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Himanshu Prajapati
मुझे किसी बाबू सोना की कोई जरूरत नहीं है, मैं अकेले ही समुंदर में समाधि ले लूंगी...! ©Himanshu Prajapati मुझे किसी बाबू सोना की कोई जरूरत नहीं है, मैं अकेले ही समुंदर में समाधि ले लूंगी...! #Hope
Gurudayal Yash
Mahima Jain
प्रिय सांता बाबा, आशा करती हूं 2020 के इस मनहूस साल में आप और आपका परिवार उत्तरी ध्रुव में सुरक्षित होगा। (पूर्ण पत्र अनुशीर्षक में) प्रिय सांता बाबा, आशा करती हूं 2020 के इस मनहूस साल में आप और आपका परिवार उत्तरी ध्रुव में सुरक्षित होगा। अब आपको क्या ही लिखूं, सब तो आप ज
Anshula Thakur
"वो कुछ दिन की मेहमान है, एक बार उससे मिल तो आओ !" माँ मुझे कह रही थी, मगर मैं अतीत की यादों में डूबी थी और उसके ही बारे में सोच रही थी। कितना अच्छा वक्त होता है बचपन, कोई खोट ना लिए मन में, बस हम भरपूर आनंद लेते हैं उस समय जीवन का । वो भी मुझे उसी बचपन में मिली थी । थोड़े ही वक्त में हम कितने अच्छे से जान गए थे एक दूसरे को। सुबह से शाम बस एक दूसरे के साथ ही रहती हम दोनों। मगर आज मैं उससे मिलने जाने के लिए आनाकानी कर रही थी, माँ की समझ से परे थी ये बात। कुछ राज़ ऐसा था हम दोनों के दरम्यान, जो हमें बस एक दूसरे से दूर करता गया । आज भी याद है मुझे काॅलेज की फेयरवेल थी , सब लोगों ने साथ में तस्वीरें ली , और वादा किया कि सभी एक दूसरे से समय समय पर बात किया करेंगे। मैं स्टेज से सभी को धन्यवाद दे रही थी, मुझे किसी के भी नम्बर पता की फिक्र नहीं थी ,जानती थी आशिमा से सब ले लूंगी। और एक नम्बर की आस सबसे ज्यादा थी मुझे, दो साल से उसे मन ही मन चाहने लगी थी ,मगर इनकार के डर से कभी कह नहीं पाई। सब प्रोग्राम खत्म हुआ, मैंने आशिमा से सबके नम्बर मांगे, मगर वो बोली, "साॅरी यार! जो तुझे चाहिए था ,वो मेरे पास नहीं है " दुःख तो बहुत हुआ मुझे, मगर किस्मत का फैसला मानकर मैंने आगे की तैयारियां शुरू कर दी । दूसरी तरफ आशिमा का मिलना कम हो गया था। कुछ दिनों बाद पता चला कि आशिमा ने शादी कर ली, अमित से! मेरे अमित से ????? बहुत से सवाल मन में आ जा रहे थे, मन किया उससे जाकर पूछं ऐसा क्यों किया , क्या दोस्ती निभाई उसने । मगर जाने क्यों मैं चुप रही और बस अपने करियर पर ध्यान देना शुरू किया। आज 5 साल बाद .......... "अंश एक बार आप मिल लो ,प्लीज!उसकी सांसें आप में ही अटकी हुई है " एक परिचित सी मधुर आवाज़ ने मेरी तंद्रा भंग की। मुड़कर देखा तो अमित सामने था। आज भी याद है मुझे, ये आवाज़ ...... उसकी बात कैसे टाल सकती थी , बस उसके पीछे चल दी, आशिमा को देख मैं आँसू ना रोक पाई। चुलबुली ,बेहद खूबसूरत मेरी प्यारी दोस्त आज ऐसे हालात में थी , पता चला कि उसका एक्सीडेंट हुआ था, वो अपने बच्चे को बचाने के लिए खुद की जिंदगी से खेल गई। "अंश, मेरे बच्चे की माँ बनोगी ? " उसने कांपती आवाज़ में मुझसे पूछा तो मैं अमित की ओर देखने लगी । आशिमा को ऐसा देख मानों उसकी जान निकल गई हो। "अंश हम दोनों स्कूल से ही एक दूसरे को चाहते थे, बस घरवाले कभी राज़ी नहीं हुए हमारे रिश्ते के लिए। और तुमसे हमेशा मैंने ये बात छिपाई ,मुझे माफ़ कर दो । मैं जानती हूँ तुम अमित को कितना चाहती थी और मुझे भी तुमने कितना प्यार दिया, मेरे बाद इन दोनों का कोई भी नहीं है । मुझे किसी से कोई उम्मीद नहीं, क्या वही प्यार तुम मेरे बच्चे को दोगी ? अमित को आज भी वैसे ही चाहोगी ?" ........ "माफ़ कर सको तो करके , नई शुरुआत करो ,प्यार कभी खत्म नहीं हो सकता बस दिन-ब-दिन बढ़ता जाता है " " जिंदगी जी लो भरपूर, सांसों का क्या!आज है कल नहीं " कहते कहते वो तो चली गई मगर मुझे सिखा गई कि कैसे जिंदगी कभी भी टाटा बाए बाए कह सकती है और प्यार के अलग मायने क्या हैं, उसकी आखिरी सांसें मुझे जिंदगी की परिभाषा सिखला गई। #Akhiri_shabd #Kahaniya #storytelling #life #nojotowritersclub #nojotoquotesforall #nojotohindi #anshulathakur #khamosh_pal "वो कुछ दिन की म
अशेष_शून्य
तोहफ़ा ज़िंदगी को 🦋 Dedicating a #testimonial to मृणाल चतुर्वेदी🐼 मृणाल ! चलो ना कहीं घूमने चलते हैं तुम सोच रही होगी आज क्यूं ? आज तो तुम्हारा जन्मदिन है अ
Hrishabh Trivedi
Welcome to Ajoobanagar (Part 2) डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 Part 1👉 #hr
Arun kr.
लूंगी भुइंया वजह आपके बंजर में भी हरियाली आई साथ मे गांववालों के जीवन में खुशहाली आई आसान नही था अकेले कर पाना पर हर नामुमकिन संभव हुआ 30 वर्ष लगे 3 किलोमीटर नहर बनाने में पर वक़्त न लगा आपके जय जयकार होने में उम्मीद औऱ आश जगा रहा सार्थक होगा ये सपना यही आश लिये इसमें लगा रहा बहुतों ने आपके मन को तोड़ा होगा अकेला नही कर पाएगा बोला होगा पर जुनून न छोड़ी आपने सच कर दिया सपना सबके सामने है आप जनजीवन के प्रेरणा स्रोत नमन है आपको आपके हौसलो पर जो माँ,माटी और मानुष को शीतल किया फिर से दशरथ मांझी के बाद बिहार का नाम रौशन किया। #लूंगी भुइयां
meena
याद आएगी हर रोज, मगर तुझे आवाज न दूंगी लिखूंगी हर दिल की कसक तेरे लिए मगर तेरा नाम न लूंगी। ©meena #नाम न लूंगी