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Manak desai

#जन्म Parijat P राम राम सा खम्मा घणी ❤️🙏☕☕☕☕☕ कृपा ध्यान दे ये पुष्प हैं मेरे अंगना में खड़े पारिजात के ❤️💕☕☕☕ मेरे किसी अच्छे चाहने

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प्राजू राम राम थाणे प्रणाम केवेळा
भाईसा थारा थाणे जन्मदिन री मोकळी बधाई देवेळा 
घणा आगे बढ़ो हिवडा सूं निकळी आस केवेळा 
संजोया सुपणा थारा पूरा  होवेळा 
कियोडा कर्म थारा प्रधान होवेळा 
घणो ऊंचो नाम करो थे साँवरो थारे सागे रेवेळा 
पुष्प पारिजात हो थे पारिजात रेवोळो 
थारा नाम सूं सुगंधित संसार रेवेळा 
दुःखियों रे संसार में थासूं सुख री बौछार होवेळा 
प्राजू बाईसा सावन री बरसात होवेळा 
पारिजात हो थे पारिजात रेवेळा...

©Manak desai #जन्म #Nojoto
Parijat P
राम राम सा खम्मा घणी ❤️🙏☕☕☕☕☕
कृपा ध्यान दे ये पुष्प हैं मेरे अंगना में खड़े पारिजात के ❤️💕☕☕☕ मेरे किसी अच्छे चाहने

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सावन का पहला सोमवार, 18 जुलाई को पड़ेगा. ऐसे में सावन की अवधि में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-पाठ उपाय करते हैं. ज #Quotes #binod

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सावन का पहला सोमवार, 18 जुलाई को पड़ेगा. ऐसे में सावन की अवधि में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-पाठ उपाय करते हैं. ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में भगवान शिव की उपासना के लिए खास विधि बताई गई है. आइए जानते हैं कि सावन में भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए राशि के अनुसार कौन-कौन की चीजें अर्पित की जाती हैं.

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सावन में राशि के अनुसार शिवजी को अर्पित करें ये चीजें
1. मेष- इस राशि के लोग सावन में भगवान शिव को लाल या रक्त चंदन अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही लाल रंग के फूल भी अर्पित कर सकते हैं. शिवजी को फूल चंदन अर्पित करते वक्त ओम् नागेश्वराय इस मंत्र का जाप कर सकते हैं. ऐसा करना शुभ रहेगा.

2. वृषभ- इस राशि के जातक सावन में भोलेनाथ को चमेली का फूल अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही रुद्राष्टम् स्तोत्र का पाठ करना शुभ साबित होगा.

3. मिथुन- मिथुन राशि के जातक सावन में शिव जी की भांग धतूरा अर्पित करें तो बेहतर होगा. साथ ही साथ पंचाक्षरी मंत्र - ओम् नमः शिवाय का भी जाप कर सकते हैं. सावन मे ऐसा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा.

4. कर्क- कर्क राशि के लोग सावन में शिवलिंग पर भांग मिश्रित जल अर्पित करें. इसके साथ ही इस दौरान रुद्राष्टध्यायी का पाठ करना भी शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर संभव हो तो गंगाजल से शिव का अभिषेक कर सकते हैं.

5. मिथुन- मिथुन राशि के जातक सावन में शिव जी की भांग धतूरा अर्पित करें तो बेहतर होगा. साथ ही साथ पंचाक्षरी मंत्र - ओम् नमः शिवाय का भी जाप कर सकते हैं. सावन मे ऐसा करने से भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा.

6. कर्क- कर्क राशि के लोग सावन में शिवलिंग पर भांग मिश्रित जल अर्पित करें. इसके साथ ही इस दौरान रुद्राष्टध्यायी का पाठ करना भी शुभ रहेगा. इसके अलावा अगर संभव हो तो गंगाजल से शिव का अभिषेक कर सकते हैं.

7. सिंह- सिंह राशि से संबंधित लोग सावन में भोलेनाथ को लाल रंग के फूल अर्पित करेंगे तो बेहतर होगा. साथ ही शिव मंदिर में शिव चालीसा का पाठ करना भी अच्छा रहेगा.

8. कन्या- सावन के दौरान कन्या राशि के जातक शिवजी को बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि अर्पित कर सकते हैं. इसके साथ ही शिवलिंग पर घी दूध अर्पित कर सकते हैं.

9. तुला- तुला राशि के जातक सावन में शिवलिंग पर दूध अभिषेक करते हुए शिव सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं. साथ ही अगर शिवलिंग पर दही से अभिषेक करेंगे तो भी शुभ रहेगा.

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10. वृश्चिक- वृश्चिक राशि के जातक भोलेनाथ को गुलाब का फूल व बिल्वपत्र की जड़ चढ़ाएं. साथ ही रुद्राष्टक स्तोत्र का पाठ करेंगे तो बेहतर होगा. इसके अलावा शिवलिंग पर गंगाजल दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक कर सकते हैं.

11. धनु- धनु राशि के जातकों को चाहिए कि वे सावन के दौरान रोज सुबह स्नान के बाद शिवजी के चरणों में पीले फूल अर्पित करें. कच्चा दूध, केसर, गुड़, हल्दी मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना शुभ रहेगा.

12. मकर- सावन में इस राशि के जातक शिवजी को धतूरा, फूल, भांग अष्टगंध अर्पित करते हुए पार्वती नाथाय नम: का जाप करें. साथ ही घी, शहद, दही बादाम के तेल से शिवलिंग का अभिषेक करना उत्तम रहेगा.

13. कुंभ- कुंभ राशि के जातक शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करें. साथ ही सावन के दौरान शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करें. इसके अलावा राशि के लोग सावन में घी, शहद, दही इत्यादि शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं.

14. मीन- मीन राशि के जातक शिवलिंग पर पंचामृत, दही, दूध पीले फूल चढ़ाएं. साथ ही चंदन की माला पर 108 बार पंचाक्षरी मंत्र ओम् नमः शिवाय का जाप करें. साथ ही श्रावण मास में कच्चे दूध, केसर गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करना अच्छा रहेगा.

©KP TAILOR HD सावन का पहला सोमवार, 18 जुलाई को पड़ेगा. ऐसे में सावन की अवधि में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए विशेष पूजा-पाठ उपाय करते हैं. ज

N S Yadav GoldMine

कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष? जानें महत्व व श्राद्ध की संपूर्ण तिथियां ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं पढ़िए !! 🍎🍎 पितृपक्ष : #Stars #पौराणिककथा

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कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष? जानें महत्व व श्राद्ध की संपूर्ण तिथियां ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं पढ़िए !! 🍎🍎

पितृपक्ष :-🍉 भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहते हैं। वर्ष 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 (रविवार) तक रहेगा। ब्रह्मपुराण के अनुसार मनुष्य को देवताओं की पूजा करने से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। 

🍉 इसी वजह से भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान और मरणोपरांत पूजा की जाती है। ये प्रसाद श्राद्ध के रूप में होते हैं जो पितृपक्ष में पड़ने वाली मृत्यु तिथि (तारीख) को किया जाता है और यदि तिथि ज्ञात नहीं है, तो अश्विन अमावस्या की पूजा की जा सकती है जिसे सर्व प्रभु अमावस्या भी कहा जाता है। श्राद्ध के दिन हम तर्पण करके अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन और दक्षिणा अर्पित करते हैं।

पितृपक्ष का महत्व :-🍉 हिंदू धर्म के अनुसार, पूर्वजों की तीन पीढ़ियों की आत्माएं पितृलोक में निवास करती हैं, जो स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का स्थान माना जाता है। हिंदु महत्व यह क्षेत्र मृत्यु के देवता यम द्वारा शासित है, जो एक मरते हुए व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी से पितृलोक तक ले जाता है। जब अगली पीढ़ी का व्यक्ति मर जाता है, तो पहली पीढ़ी स्वर्ग में जाती है और भगवान के साथ फिर से मिल जाती है, इसलिए श्राद्ध का प्रसाद नहीं दिया जाता है। इस प्रकार पितृलोक में केवल तीन पीढ़ियों को श्राद्ध संस्कार दिया जाता है, जिसमें यम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पवित्र हिंदू ग्रंथों के अनुसार, पितृ पक्ष की शुरुआत में, सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है। 

श्राद्ध से जुड़ी पौराणिक कथा :-🍉 जब महाभारत युद्ध में महान दाता कर्ण की मृत्यु हुई, तो उसकी आत्मा स्वर्ग चली गई, जहां उसे भोजन के रूप में सोना और रत्न चढ़ाए गए। हालांकि, कर्ण को खाने के लिए वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी और स्वर्ग के स्वामी इंद्र से भोजन के रूप में सोने परोसने का कारण पूछा। इंद्र ने कर्ण से कहा कि उसने जीवन भर सोना दान किया था, लेकिन श्राद्ध में अपने पूर्वजों को कभी भोजन नहीं दिया था। कर्ण ने कहा कि चूंकि वह अपने पूर्वजों से अनभिज्ञ था, इसलिए उसने कभी भी उसकी याद में कुछ भी दान नहीं किया। संशोधन करने के लिए, कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गई, ताकि वह श्राद्ध कर सके और उनकी स्मृति में भोजन और पानी का दान कर सके। इस काल को अब पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध 2022 की तिथियां:-शनिवार, 10 सितंबर 2022: पूर्णिमा श्राद्ध, भाद्रपद माह, शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार, 10 सितंबर 2022: प्रतिपदा श्राद्ध, अश्विन माह, कृष्ण प्रतिपदा, रविवार, 11 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्णा द्वितीया
सोमवार, 12 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण तृतीया
मंगलवार, 13 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण चतुर्थी
बुधवार, 14 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण पंचमी,गुरुवार 15 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण षष्ठी, शुक्रवार, 16 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण सप्तमी
रविवार, 18 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण अष्टमी, सोमवार, 19 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण नवमी, मंगलवार, 20 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण दशमी
बुधवार, 21 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण एकादशी, गुरुवार, 22 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण द्वादशी, शुक्रवार, 23 सितंबर 2022:अश्विन माह, कृष्ण त्रयोदशी
शनिवार, 24 सितंबर 2022:अश्विन माह, कृष्ण चतुर्दशी,रविवार, 25 सितंबर 2022: अश्विन माह, कृष्ण अमावस्या... आप सब के लिए मेहनत के लिए Like तो बनता हैं।।
जय श्री कृष्ण, जय श्री राधे।।

©N S Yadav GoldMine कब से शुरू हो रहे पितृ पक्ष? जानें महत्व व श्राद्ध की संपूर्ण तिथियां ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं पढ़िए !! 🍎🍎

पितृपक्ष :

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सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज इस कथा के बिना अधूरा है करवाचौथ का व्रत जानें आपके शहर में चांद निकलने का समय जरूर पढ़िए !! 🌹🌹 {Bolo Ji Radh #समाज #KarwachauthFast

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सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज इस कथा के बिना अधूरा है करवाचौथ का व्रत जानें आपके शहर में चांद निकलने का समय जरूर पढ़िए !! 🌹🌹
{Bolo Ji Radhey Radhey}
करवा चौथ 2022 :-:- 🌝 आज सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ है। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के द्वारा रखा जाना वाला यह एक खास व्रत है। करवा चौथ के पर्व में सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर शाम के चंद्रोदय होने तक व्रत रखती हैं। करवा चौथ में महिलाएं दिन भर निराहार और निर्जला व्रत रखते हुए अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना करती हैं। व्रती महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करती हैं, और दिन भर उपवास रखते हुए शाम के समय करवा माता की पूजा, आरती और कथा सुनती हैं। इसके बाद शाम को चंद्रमा के निकलने का इंतजार करती हैं और जब चांद के दर्शन होते हैं तो सभी सुहागिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। सभी सुहागिन महिलाएं व्रत पूरा करने के बाद अपने सास-ससुर और बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हुए करवा चौथ का पारण करती हैं। 

करवा चौथ 2022 शुभ योग :-

करवा चौथ पर सर्वार्थसिद्ध योग बन रहा है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभ माना जाता है। सर्वार्थसिद्धि योग से करवा चौथ की शुरुआत होगी। इसके अलावा शुक्र और बुध के एक ही राशि में यानी कन्या राशि में मौजूद होंगे। ऐसे में लक्ष्मी नारायण योग बनेगा। वहीं बुध और सूर्य के एक राशि में मौजूद होने पर बुधादित्य योग बनेगा। वहीं शनि और गुरु स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। इस तरह के शुभ योग में पूजा करना बहुत ही शुभ लाभकारी रहता है। 

पूजाविधि :- 🌝 इस दिन सुहागिन स्त्रियां सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी का सेवन करती हैं। सरगी में मिठाई, फल, सैंवई, पूड़ी और साज-श्रृंगार का सामान दिया जाता है। इसके बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरू हो जाता है, जो महिलांए निर्जल व्रत ना कर सके वह फल, दूध, दही, जूस, नारियल पानी ले सकती हैं। व्रत के दिन शाम को लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं, इस पर भगवान शिव, माता पार्वती,कार्तिकेय,गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित कर दें अन्यथा शिव परिवार की तस्वीर भी रख सकते हैं। 

🌝 एक लोटे में जल भरकर उसके ऊपर श्रीफल रखकर कलावा बांध दें व दूसरा मिट्टी का टोंटीदार कुल्लड़(करवा) लेकर उसमें जल भरकर व ढक्कन में शक्कर भर दें,उसके ऊपर दक्षिणा रखें,रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढाकर भगवान का पूजन करें,पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक हाथ में गेहूं के दाने लेकर चौथमाता की कथा का श्रवण या वाचन करें। तत्पश्चात् रात्रि में चंद्रमा के उदय होने पर चंद्रदेव को अर्ध्य देकर बड़ों का आशीर्वाद लें।

व्रत की कथा :- 🌝 प्राचीन काल में एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्ध्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुःख हुआ। 

🌝 साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखों, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्ध्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा-बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।

🌝 साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्ध्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विध्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। 

🌝 उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आर्शीवाद ग्रहण किया। इस प्रकार उस लड़की की श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया। इस प्रकार यदि कोई भी छल-कपट, अंहकार, लोभ, लालच को त्याग कर श्रद्धा और भक्ति भाव पूर्वक चतुर्थी का व्रत पूर्ण करता है, तो वह जीवन में सभी प्रकार के दुखों और क्लेशों से मुक्त होता है और सुखमय जीवन व्यतीत करता है।

©N S Yadav GoldMine सुहागिनों का महापर्व करवा चौथ आज इस कथा के बिना अधूरा है करवाचौथ का व्रत जानें आपके शहर में चांद निकलने का समय जरूर पढ़िए !! 🌹🌹
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तत्व और राशि #तत्व #राशि #Knowledge

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Suresh Kumar

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pramod malakar

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pramod malakar

!!!!! राशि !!!!!
पत्नी और पाकिस्तान का राशि एक है,
नहीं पता कब लड़ाई छिड़ जाए.......!!

हिन्दुस्तान और हस्बैंड का राशि एक है,
नहीं पता कब तक सहना पड़ जाए...!!

ममता और मुसलमान का राशि एक है,
बंगाल और बंदरिया  का राशि एक है!!

राष्ट्र  और  श्री  राम  का  राशि  एक  है,
सीता  और  शांति  का  राशि  एक  है!!

कट्टरपंथी  और कुत्ता का  राशि एक है,
जिहादी  और जूत्ता  का राशि एक है!!

कुकर्मि और  कसाई  का राशि एक है, 
इस्लाम  और इसाई  का राशि एक है!!

हिन्दू और हिन्दुस्तान का राशि एक है,
कश्मीर और कन्या कुमारी कि राशि एक है!!

मोदी  और मुमकिन  का राशि  एक है,
योगी  और  युद्ध  का  राशि  एक   है!!

पत्नी और पाकिस्तान का राशि एक है,
नहीं पता कब लड़ाई छिड़ जाए.......!!

!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
प्रमोद मालाकार कि पेशकश
10.01.24

©pramod malakar #राशि.....

Suraj Jha

#CTET sadish राशि और आदिश राशि #DurgaAarti #Videos

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KK Mishra

कन्या #nojotophoto

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