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Rahul
Dhaneshdwivediwriter
आंधी आकर दरवाजे पर खड़ी है पूरी कायनात भी सदमे में पड़ी है। सब काम छोड़ कर कमबख्त से अब मेरी सरजमी भी लड़ रही है। दम भर दिया जाबाज सपूतों ने जीतेंगें हमी जंग जो छिड़ी गयी है। साहसी हर योद्धा है यहाँ लड़ रहा हौसला अफजाई कर जनता खड़ी है। दम भर दिया जाबाज सपूतों ने जीतेंगें हमी जंग जो छिड़ी गयी है। @कोरोना
indira
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जिंदगी में कम ज़्यादा कुछ नही और उम्र कभी मायने नही रखती, कर जाओ कुछ ऐसा कि याद करे जमाना, कहलाओ महान हस्ति। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏RIP🙏🙏🙏🙏🙏🙏 98 के उम्र में जाबाज जज्बा रखते थे आज हम सब के बीच एक अभिप्रेणा की मूर्ति ओझिल हो गए परमात्मा इनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे🙏🙏🙏🙏🙏
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रिया चार वर्ष की छोटी बच्ची हैं और उसके माता पिता दोनों ही कामकाजी थे,माँ शिक्षिका थी और पिता हॉस्पिटल में लेब्रोटरी थे, इस महामारी में दोनों ही घर से बाहर रहते थे, क्योंकि इस मुश्किल घड़ी में देश का साथ देना था,वो दोनों रिया से बहुत प्यार थे, परन्तु कोरोना के डर के कारण रिया उन के प्यार से वंचित रह जाती थी,वह अकेले ही माँ पापा की याद में रोते रोते सो जाती पर माँ बस दूर से ही समझा पाती और कहती बच्चा कुछ दिनों की ओर बात हैं मैं तुम्हें बहुत प्यार दूँगी धीरे धीरे दिन बढ़ते गए ,और कोरोना का आंकड़ा भी,पर दोनों ही अपने काम पर जाते रहे, माँ की विद्यालय में आहार वितरण की ड्यूटी लगाई गई और माँ कोरोना पॉजिटिव हो जाती हैं, और पिता भी इसकी चपेट में आ जाते हैं और दो दिन बाद पिता की मृत्यु हो जाती हैं, ओर माँ को हॉस्पिटल में आइसोलेट किया और उनका इलाज चल रहा था रिया अब बहुत सहमी हुई होती हैं पिता की कमी और माँ का भी इस भयानक बीमारी से पीड़ित होना यह सब रिया के लिये दर्दनाक था और माँ के द्वारा दिया गया हौसला उसके आँसुओ को कहीं रोक देता हैं पर अगले ही दिन माँ की मौत की खबर से रिया के आंसुओं को रोकने की कोई वज़ह नजर नही आई और रिया की आँसुओ से भरी होती हैं रिया उस पँछी की भांति हो जाती हैं जैसे"उस पँछी की आँखों मे आँसू थे" अब कोई भी दिलासा देने वाला न बचा रिया का अकेला हो जाना सबसे दुखदाई होता हैं। यह कहानी मेरे लिए अल्फाज़ो में लिखना बहुत ही अविषम्य करूणा से भरा था ,क्योंकि की मैं इसकी प्रत्यक्षदर्शी हूँ। आज भी इन कोरोना वॉरियर्स ने दे
Md Adnan Rabbani
मिल के दो आब, दोआब बन गए। वो चिंगारियां से अब चिराग बन गए।। थे कबसे जो दिल में कुछ आस लिए। वो जलवाए जुनून से जाबाज बन गए।। मुखालफत - ए - इश्क़ में यूं साजिशें हुईं। गरक हुए संग जो शैलाब बन गए।। ना दें नसीहतें, रखें, काम देगा। अब कली ना रहे के गुलाब बन गए।। दो किस्म की आग है पता है रब्बानी। दिल जल के ख़ाक, मोम शीमाब बन गए।। Adnan Rabbani's Shayari • #मिल के दो #आब, दोआब बन गए। वो #चिंगारियां से अब #चिराग बन गए।। थे #कबसे जो #दिल में कुछ #आस लिए। वो #जलवाए #ज
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ਅਮਰਤਵਤਾ ਸੇ ਉਤਪਨ ਵੋ ਸ਼ਹੀਦ ਨੇਕ ਆਤਮਾ ਹੈਂ, ਛੋੜ ਸ਼ਰੀਰ ਜਿਸਸੇ ਵਸਲ ਕਰੇ ਵੋ ਓਰਾਮਤਮ ਹੈ, ਏ ਜਵਾਨੀ ਕੋ ਬਹਾਤੇ ਹੈ, ਮਾਤਰ ਰਵਾਨੀ ਕੇ ਜੈਸੇ, ਦੀ ਜੋ ਅਹੁਤੀ ਦੇਸ਼ ਰਾਕਸ਼ ਮੇਂ, ਭੁਲ ਜਾਇ- ਉਨ੍ਹੇ ਕਿਸੇ? ਵੋ ਬਲੀਦਾਨੀ ਜਨਮੋਜਨਮ ਅਮਰ ਕਾਹਲਾਏ, ਵੋ ਹੀ ਜਾਂਬਾਜ ਜੋ ਦੇਸ਼ ਕੇ ਹਿੱਟ ਮੇ ਜਨ ਗੰਵਾਏ। शहीद (पंजाबी) अमरत्वता से उत्प्न वो शहीद नेक आत्मा है, छोड़ शरीर जिससे वस्ल करे वो परमात्मा है, ये जवानी को बहाते है, मात्र रवानी के जैसे,