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Prabhat Kumar
White कुछ तुम भूल गए, कुछ हम भूल गए यूँ ही दिल का रिश्ता तोड़ गए जीने मरने की कसमें खाते थे हम वादों पर वादे करते रहते थे हम न जाने ऐसा क्या हुआ कि हम तुमको तुम हमको भूल गए बातें बंद मुलाकातें बंद मिलना जुलना सब कुछ हो गया बंद इतने क्यों हम तुम बदल गए ये कैसी बेवफ़ाई हमने तुमने निभाई नज़रें मिली तो फिर क्यों नज़रें हम दोनों की झुक गई ©Prabhat Kumar #प्रभात
Arora PR
White उस बस्ती मे उठती हुई दिखी थीं आग की लैपटे.... पर धुँवा उठता हुआ नहीं दिखा हैं पहले भी इसी तरह जलाई गई थीं कई बस्तिया पर धुँवा नहीं उठने के कारण वे " खबर" नहीं बन सकी थीं ©Arora PR खबर
Prabhat Kumar
एहसास जो दिल में मेरे जगने लगा था देख के तुमको तुमने वो एहसास मेरे तोड़ दिया सारे मैं तन्हा अकेला फिर से रह गया चाह कर भी फिर किसी का प्यार पा ना सका ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
देख देख उनको मैं मुस्कुराऊँ उनके इश्क़ में ख़ुद को भूलाऊँ दिल में तस्वीर है उनकी दिल उनको ही ढूँढ रहा था ख़्वाबों ख़यालों में वो ही आ रही थी आकर मेरे मन को मुस्कुरा रही थी अब तो आ जाती है हर पल पास मेरे हवा के झोंके संग बहती ख़ुशबू के संग अब तो हम हो गए हैं उनके बस उनको अपना बनाना है मुझको ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
रात का इंतज़ार है दिल को आज छा रही है चेहरे पर चमक न जाने कैसी होंठ भी रह रह कर क्यों मेरे मुस्कुरा रहे हैं बहुत दिनों बाद आज उनसे मुलाक़ात हो रही है इसलिए दिल में आज कुछ खास हो रहा है खुशी दिल को मिल रही है धड़कनें मेरी बढ़ रही है ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
मोहब्बत का फूल हर दिल में खिलने दो हर दिल को खुशियों से भरने दो मुस्कान हर चेहरे पर आने दो तोड़ना ना दिल किसी का बस इतना काम करना मुस्कान दे ना पाओ तो आँखों में आँसू भी मत देना ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
तन्हा अकेला बीत रहा है जीवन तेरा है उदासी भरी ज़िन्दगी में तेरी मालूम है मुझको तू करती थी जिससे प्यार वो तुम्हें नहीं करता था प्यार उसके लिए तूने क्यों बर्बाद कर ली अपनी ज़िन्दगी माना प्यार होता है अंधा छोड़ उसे तू किसी और से कर लेती प्यार यूँ तन्हा अकेला न रहना तुमको पड़ता शायद खुशियों से भरी तेरा जीवन होता ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
मेरा दिल आज भी तुम्हारा है तुम्हारे सिवा किसी ने नहीं मुझे पुकारा है छोड़ मुझको जो तुम जाती हो मेरे आँखों में आँसू भर जाती हो तुमको मैंने अपना माना था तुम्हारे सिवा कोई नहीं था मेरा देख तुम्हें ही चेहरे मेरे मुस्कुराते थे नज़रें तो तुमने हर बार मिलाई थी मुझसे मेरी नज़रों को क्यों नहीं तुम पढ़ पाई ©Prabhat Kumar #प्रभात
Prabhat Kumar
यादों से भरी रात तुम तो नहीं हो मेरे पास आँखें हैं मेरी भरी भरी तेरी यादों में खोई खोई तेरी बातें करूँ मैं याद कहती थी तुम मुझे हर बार जब दीप जले तुम चले आना रुकना ना कहीं तुम आज तुम ही नहीं हो पास मेरे यादों से भरी रात तुम तो नहीं हो मेरे पास ©Prabhat Kumar #प्रभात