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अमित अनुपम
हुआ भरी सभा में ऐलान। सीता देंगी सती होने का प्रमाण। पूरी प्रजा को बुलाया जाए। यक्ष गंधर्व जो आना चाहे आ जाए। कल सीता को आना होगा। है पावन, सिद्ध कर दिखलाना होगा। पूरी सभा थी सन्न या फिर मौन राजा राम को दे चुनौती कौन? महर्षि वाल्मीकि देवी सीता लाए। अपने मुख से सीता चरित्र सुनाए। प्रभु राम ने फिर शीश नवाया। वाल्मीकि को सादर बतलाया। हे ब्रह्मर्षि, हे देव, हे महात्मा। सीता में निहित है मेरी आत्मा। सीता पर नहीं, मेरा मन भरमाया। मैंने तो सिर्फ है राजधर्म निभाया। थीं मां सीता चुपचाप खड़ी। हृदय में बसाए संताप बड़ी। सब की आंखे थी नम। ये कैसी विपदा कैसा मातम? फ़िर सीता ने अपना वचन सुनाया। दिल में मेरे, मैंने बस राम ही पाया। मन, कर्म, वचन से मैं राम की हूं। मैं सिर्फ रघुनंदन की जानकी हूं। यदि मैं हूं पावन और पवित्रतमा। अपने आगोश में ले ले धरती मां। सभासद देख रहे थे, हो लाचार। फटी धरती बीच राम दरबार। सहसा बिजली कौंधी आंधी आई। सीता को लेने धरती मां खुद अाई। सीता चली गई अपने धाम। कर सबको आखिरी प्रणाम। पर यह यक्ष प्रश्न तो उठ खड़ा है। क्यों नारी को अपमानित होना पड़ा है? नारी मां, पत्नी, या फिर हो बहन। हर रूप में हो उनका जीवंत पूजन। सीता की व्यथा।
काकू सराधना
राम भी याद रहे और रावण भी याद रहे, दुनिया ने सीता को ही भुला दिया आज की सीता
ShwetaRai
#5LinePoetry 🌹🙏💐जय सिया राम🙏🌹💐 सीता नवमी की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को 🙏💐🌹 ©ShwetaRai सीता नवमी की शुभकामनाएं
Kishan Prajapat
अरे जनाब वह तो मन ही तो था जो आपके खयालो मैं खोया हुआ रहता था लेकिन यह मेरा दिल है जो आप ही की या दो मैं धड़कता है ©Kishan Prajapat दिल की आवाज दिल की आवाज #guru
#अनूप अंबर
मां सीता की वेदना मैं रघुनंदन की प्यारी सीता ,,जनक दुलारी परम पुनीता चंद्र भाल पर सुशोभित जैसे,,मैं वो ही हूं चंदन का टीका !! सारे वचन निभाए मैने,,हर दुख हंस कर उठाए मैने लंकेश ने छल से हरण किया,,पर प्राण नही तज पाए मैंने एक एक दिन वर्ष से बिताए मैने,,अशोक में शोक मिटाए मैने रघुकुल को मान दिया मैने,,,उम्मीद के दीप जलाए मैने अग्नि का स्नान किया मैने,, पवित्रता का प्रमाण दिया मैने रावण का वध किया नाथ ने,,हर्षित हो कर अवध पहुंची लेकिन मेरी अभागी नियति,,कहां चैन से रहने देती निष्कलंक होते हुए भी,,प्रभु ने मुझको क्यूं त्यागा हाय मेरी किस्मत में,,विधि ने लिखा विपिन अभागा, ना कोई सहारा दिखता है,ना कोई हमारा दिखता है हर तरफ सिर्फ तम की छाया है,आंख से आंसू रिसता है सोचा की प्राण त्याग दूं मैं,लेकिन विधि फिर रोका है ऋषि बाल्मिमिक सीता को,आकर के तभी टोकते है मत प्राण तजो सुता मेरी,तुझमें रघुकुल के अंश पलते है अपनी आश्रम में महर्षि,सीता को ले चलते है लव कुश नाम के दो बालक,सीता जी ने फिर जन्मे है ।। अवधपुरी में रामचंद्र,अश्वमेघ यज्ञ तब करते है अश्व आगे आगे,पीछे योद्धा गण चलते है, आर्यावर्त विजेता सब,श्री राम को घोषित करते हैं वापसी में विजय अश्व को,लव कुश मिल कर रोक लेते हैं अवधपुरी की सेना को,खुली चुनौती देते है, अंगद भरत शत्रुघ्न लक्ष्मण,सबको परास्त वो करते है लंका के विध्वंशक हनुमत को,उनकी पूंछ से बांध देते हैं खलबली मची थी अवध पूरी में, हे राम तुम्हारे सहारे है जो मायावी लंका पति से ना हारे,वो दो बच्चों से हारे हैं लगते कितने कोमल कोमल,लेकिन जलते अंगारे है हे रामचंद्र दया अब करो, सब जीत के सब कुछ हारे हैं रथ पर सवार श्री राम हुए,धनुष बाण कर थाम लिए लव कुश से लड़ने के खातिर,श्री रामचंद्र तैयार हुए लव कुश के व्यंगो से,आहत प्रभु श्री राम हुए सर का संधान किया धनु पर,तब प्रगट बाल्मिक तत्काल हुए हे राम अनर्थ हो जायेगा,समस्त विश्व विनाश हो जायेगा जो पिता कोई अपने सूत पर,कोई दिव्य शस्त्र चलाएगा तब भेद खुले मन के सारे,सोचा सीता के सौभाग्य है जागे लेकिन विधि के आगे,मानुष तो हर बार ही हारे सीता संग लव कुश भी आए,रामचंद्र ने कुछ आरोप लगाते सीता ने जब ना सुन पाए,विनती करी धरा फट जाए सीता समा गई भूमि में,देख के सब लोग चकराये अंबर अब ये कथा सुनाए,मां सीता ने बड़े दुख पाए त्रेता में श्री राम ने त्यागा,अब भी हैं लोग विसराये,, ©##अनूप अंबर मां सीता की बेदाना #leaf
R.J...Laik Ahmed
प्रेम का धन अपनों का संबंध, हमेशा पास और हमेशा खास होते हैं...! ©R.J...Laik Ahmed #ramsita राम सीता की जोड़ी.....................