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Navin Kishor Mahto
Nilmani
Sangeeta Patidar
हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने में, उसे मनाना हो, रूठकर उससे मनवाना हो, उसे रिझाना हो, जब मीठी बातें सुनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... उसके ख़्वाबों-ख़यालों में निशाँ छोड़ना हो, दिलों दिमाग़ का सब, जब नाम कराना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बारिश की बूँदों में 'हम' एहसास ढूँढ़ना हो, बसंती हवा में इश्क़ की मिठास भेजना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... बाँट के उसका दर्द, लम्हा हसीं बिताना हो, भुला के अपना दर्द, उसको ही हँसाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... हक़ीक़त से करा रूबरू, सब्र सिखाना हो, नसीब की ज़िद में, खुदी कब्र दिखाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... नींद से दुश्मनी की असल वजह बताना हो, छोड़ ज़ख़्म,उसके दिल में जगह बनाना हो। हमेशा देर कर देता हूँ मैं.... -संगीता पाटीदार 'धुन' Rest Zone 'काव्योगिता', कविता पुनर्निर्माण, चौथा पड़ाव 'हमेशा देर कर देता हूँ'- मुनीर नियाज़ी जी हमेशा देर कर देता हूँ मैं हर काम करने म
Kavya Goswami
सफलता को मुट्ठी में भरकर शहर से जब वापस आऊ तेरी मिट्टी को चुमकर मै अपने माथे पर तिलक लगाऊ बसंती हवा के झोंके बन मेरे सर पर हाथ धरोगी क्या बोलो मेरी जन्मभूमि बचपन सा प्यार करोगी क्या.... (Please read in caption) सफलता को मुट्ठी में भरकर शहर से जब वापस आऊ तेरी मिट्टी को चुमकर मै अपने माथे पर तिलक लगाऊ बसंती हवा के झोंके बन मेरे सर पर हाथ धरोगी क्या बो
vasundhara pandey
तुम्हारी दुनिया को देखा है मैंने सदा मौन रहकर के यहाँ बारिश भी होती है सदा सागर के सौदे से कितने अनुभवों को इस कलम ने समेटा है तुम कहोगे मैंने शब्दों को परोसा है -2 अरे क्या बात कहते हो सीरतों को परोसा है तुमने कसा जो व्यंग्य कुछ
AK__Alfaaz..
कल, सावन की बरसी, पहली फुहार, सोंधी सोंधी, माटी की महक के संग, माँ लक्ष्मी के, अवतरण दिवस के, अद्भुत दिव्योत्सव का, न्योता दे गयी, कल, सावन की बरसी, पहली फुहार, सोंधी सोंधी, माटी की महक के संग, माँ लक्ष्मी के, अवतरण दिवस के, अद्भुत दिव्योत्सव का,
AK__Alfaaz..
मुबारक मुबारक मुबारक, मेरी परी को यह शुभ दिवस मुबारक, यह अनुपम रैन मुबारक, चंदा मुबारक..चाँदनी मुबारक, कल कल करती नदियों का, शीतल निर्मल जल मुबारक, पर्वत का ऊँचा शिखर मुबारक, बादल संग बरसी ये फुहार मुबारक, मुबारक मुबारक मुबारक हो तुमको परी, तुम्हारे जन्मदिन का, यह पावन पर्व मुबारक, बसंती हवा की बहती, मुस्कान मुबारक, मुबारक मुबारक मुबारक, मेरी परी को यह शुभ दिवस मुबारक, यह अनुपम रैन मुबारक, चंदा मुबारक..चाँदनी मुबारक, कल कल करती नदियों का, शीतल निर्