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Kunal Salve
ती त्याच्या सोबत मन मारून जगते सुखी तर खूप आहे बोलून, मुळीच खुश नाही हे पण बोलते ! #अर्थ #प्रेम #मराठी #लेखनी
Ankit Mishra
दूरियॉ मिलन का एहसास है, जैसे मिलते है कही दूर ज़मी और आकाश है। थाम के रखा हो सफ़र भर धरा का दामन आकाश ने कोई बिम्ब नही विश्वास है। अभिलाषा
SIDDHARTH RAI
लहू में आग लगी तो क्या कहिये, आँसुओं में आस जगी तो क्या कहिये। मैकदे का निज़ाम आज बराबर है, चलिए उठिए, अब कल का इंतेज़ाम कीजिये।। सिद्धार्थ #अभिलाषा
SIDDHARTH RAI
तुम्हारे जाने के गम में इतने आंसू बहाएं है, पुराने तो जा चुके है,नए फिर से आये है।। मैं ये नही कहता कि याद न आये तुम्हारी, इस याद में मैंने अपनी कितनी फरियादें लुटाएं है। ये जानते है कि तुम मेरे बिना भी खुश हो, पर क्या करे हम अब भी तुम में समाए है। अब इससे बड़ी वफादारी क्या होगी, जो हम तुम्हारी चौकीदारी पे उत्तर आये है। तुम्हारे जाने के गम में इतने आंसू बहाएं है, पुराने तो जा चुके है,नए फिर से आये है।। #सिद्धार्थ #अभिलाषा
HP
जब जी में जो कुछ आता है, जो रूचता है, जो जाँचता है, उसके अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त करने की अभिलाषा होती है। पर वैसी परिस्थितियाँ मिल ही जाँय इसका कोई ठिकाना नहीं। अभिलाषा
shrikant yadav
हे प्रभु तेरे दर्शन की आस जगी मन में हो जाये ये जीवन धन्य दे दो जगह जो चरणन में खड़ा द्वार तेरे लिए दर्शन की अभिलाषा तरसते नयनन में आ जाओ जो तुम तो मिले भटकते मन को मुक्ति जीवन में ©shrikant yadav #अभिलाषा
puja kashyap
"अभिलाषा" पुलकित पुष्प सा हर्ष भरे, मंद-मंद मुस्कुराओ तुम, जैसे मोर नाच उठते बारिश में, वैसे अपने हृदय को नचाओ तुम। नन्ही चिड़िया सी शरारत भरे, खूब शोरगुल मचाओ तुम, जैसे मेघ झूम उठते हवा के संग, वैसे सखियों के संग झूमो तुम। इतराती तितलियों सा जोश भरे, इधर-उधर मंडराओ तुम, जैसे भौरें खेलते फूलों के संग, वैसे जी भर खेलो-कूदो तुम। नन्ही चींटियों सी उल्लास भरे, खूब ताबड़तोड़ दौड़ लगाओ तुम, जैसे रेत उड़ जाते हवा के संग, वैसे हर फिक्र को उड़ा दो तुम। जीवन रस को यूँ चखते हुए,कई दफा गिर के जोखिम भी होगे तुम, कई सपने टूट के बिखरेंगे, कई दफा खुद को बेबस भी पाओगे तुम। पर ये टूटना-बिखरना,बिखर के सवरना, ये सब जीवन की एक शैली है, बस थम ना जाओ किसी मोड़ पर, ये ही अंतरात्मा की अभिलाषा है। सूर्य सी तेजी तुम्हारे सीने में है, उस प्रकाश की ताकत पहचानो तुम, अड़चने चाहे अनगिनत मिले पथ पर, उनसे कतई ना घबराओ तुम। गिरना-उठना, उठ कर फिर गिरना, ये सब जीवन की एक परिभाषा है, बस हार ना मानो किसी सूरत में, ये ही अंतरात्मा की अभिलाषा है। -पूजा कश्यप। ©puja kashyap अभिलाषा
डाॅ राजेश हालुवासिया
उनकी दिलकश यादों के गहरे समंदर में, मेरे ख्वाबों की वो आवारा कश्ती आज भी 'साहिल' की तलाश मे है। अभिलाषा