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Digambar Bhor
हे मानवा नको तोडुस मला मी तर अरे जिवन देतो तुला! हे मानवा नको तोडुस मला! माझ्या मायेच्या सावलीची उब देईल तुला! हे मानवा नको तोडुस मला! माझ्या नसण्याची खंत वाटेल तुला! हे मानवा नको तोडुस मला! एक दिवस माझ्या नसण्याने मृत्यू येईल तुजला! तेव्हा मात्र मी काही करू शकणार नाही माझ्या पि्य मुला! लेखक. दिगंबर भोर. बुलढाणा ©Digambar Bhor बुलढाणा #gaon
Suneel Kashyap
देखो यार......... ऐसा नहीं है कि हमें महंगी चीजें पसंद नहीं है या हमको शौक नहीं है दरसल.......... हमने कम उम्र से ही जिम्मेदारियां ले ली है इसलिए झूठी शान से अच्छी हमको अपनों की खुशियां लगती हैं जिम्मेदार लोग मजबूरियों में नहीं अपनों की खुशियों में जीते हैं ©Suneel Kashyap पुरुषोत्तम #vacation
Tarakeshwar Dubey
पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है कलियुग बैठा शीर्ष संतरी, बोलो अब इमान कहां है। आदम नर भक्षी हो गए है, बतलाओ इंसान कहां है। ढोंगी सब बाबा बने हैं, पंडित अब गुणवान कहां हैं। ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। दशहरा पर शीश बेंधने निमित्त, चले आते छद्म एकानन, रंग बिरंगे फूल हार ले, सजाते निज सरीखा दूजा आनन। काठ पुतला रोवे भाग कोस, अब यहां भगवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। विद्यालय बना शिक्षा व्यापारी, सदगुरु का मान भुलाया, मानव अंग बेंच बेंच कर, चिकित्सक का मन भरमाया। हृदय में हरि निवास कराए, अब भक्त हनुमान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। अब आरुणी सा शिष्य कहां, जो गुरु का बढ़ाये मान, राम सरीखा न्यायी कहां जो, प्रजा हित का रखे ध्यान। भार्या से भी कर मांग करे, हरिशचंद्र सत्यवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। चरण पादूका निज शीश धरे, भ्रातृ प्रेम पर तजे राज, धरती पर ही शयन करे, छोड़ महल के सुख साज। भरत सरीखा अमर दानी, मन का वह धनवान कहां है, ढूंढ रहा रावण महफ़िल में, पुरुषोत्तम श्रीराम कहां है। ©Tarakeshwar Dubey पुरुषोत्तम #Dussehra2020
संजय श्रीवास्तव
कुछ प्रश्न अभी भी झिंझोड़ते है राम के आदर्श जीवन में कैसे उतार लूं कैकेयी के कपट जानकर भी दशरथ के आदेश को कैसे मान लूं नहीं चाहिये था राजपाट फिर क्यूँ भोगुं वनवास पत्नी होने का कर्तव्य निभाने में सीता ने हर कदम दिया साथ वही जनक दुलारी अथाह वेदना विछोह मे कैसे गुजारी होंगी दिन और रात अनुज लक्ष्मण को कहां रोक पाये उर्मिला के मूक दर्द को कहां समझ पाये कांप जाता हूँ ये सोचकर क्या होता हनुमान जैसा भक्त यदि नही मिला होता कैसे मिलती संजीवनी और रावण की सोने की लंका कैसे जला होता! हे मर्यादा पुरुषोत्तम! मै कलयुगी प्राणी कैसे समझु महिमा तुम्हारी तुम्हें तो लेना ही था वनवास तुम्हें ही तो करना था उद्धार अहिल्या का! और अधर्मी लंकापति का विनाश! संजय श्रीवास्तव मर्यादा पुरुषोत्तम
Lalit Tiwari
दीपों की उज्जवल ज्योति में,अपने मन का तिमिर मिटाएं, आओ हम सब दिया जलाएं, सोए भारत - भाग्य जगाएं, राम जन्म , मर्यादा - परिचय,अखिल विश्व को हम दिखलाएंदीपों की उज्जवल ज्योति में,अपने मन का तिमिर मिटाएं, आओ हम सब दिया जलाएं, सोए भारत - भाग्य जगाएं, राम जन्म , मर्यादा - परिचय,अखिल विश्व को हम दिखलाएं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम
Rajendra Kumar Ratnesh
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम राजा दशरथ के बड़े पुत्र थे। जगत प्रसिद्ध श्री राम थे नाम। पूरे अयोध्या ने जश्न मनाये, जब लिए जन्म श्रीराम।। महर्षि विश्वामित्र संग वन गए, ज्ञान प्राप्त करने श्रीराम। राजघराने में सन्नाटा पसरा, चारों भाई गए जब गुरुकुलधाम।। गुरुकुल में विद्या ग्रहण करते, साधु संतों के रक्षक बने थे श्रीराम। जनकपुर धाम में स्वयंवर में गुरुसंग, जाकर तोड़े शिवधनुष श्रीराम।। अपने जीवन में मृत्यु पर्यंत, किए धर्म और मर्यादा का पालन श्रीराम। देव , असुर , जनमानस का किए कल्याण, ऐसे थे हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम।। सृष्टि का अमर कृति बन गए, कर्मवीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम। उनके कृति समाज के लिए आदर्श हैं, ऐसे थे हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम। - राजेन्द्र कुमार मंडल सुपौल (बिहार) 📧ratneshwriter@gmail.com ©Rajendra Kumar Ratnesh #मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम #NojotoRamleela