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Ankit Paliwal
उनकी रूहानी यादों का खजाना इक फ़साना हो गया। उनका मिलना मिलकर बिछड़ना इक अफसाना हो गया। दौर वो भी था जब कहती थी सखियाँ उनसे , ये पागल तो तेरा दीवाना हो गया। हम भी लिख देते थे दो नग्मे चाहत में उनकी , मगर चाहत का वो दौर अब पुराना हो गया। लाख सजाया मैंने नग्म-ए-चाहत का फलसमां, लेकिन वो अपना बेगाना हो गया। लेखक - अंकित पालीवाल चाहत का दौर चाहत का दौर
Arora PR
इंसान चाहे तो एक लम्बी उम्र जी सकता है इस जिंदगी मे. बशर्ते दुनिया मे सितम और जल्लालत के दौर को थम जाना चाहिए ©Arora PR सितम का दौर
miss.......
दौर।।।।।।।। आज कल रिश्ते बनाने की शुरुवात ऑनलाइन हो गई,, रिश्ते तोड़ने की शुरुवात ऑनलाइन हो गई,, किसी को प्रेम करने की शुरुवात ऑनलाइन हो गई,, घरों में जो रिश्ता सामने है जिसकी आवाज सुनाई दे रही हैं उसको अनसुना करके पहले ऑनलाइन वाले का जवाब दिया जाता हैं,,, क्या करे यारो ये दौर ही ऐसा है .......👍💯👍 ©Sona Lodha दौर आज का ।।।।।।।
priya sharma
( संघर्ष का दौर ) दिन तो गुजर जाता है.. पर रात का सन्नाटा बहुत शोर करता है.. विद्यार्थी के जीवन में यही सबसे बड़ा संघर्ष का दौर चलता है.. किताबों और विचारो के बीच मन बैठा द्वंद्व करता हैं.. इसी असमंजस में ना जाने कब वक्त अपना पहर बदलता है.. रात का अंधेरा दिन के उजाले में तब्दील हो जाता है... पर अंतर्मन के उस द्वंद का ना कोई अंत नजर आता है.. इसी संघर्ष में दिन रात गुजर रहे हैं, उम्मीद, हौसला, आत्मविश्वास का दामन थाम कर, हम सब इस रणभूमि में आने वाले कल के लिए लड़ रहे हैं... आने वाले कल के लिए लड़ रहे हैं. --प्रिया शर्मा ©priya sharma #संघर्ष का दौर
बादल सिंह 'कलमगार'
ये दौर भी बड़ा अजीब था दुनिया को पहचाना खुशनसीब था बदसलूकी की खता मुझे किसी से नहीं ये तो मेरा नसीब था मैंने दुनिया को आईने से हट कर देखा मैं ही बड़ा बदनसीब था ©badal singh बदनसीबी का दौर
Santosh Verma
संभल कर चल तूं _ए बंदे.... आगे तेरे खाइं है, अंधेरा घना है, संग तेरे न परछाईं है। इस राह में चलने की क्या आफत तुझे आई है, सुकूं नहीं मिलेगा कहीं बस यही तो सच्चाई है। नजरों का खेल दिखेगा तुझे हर किनारे, काफिला ज़िन्दगी का निकाल जाएगा यूं ही पैर पसारे। तौहीन न करना छोटे से भी सवालों का, वरना बिन आग असलियत निकल जाएगा मशालों का। ये जो तुझे मिला वक़्त है रेत की तरह ढह जाएगा, पता भी नहीं चलेगा तेरा हर ख्वाब यहीं रह जाएगा। बदल जा तूं वक़्त और हालात के साथ, बेशक हर कोई निकल जाएगा छोड़कर तेरा हाथ।। WRITTEN BY (संतोष वर्मा)आजमगढ़ वाले खुद की ज़ुबानी आज का दौर...
Gullu
अभी जो साथ खड़े थे जश्न में मेरे मेरे कब्र में ज़रा देर आएंगे। इन्हें वक़्त नही शायद, फूल माला और बहाने साथ लाएंगे #खुदगर्ज़ी का दौर