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Bharat Bhushan pathak
यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे... *त़हरीर मेरी भी* विधा-अतुकांत आज मुफ़लिसी में यहाँ जीता हूँ मैं, कल त़हरीर मेरी भी लिखी जाएगी। कहेंगे लोग उस वक्त ये ज़रूर मगर, हाँ !वाह क्या बहुत खूब लिखते थे वो, उम्र का तकाज़ा है ये जनाब मुझको, पूछते हैं लोग खाक हो जाने के बाद... जब आज हम हैं तो कोई चर्चा नहीं... पर कल यहाँ याद आएंगे बहुत , बस उस आखिरी पर्चा भर जाने के बाद... जन्म दिवस,मरण दिवस भी मनाएंगे वो, समोसे और मिठाइयाँ खिलाएंगे वो.. पहनाएंगे माला पुतले को मेरे.... यहाँ खूब जिन्दाबाद के नारे होंगे, कभी झाँके तक नहीं थे घर में मेरे जो, कल बाईट में घर केवल हमारे दिखाए जाएंगे। जब-जब तीथि यहाँ पर आएगी मेरी.. वो खूब मोमबत्तियाँ जलाएंगे। साल दो साल ,महीने दर महीने , खूब धूल भी यहाँ जमेगी मुझपर.. और तीथियों पर खूब नहलाए जाएंगे हम। कभी नेता,अभिनेता कभी आकर मेरे पुतले के पास.. यहाँ अपनी नायिका,पार्टी सदस्यों के साथ लंबे भाषण भी दे जाएंगे। और उस शून्य में बैठ हम यह सोचते रह जाएंगे, ओह !यहाँ कोई तो आया मेरे खा़क हो जाने के बाद ही सही... ©Bharat Bhushan pathak यथार्थ का परिचय कराने का प्रयत्न करती मेरी यह कविता मेरी और उन सभी साहित्यकारों की आवाज है जो संभवतः सम्पूर्ण संसार से यही कहना चाहते होंगे.
ranjit Kumar rathour
वो लड़ती बहुत है हर किसी से पिल पड़ती है आज तो हद हो गयी मैंने उसके पक्ष की बात की फिर भी मुझी से भिड़ गईं थोड़ी ही देर बाद बदल गयी जो मैंने कहा था उसी पे अड़ गई मैंने पूछा ये क्या है ?बोली आपको तो पता ही है मैंने कहा तुझे छोड़ देता हूँ बोली पता है तुम बुरा नही मानोगे किसी का सुनना होता है आखिर उससे कैसे लड़ूं कथानक की नायिका तो हमे चाहिए ही न सो भले वो लड़ती है लेकिन हमें उसे लिखना पड़ता है की लड़ती बहुत है मगर मरती भी बहुत है हा झूठ की ही सही हमारी उससे बनती बहुत है हा बनती बहुत है लड़ती बहुत है मरती भी बहुत है ©ranjit Kumar rathour मरती लेकिन लड़ती बहुत है #नायिका
Vedantika
प्रेम पत्र अधूरी मोहब्बत के नाम प्रिय……… आज बाज़ार में दस साल बाद तुम्हें फिर से देखा तो लगा कि जैसे कॉलेज का वो दिन अभी कल ही गुज़रा हो जब तुम मुझसे यूँ ही टकरा गई थी। इसस
Vedantika
तेरे साथ प्यार के दो लफ्ज, रात की बिखरी हुई चांदनी में। रूह में उतर रही तेरी हँसी, जो गीत बन गूँज रही वादियों में, रात की बिखरी हुई चांदनी में। चाँद की रोशनी में तेरा बेदाग चेहरा, चमक रहा सफेद संगमरमर की तरह, रात की बिखरी हुई चांदनी में। तेरे पैरों पर लिपटी हुई यह पायल, बन गई है बारिश की बूंद-बूंद, जिसे पिरोया है मेरे प्यार ने तेरे लिए, रात की बिखरी हुई चांदनी में। तेरी आँखों में झलकता प्यार, चुरा रहा है मुझे मुझ से ही, रात की बिखरी हुई चांदनी में। तेरे साथ प्यार के दो लफ्ज, रात की बिखरी हुई चांदनी में। सुप्रभात लेखकों। "हिन्दी हैं हम " के प्रतिस्पर्धियों के लिए Pen n Popcorn लेकर आया है अपना द्वितीय चैलेंज - "श्रृंगार की सुंदरता" । इस चैलें
atrisheartfeelings
कुछ महत्वपूर्ण बातें .... Please read in caption.... बहुत मेहनत के बाद यह चिन्ह तैयार किया हैं अतः आप से निवेदन हैं कि आप इसे हर students से सहभागिता करें...*✍🏻✍🏻✍🏻 1) + = जोड़
Shree
विदाई pc: Google आज भी कुछ लड़कियां होती हैं जो रो पड़ती हैं अपनी विदाई में... फर्क नहीं पड़ता कि शादी अरेंज हुई है या लव। स्वाभिमान और स्वावलंब
RAHUL VERMA
लंगूर के हाथ मे अंगुर इसे कहते है लंगूर के हाथ मे अंगुर #mems_पटाका