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Deepak Choudhury
Anand Kumar ' Shaad '.
अल्फ़ाज़ों से आज तुम याराना कर लो नाकामियों को खुद से बेगाना कर लो शिक्षित बनो कामयाब बनो
Classical gautam
"समूहगान" स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे हर दिल की धड़कन मे झंकृत,अपनी ही आवाज़ हो धरती पर अपने निशाँ हो,अम्बर मे परवाज़ हो डर हो ना , ना कोई भय हो, अपना स्वर,अपनी ही लय हो रागों की स्वरमालिका से ,गुलशन आबाद रहे ॥ स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे ॥ कल हम हों या ना हों फ़िर भी,अफ़साने चलते रहे खुशबू बन महके हवा मे,दीपक बन जलते रहे । शंकर के डमरू सा डम डम, मीरा के घुंघरू सी छम छम स्वरमयी हों सोच हमारी,स्वरमयी संवाद रहे ॥ स्वरमयी हों संगीत अपना,स्वरमयी निनाद रहे । हम इक है इक ही रहेंगे,हरदम ये याद रहे ॥ ©Classical gautam एक बनो, नेक बनो
Shivraj Solanki
अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो मां भारती के लाल तुम हो सर्व शक्तिमान विजय की पताका ले हाथ दुश्मन की ग्रीवा का रक्त पीने वाली तुम शमशीर बनो, शमशीर बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो ,अधीर बनो रक्त में है उबाल, मातृभूमि रही पुकार गलतियों का करो अब हिसाब पीओके के साथ सिंध पर भी धरो ध्यान सुन कर अरिदल थर थर कांपे वो तुम गीत बनो गीत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो अधीर बनो कौरवों की भीड़ में द्रोण या कंस मां भारती को दे रहा जो दंश उस दुशासन का तुम अंत बनो , अंत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो शिवराज खटीक अधीर बनो अधीर बनो
Lokesh Mishra
प्रेम भाषी बनो, कठोर भाषी बनकर,क्यों कटुता बढ़ाते हो, थोड़ा हंस बोल लो, क्यों जिंदगी कठोर बनाते हो, दुश्मनों की कहां है कमी, दोस्ती क्यों नही और बढ़ाते हो,© शुभ प्रभात दोस्तों। प्रेम भाषी बनो, कठोर भाषी बनकर,क्यों कटुता बढ़ाते हो,✍️
विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात )
इश्क़ झूठा, एक दर्द है ये सच, हमें धोखा देकर चला जाता है अक्सर। पर फिर भी हम खो जाते हैं उसमें, इसे छोड़कर जीना हमें नहीं आता कहीं। जो था इश्क़, अब बस एक कल्पना है, हमारे दिल में ये दर्द हमेशा ज़िंदा है। कोई क्या जाने इस इश्क़ के अंदर, जो दिल का हाल बदल देता है अदा से नज़र। इश्क़ के झूठ में मत खो जाना, सच्चे प्यार को हमेशा साथ रखना। दिल से उठे हर एहसास को देखो, इस इश्क़ के झूठ में फिर कभी मत फसो। जिंदगी के साथ इसे सीख जाओ, इश्क़ के झूठे सपनों को तुम भूल जाओ। ©विवेक कुमार मौर्या (अज्ञात ) जागो रे रे........