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New पूनो कब की पड़ रही है Quotes, Status, Photo, Video

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Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status यात्रियों के खून की जबाब देही बढ़ती जा रही है

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White पल्लव की डायरी
बदइंतजामी के शिकार कुंभ में
हादसों के शिकार यात्री होते जा रहे है
आस्थाओं की चरम सीमा है
भगदड़ में अपने खोते जा रहे है
बदनीयत शासन प्रशासन की है
हर प्रबन्ध हादसों की भेंट चढ़ते जा रहे है
दिल्ली के रेलवे स्टेशन की भगदड़
चूले रेलवे की हिला रही है
हाईटेक व्यवस्था के जमाने मे भी
मौत के मुँह में सवारी जा रही है
जबाबदेही किसकी तय करे
सरकारों पर यात्रियों के खून की
 जबाब देही बढ़ती जा रही है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Sad_Status यात्रियों के खून की जबाब देही बढ़ती जा रही है

jaiveer singh

#camping नाचा रही है जिंदगी

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Unsplash  मौत मेरी राहें ऐसे तो न सजा।.....
माना कि तू अपने इशारे पे
 नचा रही है जिंदगी...
गाने तो मेरी पसंद के बजा।।...

©Jaiveer Singh #camping नाचा रही है जिंदगी

BANDHETIYA OFFICIAL

#sad_quotes #अनबन रही है।

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White मुझे खोज, कौन रहा है,
मन से मन मौन रहा है।
क्या कर खबर ले कि करे,
पता न फिर गौण रहा है।
जाहिर है, दुक्ख जताये,
सुख तो छू पौन रहा है।
जल लूं अपने कमरे में,
कहीं कोप -भौन रहा है।

©BANDHETIYA OFFICIAL #sad_quotes #अनबन रही है।

Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes पहचान परिचय की मोहताज हो रही है

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White पल्लव की डायरी
पहचान परिचय की मोहताज हो रही है
अनजानी सफर जैसी जिंदगी हो रही है
ना कोई रोक टोक ना कोई मानमनोबल है
बिना दुआ बिना आशीर्वाद लिये
आज की पीढ़ी आगे बढ़ रही है
बदलाव के नाम पर दुनिया चल रही है
टूट चुकी है सामाजिक व्यवस्था
चौखते घरों की घायल है
जिम्मेदारी कौन किसकी उठाये
अपनी कमी जब पूरी हो,
तब गरीब भाई बन्धुओं के प्रति 
संवेदना की अलख जग रही है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes पहचान परिचय की मोहताज हो रही है

theABHAYSINGH_BIPIN

#love_shayari वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते, बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते। एहसासों को रखकर हाशिये पर, प्यार से यूँ ही कब तक भागते। हर

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White वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर दर्द के पीछे कोई बात होती है,
हर खामोशी में एक आवाज़ होती है।
पलकों के साए से कब तक छिपोगे,
दिल की पुकार से कब तक बचोगे।

प्यार बुरा है, ये बहाना कब तक,
खुद से दूरी का फसाना कब तक।
वक्त की इस रेत पर नाम लिखो,
एक बार प्यार से अपनी राह चुनो।

©theABHAYSINGH_BIPIN #love_shayari 

वक़्त के तराजू पर कब तक तौलते,
बुरे वक्त की आहट को कब तक टालते।
एहसासों को रखकर हाशिये पर,
प्यार से यूँ ही कब तक भागते।

हर

Anjali Singhal

#Newyear2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट, मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट। पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं, धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा

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New Year 2025 "नई खुशी है नई मुस्कुराहट,
मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट।
पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं,
धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा रही हैं।
उम्मीद की तरंगे लहरा रही हैं,
ख़्वाब कोई नया दिखा रही हैं।
दुआएँ सभी की तरफ से आ रही हैं,
बुरी बलाएँ सबकी ढली जा रही हैं।।"

©Anjali Singhal #Newyear2025 

"नई खुशी है नई मुस्कुराहट,
मुबारक हो नव वर्ष की नई सरसराहट।
पलकें आनंद-उत्साह से भरी जा रही हैं,
धड़कनें प्रेम ही प्रेम उमड़ा

Parasram Arora

कब?

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Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है

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White पल्लव की डायरी
सर फिर से उठा चुके अधर्मी
मर्यादा तब तार तार है
होती तपस्या भंग सच्चाई की
राक्षसों की प्रव्रत्ति सर उठा रही है
माँस और सुरा सुंदरी का बढ़ा प्रचलन
साधु भेष में हठधर्मिता पनपायी जा रही है
असत्यता का कद बढ़ा कर
त्यागी तपस्वी को मिटाने की 
धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
चीटी भी ना मारी हो जिसने
उसे विधर्मी बताकर
नींव धर्म की हिलायी जा रही है
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है

Sakir Ali 786

कितनी प्यारी बिल्ली है, देखो डांस कर रही है।

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Praveen Jain "पल्लव"

#CalmingNature बढ़ रही तन्त्रो की अराजकता

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पल्लव की डायरी
असुरक्षा की भावना ,
सकून दिल का खा रही है
अनहोनी ना घट जाये
 पगो को पीछे हटा रही है
बढ़ रही है तन्त्रो की अराजकता
जीवन को जंग की तरह खा रही है
हजार खतरों को झेलकर
मजबूरी हर कदम सता रही है
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #CalmingNature बढ़ रही तन्त्रो की अराजकता
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