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शब्दवेडा किशोर

White #कारण..कुंपणच मला परकं झालं....
शब्दवेडा किशोर 
जन्मा आले आईबापाच्या घरी व झाले सौभाग्यवती आयुष्य माझे विसरून गेली
अन् कुळाचे नाव भूषविले जाऊनी मी सासरी 
कारण..कुंपणच मला परकं झालं....
अनेक साल जन्माघरच्या उंबऱ्यावर खूप लाडात खेळली,रमली अन् वाढली मी 
पण एक दिवस अनाहूतपणे मला सासरी पाठवून माझी नाळ परक्या घराशी
माझ्याच रक्ताच्या लोकांनी बांधली
कारण..कुंपणच मला परकं झालं....
माहेर अन् सासर दोन्ही घरांना मी कायम माया दिली तरीही स्त्री जन्माच्या रीतीनुसार दोन्हीही घरात माझी जागा मात्र कायमच दुय्यम राहिली
कारण..कुंपणच मला परकं झालं....
नवलौकीनी नवयौवना जणू बेजोड नक्षत्रासम एक असलेली चंद्रलतिका मी
कुठं व्यसनाधिनतेच्या सौद्यात तर कुठं पैशाच्या नात्यात बांधली गेली मी 
तरीही कुठलीच तक्रार न करता हे मज नियतीकडून मिळालेलं व अर्धशापित
असलेलं हे सौभाग्यलेणं लेवूनिया मी सदा हसतच आयुष्य जगत राहीली
कारण..कुंपणच मला परकं झालं....
मी जिथं जिथं बांधली गेली तिथं तिथं संसाराचा रथ मोठ्या धीरानं मी सदा ओढला 
माझ्या रथाला बांधल्या गेलेल्या बऱ्याच संसारवेलींवर अनेकदा खराब नियती सोबतीस घेऊनी एक सुंदर कळी उमलली पण व्यसनाधीनतेत लीन असलेल्या बापाने अन् भावनेही तिला नासवून संपवलं तर कुठं पैशाच्या बाजारात स्वतः वाया जाऊन तीनेच स्वतःची काया विकली व खूप ठिकाणी तर माझ्याकडून झालेल्या
अथक प्रयत्नांनी तिला जीवदानही भेटलं मात्र ते भेटुनही पुढं माझ्यासम तिचंही आयुष्य विविध शापांचे डाग असलेलं बनलं 
कारण....
कुंपणच मला परकं झालं......

©शब्दवेडा किशोर #स्त्री

The Insecure Being

स्त्री

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'वो स्त्री है कुछ भी कर सकती है'
इस वाक्य में हास्य नहीं,
प्रेरणा प्रधान होनी चाहिए

कविराज





















.

©The Insecure Being स्त्री

shabdon Mein Mohabbat

White एक स्त्री के सभी दोषों में
 सर्वश्रेष्ठ गुनाह वह माना गया-

जब उसने गुनहगार को 
उसी की भाषा में जवाब दिया।

©ruchi Bhadoria #love_shayari 
#स्त्री

Richa Dhar

#library स्त्री

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Unsplash मेरा अक्षम्य अपराध बस इतना सा था,
 के मेरा प्रेम तुम्हारे लिए अत्यधिक था।

तुम्हारे अंतस की बातों से मैं सदा ही अनभिज्ञ रही, 
प्रेम इतना रहा के तुम्हारी कमियों पर भी पर्दा डालती रही,

तुम्हारी झिड़क, अपमान भी सहती रही, 
और वो विलक्षण क्षण सदा खोजती रही

जब तुम सदा के लिए मेरे लिए आत्मसमर्पण कर दोगे
 मन ने जो तुम्हारी छवि तैयार की वो तोड़ दोगे

मैं आज तक उसी मानसिक शांति की तलाश में हूँ, 
और शायद अब सब कुछ सहने की आदी हो चुकी हूँ,

अब ये जीवन सामान्य सा हो गया है, 
जीवन निर्वाह करने का ढांचा तैयार हो गया है

©Richa Dhar #library स्त्री

DR. LAVKESH GANDHI

दिल # # दिल का रोग #

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दिल किसका

 एक प्रेमिका के कहने पर जब प्रेमी ने
 अपनी जन्म देने वाली माता का दिल 
कलेजे से बेध कर निकाला 
और अपनी प्रेमिका के पास जा पहुंँचा 
तो प्रेमिका ने अपने प्रेमी को धिक्कारते हुए कहा जा जा...
 जो पुरुष जन्म देने वाली मांँ का नहीं हुआ 
वह अनजान प्रेमिका का क्या होगा...

©DR. LAVKESH GANDHI #दिल #
# दिल का रोग #

सूरज

Unsplash अगर आदमी स्त्री को प्रेमिका की नजर से न देखे तो , स्त्री से बेहतर दोस्त इस दुनिया में कोई नहीं ।💓

©सूरज #स्त्री

Pratima pathak

#library दर्द की दवा 🙏🏻🙏🏻🌍🌍

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Unsplash मै तो किसी के दर्द की दवा बनाना चाहती थी मुझे तो अब पाता चला कि सब से बड़ा दर्द मैं हुँ 🥺🥺

©Pratima #library दर्द की दवा 🙏🏻🙏🏻🌍🌍

Neel

#दर्द की दवा🍁

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Unsplash जाने कब...मेरे दर्द की दवा वो बन गया,
जिसे चाहने की आदत...मेरे दिल ने लगा रखी थी।

🍁🍁🍁

©Neel #दर्द की दवा🍁

विष्णु कांत

शादीशुदा स्त्री

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चाँदनी

#रोग

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White जाने कौन सा रोग मेरे कविताओं को लगा है
शब्दों का एक कतरा जिस्म पर गिरते ही
कविताएँ अपने एक अंग को खा जाती है

मै एक कोने मे बैठ कर खूब रोती हूँ
और मेरे कविता के बहते नासूर से 
फिर एक जिस्म तैयार होता है 

हर बार हृदय काग़ज के आर पार
बैठा राहगीरो से दूर अपने जख्म
की तूरपाई मे कागज के सिलवटों
को नोच देता है

दर्द नासूर का नही, जिस्म का
 नही काग़ज का होता

मौत तीनों को कैद करता है
रूह अकेला चित्कारता है

कविताएँ जहर या औषधि ही नही बनती
बाकी तीन खण्डों का मूलभूत अधिकार
जीवन - मरण तक स्थापित कर चुकी होती है

©चाँदनी #रोग
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