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दिनेश कुशभुवनपुरी
शब्दों के संसार में, मचा हुआ है द्वंद। गद्य पद्य के युद्ध में, पिसे जा रहे छंद।2। ©दिनेश कुशभुवनपुरी #दोहा #शब्द #अक्षर #2
Prangyashree Meher
अक्षर के मतलब ▫️▫️▫️▫️▫️ दो अक्षर का होता है "लक" ढाई अक्षर का होता है "भाग्य" तीन अक्षर का होता है "नसीब" , साढ़े तीन अक्षर की होती है "किस्मत" , मगर ये चारों के चारों चार अक्षर के शब्द "मेहनत" के सामने छोटे होते है। ©Prangyashree Meher अक्षर के मतलब
अक्षर के मतलब #शायरी
read moreDeepika Ameta
अक्षर से चाहे शब्दों से हिन्दी की शोभा निराली हैं... श्रद्धा आदर का समावेश इसमें हिन्दी मतवाली हैं... कुछ लाग लपेट नहीं इसमें सीधी सी इसकी बोली हैं... विवेकानन्द के आदर्श यहाँ ये सबकी हमजोली हैं... ....... दीपिका तिवारी... ... Deeparjan ..... ©Deepika Ameta #अक्षर से चाहे शब्दों से
Kajalife....
ढाई अक्षर प्रेम के, पढ़ना, पढ़कर के उसके सही मायने समझना , और किसी से वास्तविक प्रेम करना , सब के लिए मुमकिन नही । वो सौभाग्यशाली ही है जो इसे और इसका सही अर्थ समझता है । #ढाई अक्षर प्रेम के ....
#ढाई अक्षर प्रेम के ....
read moreNilam Agarwalla
ढाई अक्षर प्रेम के, सबका दिल जीत लेते। सबसे मीठा बोलो तुम रिश्ते यूँ ही नहीँ बनते। क्या लेकर आए हो और क्या लेकर जाओगे । अपने प्रेमपूर्ण व्यवहार से हर दिल में बस जाओगे। पोथी पढ़-पढ जग मुआ पंडित भया न कोय। ढाई अक्षर प्रेम के पढे सो पंडित होय। #ढाई अक्षर प्रेम के
#ढाई अक्षर प्रेम के
read moreShilpi Saxena
ढाई अक्षर प्रेम के, ढाई अक्षर प्रेम के सब कहते हैं अब पढ़ लो ज़िंदगी सँवर जाएगी कैसे करुँ यकीं कि जो खुद अधूरा है किसी और को भला क्या देगा ढाई अक्षर प्रेम के
ढाई अक्षर प्रेम के
read moreVickram
ढाई अक्षर प्रेम के समझना मुश्किल है कि क्या मिल गया है मुझे । खो गया हूं खुद की पा लिया है मैंने भी तुझे । सिर्फ ढाई अक्षर बदल देते हैं पूरी जिंदगी किसी की । पर हर कोई भी दिल से समझ भी नहीं पाते है इसे । ©Vickram ढाई अक्षर प्रेम के,,,,,,
ढाई अक्षर प्रेम के,,,,,, #शायरी
read more"ANUPAM"
सुना है प्रेम ढाई अक्षर से बनता है। पर मुझे तो लगता है इससे, पूरा अम्बर ढकता है। इसकी शक्ति अपरिमित कितनी, आंखों में बसता है। आंखों से आंखें मिलते ही, ये दिल को छू जाता।। किसी डोर की नहीं जरुरत, शब्दों से बंध जाता। है कितनी इंसान की जिद, भगवान भी बंध जाते हैं। नंगे पैरों छोड़ द्वारिका, हस्तिनापुर आते हैं। प्रेम ही था जिसके कारण, मजनू ने पत्थर खाए। लैला शीरी और फरियाद ने, अपने जिस्म जलाए। आज भी अच्छे होते है, जो प्रेम को पा जाते हैं। कुछ तो हैं जो प्रेम के खातिर, "अनुपम"तड़प तड़प मर जाते। ©"ANUPAM" #प्रेम के ढाई अक्षर