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Shashi Bhushan Mishra
सही-सही दो टूक कहा, दर्दे दिल को हूक कहा, जली दूध से जुबां हमारी, पियो छाछ भी फूंक कहा, ज़ुल्म देखकर भी चुप बैठे, अभिभावक को मूक कहा, कोयल की मीठी बोली पर, पीड़ा को भी कूक कहा, सीख नहीं पाए अतीत से, ग़लती को भी चूक कहा, इन्सां की बदहाली देखी, बक्से को संदूक कहा, 'गुंजन' हुई मुहब्बत अंधी, गदहे को माशूक़ कहा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #सही-सही दो टूक कहा#
#सही-सही दो टूक कहा#
read moreYashpal singh gusain badal'
White "सही वक्त" मैं कभी सही वक़्त पर बोलूंगा , जब मेरा वक़्त होगा, अभी बोलूंगा तो तुम कहोगे , क्या बकवास करते हो ? मैं बेवजह उस पार नहीं जाऊंगा, लोग पूछेंगे कौन हो ,क्यों आये हो ? मैं वहां उस वक़्त पर जाऊँगा, जब लोग मुझसे पूछेंगे, अभी तक क्यों नही आये ? मैं अपने दुखड़ा नहीं रोऊंगा , किसी के भी सामने ! वर्ना लोग बोलेंगे , रोना इसकी आदत है ! मुझे चुप रहना है तब तक, जब तक मेरी एक छींक पर भी लोग पूछें ! आप ठीक तो हैं न ! ©Yashpal singh gusain badal' #good_night सही वक़्त
#good_night सही वक़्त
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreDr.Priyanka Chandra
बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ©Dr.Priyanka Chandra #Parchhai love बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ..।।
#Parchhai love बे दिल ही सही उनकी चाहत हम कबूल कर बैठे इस कदर ही सही मोहब्बत से खुद को अब दूर कर बैठे ..।।
read moresc_ki_sines
White जीना हैं अकेले फिर भी लोगों के पीछे दुख के मेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों हम अब भी अकेले हैं जलते हैं अकेले ही यादों के दरिया में भी बुझती नहीं वो आग तफ़्दिशे जलन भी झेले हैं किसी के साथ होते हुए भी ना जाने क्यों मगर और भी अकेले हैं नसीब का लिखा वो ही जाने तक़दीर का दिया हुआ दर्द_ए _नसीब हम ने भी झेले है अब इस के बाद न जाने नसीब में क्या है ना आओ साथ हमारे जिंदगी में हमारे बहुत झमेले हैं ना याद आते अब वो लम्हे ना याद आते हो तुम कभी इस कदर मेरे सफ़र में ओ मुसाफ़िर कि अब तन्हाई इस कदर मेरी यादों में घुल गई कि ना अब कोई मिलता ना अब कभी बिछड़ता शायद अब हम अपने आप से भी नहीं मिलते कि अब हम अपने ध्यान से उतरे हुए से आसुओं के रेले हैं के ना अब कभी कहना मुझसे कि साथ चलने को तुम्हारे हम अपना सब कुछ छोड़ चलते हैं अब ना मिलेंगे हम ना वो हमारी मोहब्बत मिलेंगे तो सिर्फ हम और हमारी तन्हाई जिसको दिया तुमने और हमने वो जख्म सदियों से झेले है फिर ये खेल ना खेलो हमारे साथ समझ जरा ज़ख्मी हु और टूटे हुए इस कदर की फ़िर ना जुड़ सकू दोबारा जो खेल लोगों ने सदियों से खेले हैं मत आजमा ए ज़ालिम कि आवाज़ तक नहीं आएगी मेरे दर्द कि हम अब अकेले बहुत अकेले हैं ©Sonuzwrites #good_night ग़ज़ल ✍️
#good_night ग़ज़ल ✍️
read moreMr. Sahil Kumar
White एक मनुष्य हर किसी के लिये ग़लत नहीं हो सकता ⚖️ वह व्यक्ति किसी एक के लिये भगवान से भी बढ़कर होता है 🫂❤️ #सही_और_गलत ©Mr. Sahil Kumar #love_shayari सही गलत
#love_shayari सही गलत
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