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वंदना ....
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंचन तन हमको भाया ।। नागिन बन रजनी है डसती । सखी सहेली हँसती तकती ।। कौन जगत में है अब अपना । यह जग तो है झूठा सपना ।। आस दिखाए राह न पाये । सच को बोल बहुत पछताये ।। यह जग है झूठों की नगरी । बहु तय चमके खाली गगरी ।। देख-देख हमहूँ ललचाये । भागे पीछे हाथ न आये ।। खाया वह मार उसूलो से । औ जग के बड़े रसूलों से ।। पाठ पढ़ाया उतना बोलो । पहले तोलो फिर मुँह खोलो ।। आज न कोई उनसे पूछे । जिनकी लम्बी काली मूछे । स्वेत रंग का पहने कुर्ता । बना रहे पब्लिक का भुर्ता ।। बन नीरज रवि रहा अकाशा । देता जग को नित्य दिलाशा । दो रोटी की मन को आशा । जीवन की इतनी परिभाषा ।। लोभ मोह सुख साधन ढूढ़े । खोजे पथ फिर टेढे़ मेंढ़े । बहुत तीव्र है मन की इच्छा । भरे नहीं यह पाकर भिच्छा ।। राधे-राधे रटते-रटते । कट जायेंगे ये भी रस्ते । अपनी करता राधे रानी । जिनकी है हर बात बखानी । प्रेम अटल है तेरा मेरा । क्या लेना अग्नी का फेरा । जब चाहूँ मैं कर लूँ दर्शन । कहता हर पल यह मेरा मन ।। २४/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द :- पीर पराई बनी बिवाई । हमको आज कहाँ ले आयी ।। मन के अपनी बात छुपाऊँ । मन ही मन अब रोता जाऊँ ।। चंचल नैनो की थी माया । जो कंच
Rashid Babu Mumbai Ka King
Shalini
White ।।जो कहते हैं ना ।। मेरी मां मेरी दुनिया हे अगर ऐसा ही होता तो आज वृद्ध आश्रम खाली होता कहेने से नही करके दिखाने से होता है ❤️❤️ ©Shalini बोल ने से कुछ नही होता ....
Rishu singh
White बहुत सारी चीज़ें मेरे सामने हुई जो की बहुत गलत थी फिर भी मैं कुछ कर नही पाई कुछ बोल नहीं पाई समझ नही आ रहा था की क्या करू कैसे इस चीज को खुद को और दूसरो को समझाऊं क्यू नही आवाज उठाई मैने ये बातें मेरे अंदर तूफान मचाती हैं कभी कभी वो शोर इतना होता हैं की घुटन होती है क्या मेरा गांधारी बने रहना सही था 😔😔 ©Rishu singh #SAD बहुत सारी चीज़ें मेरे सामने हुई जो की बहुत गलत थी फिर भी मैं कुछ कर नही पाई कुछ बोल नहीं पाई समझ नही आ रहा था की क्या करू कैसे इस चीज क
Sethi Ji
White हर मोहब्बत का एक अफ़साना होता हैं जिसमें एक दीवानी एक दीवाना होता हैं आज कल लगी हैं सब में दौड़ प्यार पाने की अब वफाओं का क़र्ज़ भी चुकाना होता हैं पहले मिलते थे मेहबूब अपनी ख़ुशी से अब ना मिलने का भी बहाना होता हैं पहले इंसान नहीं , हालात बदलते थे आज कल बेवफाओं का भी ज़माना होता हैं बहुत जी लिए उनकी यादों के सहारे दोस्तों अब मयखानों में इस टूटे हुए दिल का ठिकाना होता हैं पहले हो जाती थी मोहब्बत आँखों-आँखों में आज कल करके झूठी तारीफ़े वोह हक़ भी कमाना होता हैं 💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗💗 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ©Sethi Ji 💘💘 मोहब्बत का बोल 💘💘 💘💘 मोहब्बत का मोल 💘💘 वोह ज़माना कुछ और था जब प्यार का भी कुछ मोल था ।। गले लगते थे लोग एक दूसरे के भुला कर अपने धर्म
Yogesh Rajput
Black कितना आसान होता है, आसुओं को पानी बोल देना कितना आसान होता है, आसुओं को पानी बोल देना महसूस करने में कोई अपना दिल निकाल बैठ्ठा है । ©Yogesh Rajput #Thinking कितना आसान होता है, आसुओं को पानी बोल देना.
#Nikita kour
वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घाटियों में खड़े लोगों ने उसके सफ़लता को देख बोहोत जल गए और उन्होंने उनके सीने में नहीं, बल्कि उनके चुप्पी पर गोली मार दी ताकि वह आगे कुछ बोल ही न पाए किसी का चुप्पी का फायदा उठाकर तुम उन को दुसरो के आगे मुख साबित कर सकते हो लेकिन किसी के बोले गए शब्दों को गोली नही मार सकते जीतना गोली मारोगे उतना ही ज्यादा शब्द आग की तरह फैलता चला जायेगा क्यूंकि शब्दों से जायदा मौन शोर मचाते हैं ©#Nikita kour #nikita kour वो ऊंचे पहाड़ों पर हाथ फैलाए खड़े थे। वो बहुत खुश थे कि उसने जो काम हाथ में लिया था, उसमें सफलता मिली। लेकिन अचानक नीचे घा