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Deep Kushin
नश्वरता ये शब्दों का आलाप ये बेवजह प्रलाप, ये संकट और विचार ये दु:ख से भरा विलाप, सब खत्म हो जाएगा एक दिन धरती नश्वर है, मर जाएगा एक दिन। जीने का मद नित बढ़ रहा भाव यह मौत की ओर ले जाएगा, ताकत, पद, मान, संपत्ति, और धन सब धरा का धरा रह जाएगा। पुरजोर ताकत तुम लगाओगे फिर भी कुछ हाथ में ना आएगा, क्या! अंतस है उपाय तुम्हारे रक्षण का! और अध्यात्म तुम्हें बचाएगा!? ये तो उपाय है उस मौत का जो मोक्ष प्राप्त करवाएगा, नश्वर है शरीर, मरना हीं है फिर कब तक ये बच पाएगा? अध्यात्म का अनुसरण परम आवश्यक है ये जीत है उन सभी भावों का, डर, शोक, संताप का अध्ययन करो और अध्यात्म से उपजे प्रभावों का। मृत्यु अटल सत्य है फिर भाव हो, गात हो, या की समस्या, पैदा हुआ तो नष्ट भी होगा चक्र जानो ना कि हत्या। नश्वरता परम ज्ञान है नश्वर है इंसान, कलुषित भाव और मोह को दूर करेगा ध्यान। जो पैदा हुआ वो मरेगा भी यही ज्ञान है नश्वरता का, सहृदय अपनाना इस सीख को संकेत है इश्वरता का। ये मौत है, स्पर्धा नहीं जो जितना इसे तुम चाहते हो, यह सत्य है, कोई राज्य नहीं जिसपर अधिकार तुम चाहते हो, ये खुशी है कोई गम नहीं जिसे मिटाना तुम चाहते हो, ये सच्चा गरल है, अमृत नहीं जिसे पाना तुम चाहते हो, नश्वर है इच्छा भी तुम्हारी ठीक इस शरीर के समान जिसे बचाना तुम चाहते हो, मरेगा ये इच्छा भी इस शरीर के साथ जिससे नित भय तुम खाते हो, अब समझ जाओ कुछ अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं, भ्रम शायद अब दूर हुआ, मर सकता है जीव, लेकिन नश्वरता नहीं। #नश्वर_शरीर #नश्वर_इच्छाएं #नश्वरता #परम_सत्य
#नश्वर_शरीर #नश्वर_इच्छाएं #नश्वरता #परम_सत्य #कविता
read morekavita Shukla
इस नश्वर जग में प्रेम करने लायक दो वस्तुएं हैं: एक दुख और दूसर श्रम। दुख रहित हृदय निर्मल नहीं माना जाता और श्रमरहित मनुष्य का विकास नहीं होता।" निर्मल हृदय और श्रम युक्त मनुष्य जग में पूजनीय होता है और प्रेम से भरा हुआ होता है... कवि की लेखनी✍️✍️ ©kavita Shukla #नश्वर_जग #प्रेम
Arora PR
कहाँ टिक पाता है. सांझ का इंद्रधनुष क्षितिजो पर देर रात होने तक नशवरता का ये सिद्धांत हमें अस्तितव सिखाता है. लेकिन शांशश्वतता की आसक्ति से सममोहित हमारा मन इस नश्वरता को नहीं समझ पाता ©Arora PR नश्वरता
नश्वरता #कविता
read moreParasram Arora
जीवन कुछ नहीं हैँ बस उसे तो रण चुकाना हैँ इस देह का समय और काल शाश्वत हैँ नश्वर फूल अकेला हैँ इस उपवन का विस्तीर्ण हैँ सागर की सतह तो क्या हुआ आदमी का जीवन तो बस जैसे तिनके का राग रंग और उत्स्व की महिमा हैँ कितनी जब उतरा आँगन मे झोंका उस. महा मृत्यु का हैँ भविष्य कितना बादल पर बैठी उस बूँद का तपी चट्टान पर गिर जब वो बन जाती भाफ क्या कह सकेंगे हम ये पाप था उस नश्वरता का ? नश्वरता........
नश्वरता........
read moreज्योति ਠਾਕੁਰ
अगर अब भी घमंड है झूठी काया पर, तो एक रोज वहाँ भी जाओ ,जहाँ आज लाइन लगी है । #नश्वरता
Parasram Arora
टुकड़ो में बिखरा सपना मेरी जिंदगी की कभी भी सच्चाई क़ो व्यक्त नही कर सकता धरती पर बिखरी एक झरी हुई वृक्ष की पत्ती भी जानती है कि ये उसका अंत है पर मेरा स्वप्न अपनी नश्वरता पर कभी ऊँगली नही उठा पाता ©Parasram Arora स्वपन और नश्वरता....
स्वपन और नश्वरता.... #कविता
read moreParasram Arora
अमरता भी आज नश्वरता की गलियों मे भटक रही हैँ शाश्वत की अमरबेल जो घर घर उगी थी आज वो भी सड़ने लगी हैँ मरघट मे पुरषार्थ की अर्थी जल रही हैँ बासंती चमन मे क्यों फिर से आज मरुस्थलीय पतझर की घुसपेठ हो रही हैँ जिस दिन से जन्मा हैँ आदमी उसी दिन से मरने की तैयारी चल रही हैँ ये सजी संवरी सी शृंगारित कब्रे बाहे पसारे आलिंगन का आवाहन कर रही हैँ नश्वरता की गलिया........
नश्वरता की गलिया........
read moreSunita Bishnolia
जीवन के इस सत्य को, कर मानव स्वीकार। माना मृत्यु अटल है, ना जीवन हार। सुनीता बिश्नोलिया ©Sunita Bishnolia #suprbhat #सुप्रभात#नश्वरजीवन #goodmorning #RAMADAAN
Surbhi Sneha
प्रभुता की दौड़ में, तू हार को प्रारस्थ कर उपभोक्ता की चाह में, तू जीत को सुनिश्चित कर.... विडम्बनाओं की ढेर में, तू खोल चच्छु बिम्ब को अवधारणाओ की फेर में, तू सत्य को प्रतिबिम्ब कर.... नश्वरता की उलझनो में, तू कर्म पथ निर्माण कर अमरता की सुलझनो में, तू स्वपन को साकार कर.... #अमरता vs नश्वरता....
#अमरता vs नश्वरता....
read morepoonam atrey
नश्वर है सँसार, फिर अहंकार काहे का, कोई नही है संग फिर ,ये विचार काहे का, दुःख में साथ नही कोई,पर सुख हर कोई, रिश्ते हैं सारे भ्रम , फ़िर जंजाल काहे का, ख़ाली हाथ आये हैं ,खाली हाथ जाना है, क्यूँ दौलत पे जंग, ये तक़रार काहे का, माटी की देह ,एक दिन माटी में मिल जाएगी, बस मौत है अंतिम सत्य ,ये इंकार काहे का, ये रूप ये काया तो ,मात्र एक छलावा है, एक दिन ढल जाएगा रंग, तो गुमान काहे का, चार दिन की ज़िन्दगी ,क्यूँ पाप में बिताते हो, एक दिन हो जाओगे तंग,ये अभिमान काहे का।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #नश्वर