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Kishan Jeengar
एक उम्र वो थी कि जादू में भी यक़ीन था, और एक उम्र ये है कि हक़ीक़त पर भी शक़ है। #NojotoQuote #उम्र का #जादू।।।। #उम्र का #जादू।।।।
MANVENDRA SINGH
#लस्सी_का_गिलास( हमारा इन्दरगढ ) एक दुकान पर लस्सी का ऑर्डर देकर हम सब दोस्त- आराम से बैठकर एक दूसरे की खिंचाई और हंसी-मजाक में लगे ही थे कि, लगभग 70-75 साल की बुजुर्ग स्त्री पैसे मांगते हुए हमारे सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो गई। उनकी कमर झुकी हुई थी, चेहरे की झुर्रियों में भूख तैर रही थी। नेत्र भीतर को धंसे हुए किन्तु सजल थे। उनको देखकर मन में न जाने क्या आया कि मैंने जेब में सिक्के निकालने के लिए डाला हुआ हाथ वापस खींचते हुए उनसे पूछ लिया: दादी लस्सी पियोगी? मेरी इस बात पर दादी कम अचंभित हुईं और मेरे मित्र अधिक क्योंकि अगर मैं उनको पैसे देता तो बस 5 या 10 रुपए ही देता लेकिन लस्सी तो 20 रुपए की एक है। इसलिए लस्सी पिलाने से मेरे गरीब हो जाने की और उस बूढ़ी दादी के द्वारा मुझे ठग कर अमीर हो जाने की संभावना बहुत अधिक बढ़ गई थी। दादी ने सकुचाते हुए हामी भरी और अपने पास जो मांग कर जमा किए हुए 6-7 रुपए थे, वो अपने कांपते हाथों से मेरी ओर बढ़ाए। मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैने उनसे पूछा, ये किस लिए? इनको मिलाकर मेरी लस्सी के पैसे चुका देना वेटा। भावुक तो मैं उनको देखकर ही हो गया था। रही बची कसर उनकी इस बात ने पूरी कर दी। एकाएक मेरी आंखें छलछला आईं और भरभराए हुए गले से मैने दुकान वाले से एक लस्सी बढ़ाने को कहा। उन्होने अपने पैसे वापस मुट्ठी मे बंद कर लिए और पास ही जमीन पर बैठ गई। अब मुझे अपनी लाचारी का अनुभव हुआ क्योंकि मैं वहां पर मौजूद दुकानदार, अपने दोस्तों और कई अन्य ग्राहकों की वजह से उनको कुर्सी पर बैठने के लिए नहीं कह सका। डर था कि कहीं कोई टोक ना दे। कहीं किसी को एक भीख मांगने वाली बूढ़ी महिला के उनके बराबर में बिठाए जाने पर आपत्ति न हो जाये। लेकिन वो कुर्सी जिस पर मैं बैठा था, मुझे काट रही थी। लस्सी गिलासो में भरकर हम सब मित्रों और बूढ़ी दादी के हाथों मे आते ही मैं अपना गिलास पकड़कर दादी के पास ही जमीन पर बैठ गया क्योंकि ऐसा करने के लिए तो मैं स्वतंत्र था। इससे किसी को आपत्ति नहीं हो सकती थी। हां, मेरे दोस्तों ने मुझे एक पल को घूरा, लेकिन वो कुछ कहते उससे पहले ही दुकान के मालिक ने आगे बढ़कर दादी को उठाकर कुर्सी पर बैठा दिया और मेरी ओर मुस्कुराते हुए हाथ जोड़कर कहा: ऊपर बैठ जाइए वेटा ! मेरे यहां ग्राहक तो बहुत आते हैं, किन्तु इंसान तो कभी-कभार ही आता है । दुकानदार के आग्रह करने पर मैं और बूढ़ी दादी दोनों कुर्सी पर बैठ गए हालांकि दादी थोड़ी घबराई हुई थी मगर मेरे मन में एक असीम संतोष था। तुलसी इस संसार में, सबसे मिलिए धाय। ना जाने किस वेश में, नारायण मिल जाय।। ©manvendra singh लस्सी का गिलास.. #Saffron
Tinshu
ग़ज़ल जो पढ़ी खुबसूरत,बुरा हाल हो गया। जंग हुई खुद ही के दिल से, जाने क्यू इतना बवाल हो गया।। #ग़ज़ल का जादू।।
Aajay Rajpuuri
कौन कहता है प्यार मे जादू नही होता एक बार प्यार कर के तो देखो जादू सर चढ़ कर बोलेगा ©Aajay Rajpuuri #प्यार का जादू
Shishpal Chauhan
आपके हुस्न ने हमें मदहोश कर दिया, बुढ़ापे में दिल में जोश भर दिया। नैनो के खंजर से वार कर दिया, मेरे दिल को तूने तार तार कर दिया। मंद मंद मुस्काती रही, आंखों से आंखें टकराती रही। बेवफाई करके तूने दिल तोड़ दिया, आंखों को तूने आंसुओं के हवाले कर दिया। गैरों से ताल्लुक रखती रही, शर्मसार मोहब्बत को करती रही। नुमाइश बदन की वह करती रही, करके बदनाम हमारे दिल से खेलती रही। चरित्र उसने साबित कर दिया, हवस का पैमाना उसने पर कर दिया। हमने शर्म के मारे घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, जख्म जो दिल पर तुमने गहरा दिया। ©Shishpal Chauhan #हुस्न का जादू
Pushpendra Pankaj
चेहरे का जादू चला, वो पास से निकले। एक सम्मोहन मिला, फिर फूल से खिले । बातों से पहले दूर किए पिछले कुछ गिले। तब कहीं जाकर हमारे, मन से मन मिले। और भी आवेदन मिले, संज्ञान ना मिला, बर्फ से वो जम गए, बिल्कुल नहीं पिघले ।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj चेहरे का जादू