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मानससूत्र
मला जेव्हा जेव्हा सुचलं तेंव्हा तेव्हा मी 'अर्ध' लिहितो.. डोळ्यातलं पाणी थांबल्यावर पानावरती 'दर्द' लिहितो..! हातात जरी मशाल असली तरी प्रकाश मात्र उसनाच आहे.. गुंडाळलेल्या अभागी बखरीमध्ये घामानेच मी 'जर्द' लिहितो..!! #व्यथा#दुःख#दर्द
kahawat _zindagi Prangya Panda
ख्वाइश और ज़रूरत के फ़ासलों को ज़रा समझा करो यारों, गम की सागर में हमें यूँ बार बार डुबाया ना करो। जो बातें तुम्हें बेफिज़ूल लगती हैं, उसमें कितनों के सपने संजोये रखे हैं। मत तड़पाओ उन गरीबों की आत्माओं इस हद तक कि वो जीना छोड़ दें, साथ दो उनकी ज़रूरत हो उन्हें और जीना सिखा दो उन्हें फिर से। ✍प्रज्ञा पंडा Instagram-@kahawat_zindagi ©kahawat_zindagi #ज़रूरतऔरख्वाइश #गरीब #दुःख #दर्द
M R Mehata(रानिसीगं )
जय माता दी 🌺 दोस्त हर पल हर दम साथ रहेगे खुशियो में तेरी कोसो दूर सही... दुःख दर्द में तेरे हम तो सदा तेरे ही आस पास रहेंगे 🙋♂आंखो से मोती तेरे गिरने नहीं देगे 🙋♂ ©M R Mehata(रानिसीगं ) #sparsh दुःख दर्द में...
Azhar Waquar
रात से रिश्ता न रखो क्योंकि रिश्तों के मोह माया में अपने सपनों को भूल जाओगे। अपने मंजिल तक पहुंचना हैं तो जागो। रातों से रिश्ता रखोगे तो मंजिल तक नहीं पहुंच पाओगे। लोग यहां अपने लिए जीता है दुनियां की परवाह कौन करता है। तू अपनी मंजिल को देख सफर में बहुत कांटे है। सब दुःख दर्द अपना है कोई किसका नहीं बांटे है। ©Azhar Waquar सब दुःख दर्द अपना है
Death_Lover
हूँ आज मौत की आश में ज़िन्दा, तो जीवन को सजाऊँ कैसे जब जीना है दुःख के साथ हरदम, तो एक पल के सुख के दुःख तुझे भूल जाऊं कैसे ©Death_Lover #मेरे_राम #सुखदुःख #दुःख #दर्दनाक #Flower #Painless_Pain
KHALID Hussain
शख्त मुश्किल में मैं पड़ गया हूँ अक्ल पे जोर चलता नही है दिल संभाले सम्भालता नहीं है ग़म निकाले निकलता नही है एक मेरा जनाजा उठा है लोग कंधा बदलते चले है एक ढोली तुम्हारी उठी है कोई कंधा बदलता नहीं है क्या ख़बर थी ये जिन्दगी में आंसुओ से बहलाना पड़ेगा लेके रंजो आलम का जनाजा अपने कंधों पे चलना पड़ेगा उफ़ ये मोहब्बत रंजो आलम = दुःख दर्द
Shoaib Idrisi
कुछ इस तरह जिंदगी गुजार रहें हैं एक ना सुनने वाले सख्श को पुकार रहें हैं तेरी ही तरह बे-अदब लोग है तेरे सहेर के हम आप कैह रहे हैं वो तुकार रहें हैं तनहा तनहा हो गऐ इतने अफसुरदा के अपने हाथों अपने घर को उजाण रहें हैं तुम्हारे साथ मैं कभी भी खुश नहीं रहा जितने भी दिन साथ थे तकरार रहें हैं ये मत पूछो कि मुझे अंधेरा क्यों पसंद है तुम्हारे बाद यही मेरे गम-गुसार रहें हैं ©Shoaib Idrisi अफसुरद= निढाल ग़म-गुसार= दुःख दर्द बांटने वाला #SAD