँ धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ
Vickram
कभी खत्म ना हो सका अधूरापन जिंदगी का,, बाहर शोर था काफी अंदर वीरा सा शहर था,, शायद कमियां हर चीज में रह जाती है हमेशा,, और उस कमी का कभी मालूम ही नहीं होता क्या थी वो चीजें सिर्फ एहसास था जिसका चारों तरफ़ ढूंढा तो कुछ भी नहीं मिला था वो छुपा था मन के अंदर बाहर कैसे मिलता एक खालीपन अंदर से हमेशा तोड़ रहा था,, ©Vickram खालीपन जिंदगी का,,
ज्योति ਠਾਕੁਰ
एक् नशा सा भी है शब्दों को पिरोना, न करो तो मन मे बोंझ इकट्ठा होने लगता है ।...— % & #मन् का खालीपन
संजय नौटियाल
वृक्ष तुम कितने अकेले हो मेरी तरह इस सुनसान धूप में तपती दोपहरी में लू के गर्म थपेड़े निरीह निपट अकेले तुम्हे देख कर तरस आता है कितनी समानता है तुम में और मुझ में -संजय नौटियाल ©संजय नौटियाल अंदर का खालीपन #Blacktree
Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
manoj kumar jha"Manu"
धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम। धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।। सुधा दे रही है वसुधा हमें तो, भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।। "भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"* वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।। (स्वरचित) * माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या: (अथर्ववेद १२/१/१२) धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।
Pratibha Kushwaha
खुशनसीबी क्या होती है तब पता लगता है, जब इकट्ठा करने के लिए कुछ भी ना हो, बस हो तो सिर्फ एक बात जो याद दिलाएं इकट्ठा करने के लिए बहुत मेहनत करनी है। वरना यूं ही जिंदगी भर लग जाएगी दुख के समंदरों से समेंटते हुए, और उम्र ढल जाएगी... ..... प्रतिभा #खालीपन
रवि अग्रवाल
लौट आती है हर बार इबादत मेरी खाली, न जाने किस ऊँचाई पे मेरा 'रब' रहता है...! #खालीपन