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Ghumnam Gautam
White कहीं पर ख़त्म हो जाए कहानी वो नहीं होती कहानी चलती रहती है कहानी-दर-कहानी यार! ©Ghumnam Gautam #Road #कहानी #खत्म #यार #ghumnamgautam
AARPANN JAIIN
White अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है एक गहरा दर्द छुपा राहों में फिर भी तन्हाई का एहसास सड़कों की ये कहानी अधूरी सा ख्वाब ©AARPANN JAIIN अकेलापन की राहों में खोया उदासी का संग साथ लिया मन की गहराइयों में छुपा सड़कों की ये अजनबी यादें लिया धुंधली रातों में खोया सफर मन में है ए
Rameshkumar Mehra Mehra
White कया कहूं......... तुम इक नाम नही....! एहसास हो तुम मेरी कहानी...!! नही.... अल्फाज हो... तुम जिंदगी ही नही....!!! जीने का अंदाज हो...!!!! तुम अरमान ही नही... मेरा बिश्बास हो..........!!!!! तुम.... मुझसे दूर सही,मगर दिल के पास हो तुम.. ©Rameshkumar Mehra Mehra # कयां कहूं तुम इक नाम नही,एहसास हो तुम,मेरी कहानी,नही,अल्फाज हो,तुम जिंदगी ही नही जीने का अंदाज हो,तुम अरमान ही नही मेरा बिश्बास हो,तुम,मुझ
Mr Pappu
White लौक डाउन का दूसरा चरण देश में चल रहा था. नर्मदा नदी पुल पर बने जिस चैक पोस्ट पर मेरी ड्यूटी जिला प्रशासन ने लगाई थी,वह दो जिलों की सीमाओं को जोड़ती थी. मेरे साथ ड्यूटी पर पुलिस के हबलदार,एक पटवारी ,गाव का कोटवार और मैं निरीह मास्टर.आठ आठ घण्टे की तीन शिफ्ट में लगी ड्यूटी में हमारा समय सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर के 2 बजे तक रहता.आठ घंटे की इस ड्यूटी में जिले से बाहर आने जाने वाले लोगों की एंट्री करनी पड़ती थी. यदि कोई कोरोना संक्रमण से प्रभावित क्षेत्रों से जिले की सीमा में प्रवेश करता,तो तहसीलदार को इसकी सूचना दी जाती और यैसे लोगों की जांच कर उन्हें कोरेन्टाईन में रखा जाता. मई महिने की पहली तारीख को मैं ड्यूटी के लिए सुबह 6 बजे ककरा घाट पर बनी चैक पोस्ट पर पहुंच गया था. नर्मदा नदी के किनारे एक खेत पर एक किसानअपनी मूंग की फसल में पानी दे रहा था . काम करते हुए उसकी नजर नदी की ओर गई ,तो उसे नदी में कोई भारी सी चीज बहती हुई किनारे की तरफ आती दिखाई दी. थोड़ा करीब जाने पर किसान ने एक दूसरे से लिपटे युवक युवतियों को देखा तो चैक पोस्ट की ओर जोर से आवाज लगाई " मुंशी जी दौड़ कर आइए ,ये नदी में देखिए लड़का लड़की बहते हुये किनारे लग गये हैं" मेरे साथ ड्यूटी कर रहे पुलिस थाना के हबलदार बैनीसिंह ने आवाज सुनकर पुल से नीचे की तरफ दौड़ लगा दी. सूचना मिलने पर पुलिस टीम भी मौक़े पर आ गई . आस पास के लोगों की भीड़ नदी किनारे इकट्ठी हो गई, मुझसे भी रह नहीं गया . तो मैं भी नदी के घाट परपहुंच गया . सबने मिलकर आपस में एक दूसरे से लिपटे दोनों लड़का-लड़की के शव को नदी से निकाल कर किनारे पर कर दिया . जैसे ही उनके चेहरे पर मेरी नजर गई तो मैं दंग रह गया. ©Mr Pappu #Night अधूरी प्रेम कहानी
प्रथमेश
Mr Pappu
White पावसाळी दिवसातील ती दुपार होती, साधारण २-३ वाजले असतील पण सूर्याचा कुठेच ठाव-ठिकाणा नव्हता. आकाश काळ्या ढगांनी भरले होते, पावसाची बारीक-बारीक रिपरिप चालूच होती., सगळी धरती हिरवी-गार झाली होती, नारळाची झाडे मुक्त होऊन वाहणाऱ्या वाऱ्या बरोबर डोलत होती. घरात बसूनही कंटाळाच आला होता, मग कपडे चढवले, पायात चप्पल अडकवली आणि सरळ बाहेर पडलो. रत्नागिरीत तशी मनोरंजनाची ठिकाणे फार नाहीत. मग जायला कुठली वाट नसली की मी सरळ समुद्र किनाऱ्याची वाट धरतो. समुद्राची रूप पण किती वेगवेगळी असतात, सकाळी कोवळ्या सूर्यप्रकाशात अवखळ भासणारा हाच समुद्र, दुपारी मात्र अंतःकरणात फार मोठे गुपित साठवून वागणाऱ्या गंभीर माणसासारखा भासतो. ओहोटीला, रुसून बसलेल्या मुलासारखा आपल्यापासून ©Mr Pappu #Couple अधुरी प्रेम कहानी
Deep bawara
नदीम साहब की बेगम (11) नदीम फारुकी चूत चाटता नहीं तो क्या करता आख़िर उसकी बेगम थी ही उतनी ऊंची सीढ़ी सी और नदीम फारुकी वो ठहरा टेबल जितना सफ़ेद दाढ़ी सिर के आधे बाल झड़े मुंह से दांत ऐसे बाहर निकले के सुअर के पिल्ले भी शरमा जाए। कभी कभी तो नदीम साहब की बेगम अल्लाह मियां से दुआ करती के भला हुआ नदीम की ऊंचाई कम है वरना ऐसे बदसूरत इंसान को कोन मुंह लगाए। मुंह तो वो लगाता था नदीम के बेगम को क्या नाम था उसका वो नदीम साहब के बेगम का शहर वाला आशिक,,, मुंह में मुंह डाल के ऐसा लगता जैसे अभी वो आयेगा और नदीम साहब के बेगम का चुम्मा लेगा,,,, उम्म्मम्म्म,,, अल्लाह,,, नदीम मियां अब क्या चूत खा जाओगे,,, आगे भी तो बढ़ो। ©Deep bawara #Nojoto #कहानी #restzone #story
Bhanu Priya
अपने अलावा किसी को पागल होता वह देख न पाता इसलिए एक ही परेशानी थी कि वह खुबसूरत दीवानी थी । ©Bhanu Priya #कहानी Neel Sethi Ji R... Ojha Ak.writer_2.0 Jagdish Thakur
Bhanu Priya
White जब मिलो तो जब मिलो तो साथ लाना अपनी मुस्कान को जैसे धरती देखें आसमान को सुबह ढूंढे शाम को दिन न देखें काम को रात न रुकें विराम को तुम बस आना एक पल के लिए ही सही खो मत जाना कहीं बहुत कुछ है कहना मुझे तुम संग है वहना बातें बहुत बतानी है अब तुम्हीं संग ये कहानी है । ©Bhanu Priya #Couple जब मिलो तो जब मिलो तो साथ लाना अपनी मुस्कान को जैसे धरती देखें आसमान को सुबह ढूंढे शाम को दिन न देखें काम को
poetry by heart