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Rk Sharma
शीर्षक (जिम्मेदारियां)। सुबह 10:00 बजे पापा की डांट सुनने के बाद उठने वाला लड़का अब बिना किसी के कुछ कहे सुबह 5:00 बजे ही उठने लगा है। शायद उससे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। सुबह उठते ही बिस्तर में जिसको चाहे चाहिए होती थी आज बिना नाश्ते के ही हो ऑफिस जल्दी निकलने लगा है शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। खाने में हजारों नखरे करने वाला लड़का अब जैसा बनता है खा लेता है ।और देर रात तक जगने वाला अब जल्दी सोने लगा है ।शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। दोस्तों के साथ पार्टियों में हजारों रुपए उड़ाने वाला आज महीने की 10000 की तनख्वाह से भी कुछ बचाने लगा है शायद उसे जिम्मेदारियों का अहसास होने लगा है। घंटों दोस्तों के साथ बैठकर समय खराब करने वाला अब हर सेकेंड का हिसाब रखने लगा है अपने स्वयं के स्वपन को हकीकत करने के लिए सोचने वाला पापा के सपनों को सच करने में लगा है शायद उससे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है। शायद उसे जिम्मेदारियों का एहसास होने लगा है।। रविकांत शर्मा ©Rk Sharma जिम्मेदारियां।✍️ रविकांत शर्मा। #withyou
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - होली का त्यौहार। खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार। घर-घर से होने लगी फिर रंगों की बौछार। खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार। बच्चे बुढ़े और जवान सब मिल मस्ती में झूमें। ढ़ोल मंजीरे बजा-बजा कर गली-गली में घूमें। घूंघट में छुप भाभी रानी सब पर रंग बरसाये। ढ़ोल बजाकर पुरूष मंडली फाग अबीरा गाये। रंग बिरंगे मुखड़ों से फिर टपके प्रेम अपार। घर-घर से होने लगी फिर रंगों की बौछार। खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार। कहीं पे करता दिखता देवर भाभी का मुख लाल। कहीं बलम के साथ में गोरी करती दिखे कमाल। चढ़के अटारी भर पिचकारी बच्चे करें धमाल। मेरे भारत की होली है खुद में एक मिसाल। गुजियों की थाली में परोसती मायें हर घर प्यार। खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार। घर-घर से होने लगी फिर रंगों की बौछार। राम प्रभु भी अवध नगरिया खेल रहे हैं होली। रंगों में रंग निकलीं देखों कृष्ण लला की टोली। भगवा रंग में रंग गया भारत दुनियां सारी बोलीं। महाकाल भी खेल रहें हैं चिता भस्म से होली। होली की मस्ती में नाचे गाये अब संसार। घर-घर से होने लगी फिर रंगों की बौछार। खुशियाँ लेकर आया देखों होली का त्यौहार। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' ©Ajay Kumar Dwivedi अजय कुमार द्विवेदी ''अजय''