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Harpinder Kaur
एक संघर्ष की दुनिया में जी रही एक बेरोजगार पीढ़ी चाट रही किताबों को दीमक की तरह...... रोज़....... दर रोज़ और कर रही इंतजार कि.... चाटी हुई किताबें एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे को......पूरा कर पाएंगी ©Harpinder Kaur # आखिर कब तक?
Vickram
White करके दोस्ती भी देख ली प्यार निभाकर भी देख चुका रिश्ते नाते भी देखें सारी परंपराएं निभा के देख लिया सोचता हूं क्या हासिल किया क्या खो दिया मैंने । पता ही नहीं चला इस नाटक में मेरा रोल क्या था। ड्रामा ज़िंदगी बड़ा ही COOl था । ©Vickram #Moon आखिर क्या पा लिया,,,
Sunil Kumar Maurya Bekhud
आखिर क्यों? आखिर क्यों? बढ़ती शिक्षा, बेहतर होते जीवन स्तर के साथ, बेतहाशा बढ़ रहे हैं, दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार ! मिल रहा है, पाखंड को सम्मान! हो रहा है, सत्य का अपमान! क्या हो गया है, आदमी को, बहकाना इतनी आसान? पढ़ाया जा रहा है, गलियों में नफरत का पाठ! कैसे कोई देगा, इंसानियत का साथ! डूबते का वीडियो, बनाती है भीड़, मदद के नाम पर, खड़ा करतें हैं हाथ! हर तरफ आबाद है, दलदल जानलेवा, धार्मिक उन्माद व जातिवाद के! खून तो बहता है, सिर्फ इंसान का, जब छुरे चलतें हैं, बेरहम जल्लाद के! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आखिर _क्यों?
Andy Mann
पुरूष जब स्त्री से हारने लगता है तो पहला हमला उसके चरित्र पर करता है..! ©Andy Mann #आखिर क्यों
Shivam Veer
आखिरकार.... सब याद आयेंगे जब यहां कोई नहीं होगा, जब दुनिया खाली लगेगी जब मंज़र तबाही का होगा, जब सब मुश्किल होगा जब बादल आग बन जाएंगे, जब आसमान काले पड़ जाएंगे जब हम हवाओं में घुल जाएंगे, जब सबकुछ जाता दिखेगा जब हम बूँदों के बहाव में तैर रहे होंगे जब सबकुछ धू-धू कर जल जाएगा, सब याद आयेंगे आज, तो हम सुन सकते हैं आज, हम कुछ कह सकते हैं, हम बातें कर सकते हैं हम आपस में मुस्करा सकते हैं, लेकिन, कल ? शायद आंखें धुंधली हो जाएं, शायद कान बेअसर लगने लगे जब मैं कोई दुवा सुन न पाऊँ, जब तुम सामने रहो, मैं देख न पाऊँ तब मैं तुम्हें मुस्कराते कैसे देखूँगा, कैसे सुनूँगा मैं तुम्हारी प्यारी आवाज जब सबकुछ बिखर जाएगा, जब कुछ नहिं होगा, कुछ भी नहिं मैं उन आसमानों को आखिरी बार देखूँगा, या देखूँगा चारदीवारी में एक छत ये वो आखिरी पल होगा, इस जिंदगी का जिसमें तुम रहे, तुम्हारी मुस्कराहट, तुम्हारी यादें यूँ ही खामोशी की तरह बढ़ते हुए, जब सब धुँधला हो जाएगा फिर भी तुम्हें देखूँगा, मुस्कराते हुए, जब हर जगह सन्नाटा होगा, जब मैं सुन्न होने लगूं तुम्हें याद करूंगा, तुम्हारा चेहरा, इसी सन्नाटे में मैं तुम्हें सुनते हुए, तुम्हारा नाम लेते हुए पहाड़ों में, नदियों के शोर में खो जाऊँगा फिर भी जब तुम मुझे पुकारोगी, मैं हवाओं में आऊंगा तुम्हें छु कर वापस चला जाऊँगा....... फिर भी आखिरकार, सब अच्छा होगा ©Shivam Veer आखिरकार #अंत #LastDay #lastbreath #End #love❤ #selflesslove
Riya Singh
क्या सांसों में घुल जाने को इश्क कहते हैं,किसी की खुशी में मुस्कुराने को इश्क कहते हैं या किसी के गम में आंसू बहाने को इश्क कहते हैं आखिर किसे कहते हैं इश्क क्या हालात का हवाला देकर भूल जाने को इश्क कहते हैं सूट वाली से प्यार कर उसके बदन से दुपट्टा हटाने को इश्क कहते हैं या तुम वर्जिन हो न ये पूछ कर दिल लगाने को इश्क कहते हैं? पैसे से प्यार बिकता हैं जहां खूबसूरती के दीदार के बाद प्यार का फूल खिलता है ?? ©Riya Singh आखिर किसे कहते हैं इश्क....