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Anuj Ray

# हमसफ़र "

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Unsplash कल तक थे अजनबी ,दो चार मुलाकातों 
में ही ,अजनबी से बन गए हो "हमसफ़र"
शुक्र है रब का ,हुई है मेहरबानियां हम पर।

©Anuj Ray # हमसफ़र "

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह

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क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था।

तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना,
वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था।

रात में जो था नवनीत कभी अधूरा,
वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था,
जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था।

वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी,
वो फिर नई सुबह

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था, जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था। खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं, हँसी में ज

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हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था,
जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था।

खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं,
हँसी में जो छुपाई गई, वो दर्द की किताब थीं।

लफ़्ज़ों के परदे में छुपा था जो राज़ उनका,
वो कहानी अधूरी थी, मगर बेहिसाब थीं।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हर बात में छुपा वो इशारा अजब सा था,
जुमला तो उनका तीर, मगर असर ग़ज़ब सा था।

खामोशियाँ भी जैसे फ़ासलों का हिसाब थीं,
हँसी में ज

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका, ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका। मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत, जज़्बात का सम

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चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का समंदर, साहिल न हो सका।

ज़ख़्मों ने मुझे सीखा दिया सब्र का हुनर,
पर दर्द था जो, दिल से ज़ाहिर न हो सका।

हर ग़म को सीने से लगाया ख़ुशी समझ,
मगर वो, हक़ीक़तों में क़ाबिल न हो सका।

अरमान थे चाँद छूने के, मगर ऐ दिल,
जो पास था भी, वो हासिल न हो सका।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
चाहा था हासिल, वो हासिल न हो सका,
ख़्वाबों का काफ़िला, मुक़म्मल न हो सका।

मंज़िल की आरज़ू में सफ़र तो किया बहुत,
जज़्बात का सम

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेला होने वाला। जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था, वो है आज राहों में अकेल

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जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था,
वो है आज राहों में अकेला होने वाला।

जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था,
वो है आज राहों में अकेला होने वाला।

जो था कभी हमारी हर खुशी का हिस्सा,
वो अब तन्हाई में खुद को ढूंढ़ने वाला था।

जिसे कभी समझा था अपने साथ का साथी,
वो अब बिन बताए, दूर जाने वाला था।

हमारी आँखों में जो था हर ख्वाब पूरा,
वो अब अपनी राहों में अकेला होने वाला था।

मोहब्बत का जो वादा था उसने किया,
वो आज उस वादे को तोड़ने वाला था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था,
वो है आज राहों में अकेला होने वाला।
जो हमेशा साथ चलने की दुआ करता था,
वो है आज राहों में अकेल
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