Find the Latest Status about नसेलिन नेसल स्प्रे from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नसेलिन नेसल स्प्रे.
OMG INDIA WORLD
दुनिया लेके बैठी थी *परमाणु* और ठोक गया एक *कीटाणु* 🤣🤣🤣🤣🤣🤣😂🤣: कल रात सपने में आया कोरोना.... उसे देख जो मैं डरा... 😢 तो मुस्कुरा 😊 के बोला :-- मुझसे डरो ना...।। कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति... न चूमते, न गले लगाते... दोनों हाथ जोड़ कर तुम स्वागत करते...।। वही करो ना... मुझसे डरो ना...। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 कहाँ से सीखा तुमने ?? रूम स्प्रे, बॉडी स्प्रे... पहले तो तुम धूप, दीप, कपूर, अगरबत्ती, लोभान जलाते... वही करो ना... मुझसे डरो ना...।।। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 शुरू से तुम्हें सिखाया गया... अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो... मत भूलो अपनी संस्कृति... वही करो ना... मुझसे डरो ना...।। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 सादा भोजन उच्च विचार... यही तो है तेरे संस्कार... उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना... मुझसे डरो ना...।। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 शुरू से ही पशु पक्षियों को पाला पोसा प्यार दिया... रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति..., उनका भक्षण करो ना... मुझसे डरो ना... ।। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺 कल रात सपने में आया *कोरोना...* बोला... अपनी संस्कृति का ही पालन करो ना... *मुझसे डरो ना...* ।।।।। ©OMG INDIA WORLD दुनिया लेके बैठी थी *परमाणु* और ठोक गया एक *कीटाणु* 🤣🤣🤣🤣🤣🤣😂🤣: कल रात सपने में आया कोरोना.... उसे देख जो मैं डरा... 😢 तो मुस्कुरा 😊 के बोला
Ravendra
प्याज में पनप रहा रोग ©Ravendra प्याज की सफलता में हो रहा है दाग और धब्बे रोग का प्रकोप बहराइच। अचानक मौसम ने करवट ले ली है और बारिश ने फिर से ठंड का आभास कराया है। बारिश
Ramvinay Prajapati
लाल रंग का पानी कहानी : रामविनय प्रजापति एक मच्छर था . नाम था उसका लुई . एक दिन लुई उड़ते हुए एक बगीचे में पहुंचा . बगीचे में एक आदमी बैठा ऊंघ रहा था . लुई उस आदमी के कान के करीब जाकर भनभनाते हुए बोला , " भाई साहब मुझे भूख लगी है जरा सा अपना खून चूसने देंगे . " वह आदमी कान के पास भनभनाते लुई मच्छर को हाथ से उड़ाने लगा .लेकिन लुई भी कहां मानने वाला था वह उस आदमी के पैर पर बैठ गया . यह देख उस आदमी ने जोर से चपत लगाई लेकिन लुई बड़ी चपलता से बच निकला . " क्यों मुझ जैसे दुबले पतले आदमी के पीछे पड़ा है , जा बगीचे के बगल में एक ब्लड बैंक है वहां जाकर जितना चाहे उतना खून पी ले , जा भाग . " वह आदमी बडबडाया " ब्लड बैंक यह क्या होता है ? " लुई ने एक पल रुककर सोचा , " चलो चलकर देख लेते हैं . " लुई ब्लड बैंक में गया . अंदर घुसते ही वह ठंड से कांपने लगा . " अरे बाप रे यहां तो बड़ी ठंड है . " उसके मुंह से निकला . अंदर का नजारा देखकर लुई की आंखें फटी रह गईं . अंदर खून से भरी बोतलें सजा कर रखी गईं थीं . " अरे वाह यह तो खून की फैक्ट्री है , यहां खून बनता है . अगर खून बनाने का तरीका मुझे आ जाए तो इंसानो के पास जाकर उनका खून चूसने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी , इंसान भी कितने जालिम होते हैं थोड़े से खून के लिए जान तक ले लेते हैं . " लुई मच्छर बैठा सोच रहा था तभी एक कर्मचारी की नजर उसपर पड़ गई . वह उसे देखते ही चिल्लाया , " अरे यह मच्छर अंदर कहां से आ गया , जल्दी से मच्छर भगाने वाला स्प्रे लाओ . " इतना सुनते ही लुई सर पर पैर रखकर बाहर भागा . ब्लड बैंक के बाहर एक शरबत की दूकान थी . लुई आकर शरबत की दुकान पर बैठ गया और शरबत वाले को देखने लगा . शरबत वाले ने पानी की एक बोतल में कोई पुड़िया खोलकर डाली और बोतल हिलाने लगा . थोड़ी ही देर में बोतल का पूरा पानी लाल हो गया . " अच्छा तो खून ऐसे बनता है और यहीं से ब्लड बैंक के अंदर जाता है . " लुई हैरानी से बोला , " सारा कमाल उस पुड़िया में है , मुझे वह पुड़िया हासिल करनी होगी . लेकिन इतनी बड़ी पुड़िया मुझ अकेले से उठेगी नहीं , हां चलकर अपने दोस्तों को बुला लाता हूं . " लुई ने जाकर जब अपने दोस्तों को खून बनाने के तरीके के बारे में बताया तो वे सब बहुत खुश हुए , और फौरन उसकी मदद को उड़ चले . लुई के एक दोस्त ने शरबत वाले का ध्यान भटकाने के लिए जोर से उसके पैर में काटा . शरबत वाला जब अपना पैर खुजलाने लगा तब लुई और उसके दोस्त एक पुड़िया लेकर उड़ गए . लुई ने लाई हुई पुड़िया को एक छोटे से पानी के गड्ढे में मिलाया , और जब पानी लाल हो गया तब उसने सब से कहा , " अब हमें इंसानो के खून की कोई जरुरत नहीं , आओ चलो पार्टी करते है . " फिर तो सारे के सारे मच्छर गड्ढे पर टूट पड़े . " यार इसका स्वाद कुछ अजीब सा है . " लुई के एक दोस्त ने कहा " इसे पीकर तो मेरी भूख भी नहीं मिटी . " दूसरे दोस्त ने कहा " मुझे तो उल्टी आ रही है " तीसरे ने कहा " हां दोस्तों, सच में मजा नहीं आया . " लुई बोला तभी उन लोगों ने बुजुर्ग मच्छर चाईं को अपने पास आते देखा " चाईं दादा जरा चखकर बताइए यह किस तरह का खून है ? " लुई ने उससे कहा चाईं दादा ने चखा और मुस्कराते हुए कहा , " अरे यह कोई खून नहीं यह तो लाल रंग का पानी है . " " मतलब हम खून बनाने में असफल रहे , ख़ून के लिए हमें इंसानों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा " लुई निराश होकर बोला " ख़ून तो अब तक इंसान भी नहीं बना पाए हैं हम मच्छर क्या ख़ाक बनाएंगे " चाई दादा ने कहा " शाम हो रही है मैं तो चला ." " कहां चले दादा ?" लुई ने पूछा " उन्हीं बस्तियों में जहां गंदगी होती है , घर का पानी खुला रहता है , और जहां जगह जगह गड्डों में पानी जमा रहता है इन्हीं बस्तियों में लापरवाही से घूमते हुए बहुत से इंसान मिल जाएंगे जिनका खून आसानी से चूसा जा सकता है ." चाई बोला ," तो कौन कौन मेरे साथ आ रहा है ?" " हम चलेंगे , हम चलेंगे " सब एक साथ बोल पड़े ©Ramvinay Prajapati लाल रंग का पानी कहानी : रामविनय प्रजापति एक मच्छर था . नाम था उसका लुई . एक दिन लुई उड़ते हुए एक बगीचे में पहुंचा . बगीचे में एक आदमी ब
Raveena
साइको का स्वयंवर...📢 पार्ट - पता नहीं🎇 साइको का स्वयंवर!!! Yq में जीनी ने साइको का स्वयंवर घोषित किया है।📢 कम्युनिटी हॉल में जो कुछ भी हुआ अभी तक लोगों का पूरी तरह से समझ नहीं
sandy
हे वाचल्या नंतर या जगात भुत आहे की नाही. हे तुम्हाला कोणालाच विचारायची गरज वाटणार नाही..........!रात्रि चे ११ वाजलेत, मी माझ्या या छोट्याशा