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Khushiram Yadav
जवानी के लालच में बचपन गया, 🥀 और अब कामयाबी के लालच में जवानी जा रही है 💔✨😔 ©Khushiram Yadav #FriendshipDay जवानी💔 Ishrat Tauheed Andy Mann पथिक.. PФФJД ЦDΞSHI Nîkîtã Guptā Anupriya Rajesh Arora Aariya writer chinki Arun Gorain
Jashvant
White एक वा'दा है किसी का जो वफ़ा होता नहीं वर्ना इन तारों भरी रातों में क्या होता नहीं जी में आता है उलट दें उन के चेहरे से नक़ाब हौसला करते हैं लेकिन हौसला होता नहीं शम्अ जिस की आबरू पर जान दे दे झूम कर वो पतिंगा जल तो जाता है फ़ना होता नहीं अब तो मुद्दत से रह-ओ-रस्म-ए-नज़ारा बंद है अब तो उन का तूर पर भी सामना होता नहीं हर शनावर को नहीं मिलता तलातुम से ख़िराज हर सफ़ीने का मुहाफ़िज़ नाख़ुदा होता नहीं हर भिकारी पा नहीं सकता मक़ाम-ए-ख़्वाजगी हर कस-ओ-ना-कस को तेरा ग़म अता होता नहीं हाए ये बेगानगी अपनी नहीं मुझ को ख़बर हाए ये आलम कि तू दिल से जुदा होता नहीं बारहा देखा है 'साग़र' रहगुज़ार-ए-इश्क़ में कारवाँ के साथ अक्सर रहनुमा होता नहीं ©Jashvant एक वायदा Ek Alfaaz Shayri ज़हर Lalit Saxena Arun Raina Niranthara Publication
Jashvant
सब के लिए ना-पसंदीदा उड़ती मक्खी कितनी आज़ादी से मेरे मुँह और मेरे हाथों पर बैठती है और इस रोज़-मर्रा से आज़ाद है जिस में मैं क़ैद हूँ मैं तो सुब्ह को घर भर की ख़ाक समेटती जाती हूँ और मेरा चेहरा ख़ाक पहनता जाता है दोपहर को धूप और चूल्हे की आग ये दोनों मिल कर वार करती हैं गर्दन पे छुरी और अँगारा आँखें ये मेरा शाम का रोज़-मर्रा है रात भर शौहर की ख़्वाहिश की मशक़्क़त मेरी नींद है मेरा अंदर तुम्हारा ज़हर हर तीन महीने ब'अद निकाल फेंकता है तुम बाप नहीं बन सके मेरा भी जी नहीं करता कि तुम मेरे बच्चे के बाप बनो मिरा बदन मेरी ख़्वाहिश का एहतिराम करता है मैं अपने नीलो नील बदन से प्यार करती हूँ मगर मुझे मक्खी जितनी आज़ादी भी तुम कहाँ दे सकोगे तुम ने औरत को मक्खी बना कर बोतल में बंद करना सीखा है ©Jashvant कैद में रक्स Ravina jpr. Anjali Sharma Arun Raina –Varsha Shukla Nandani patel
Bhanu Priya
सब काम छोड़ के आधे निभाए उसने पहले अपने वो वादे जरूरी थे वह वादें मजबूरी के कुछ सुखे तो कुछ रसीले थे कुछ शांत तो कुछ नुकीले थे सब काम छोड़ के आधे निभाए उसने पहल अपने वो वादें। ©Bhanu Priya सब काम छोड़ के आधे निभाए उसने पहले अपने वो वादे जरूरी थे वह वादें मजबूरी के कुछ सुखे तो कुछ रसीले थे कुछ शांत तो कुछ नुकीले थे
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma