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Anjali Singhal
Amit Seth
NIKHAT (दर्द मेरे अपने है )
सोचती हु एक तहरीर लिखू जिसमे तेरा नाम लिखू लिख दूँ सारे सितम तेरे जो दिए तूने दर्द ओ गम आंसू तड़पता दिन बेबसी की शाम और फुरकात की ये रात लिखू सोचती हु एक तहरीर लिखू जिसमे तेरी बेवफाई लिखू लिख दूँ झूठे वादे तेरे झूठी कस्मे तेरी उम्र भर साथ निभाने के लिये एक पल जुदा ना होने के लिये और फिर तन्हा छोड़ जाने के लिए सोचती हु एक तहरीर लिखू जिसमे तेरा नाम लिखू ©NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) #एक तहरीर
बादल सिंह 'कलमगार'
Rohan Rajasthani
White कुछ खास पल खो गए जिंदगी के उन्हें ढूंढ रहा हूँ जो पल चहरे पर मुस्कान दे फिर से उन्हें ढूंढ रहा हूँ कभी जरूरत हो तो याद करना ऐसा कहते थे लोग कुछ अपने कुछ पराये थे दुनिया में उन्होंने ढूंढ रहा हूँ ©Rohan Rajasthani #alone निज़ाम खान Kishan Sharma Rihan saifi Devrajsolanki ARTI JI
Mriti_Writer_engineer
मेरे मन में रहती है तुम्हारे लिए एक ही भावना हृदय से लगा लूं तुम्हें यही है मेरी कामना ©Mriti_Writer_engineer #hugday Babita Kumari ANSHIKA PANDIT satyaprakash Rowniar निज़ाम खान Kavisthaan
Sarfaraj idrishi
अगर इस देश की तरक्की चाहते हो तो चौकीदारों को गेट पर भेजो साधु साध्वियों को जंगल में भक्तो को पागलखाने और पढ़े लिखो को संसद में तभी देश तरक्की करेगा ©Sarfaraj idrishi indu singh निज़ाम खान narendra bhakuni Sethi Ji बाबा ब्राऊनबियर्ड
Mohd Kamruzzama
आजकल के दौर में नफ़रत भी आम हैं। कश्मकश में जी रही अवाम ऐ तमाम हैं। रिश्तों की अहमियत खो रही नफ़रत के दौर में, दौलत की आरजू में घर उजड़े तमाम हैं। क़ौम के चारों तरफ फैले हैं आसारे क़दीमा की यादें, ज़िल्लत में रो पड़े वो महराब ऐ तमाम हैं। झूठ फ़रेब को अखबारों में इशाअत करने वालो सुनो, सच की रोशनी बिखेरने वाले 'क़मर' अभी ज़िंदा तमाम हैं। रोज़ी रोटी के लिए किनारों पे रोते हुए मिले कई ग़रीब, क्या रोटी का भी है मज़हब ठेले पे परचम लगाए तमाम हैं। ©Mohd Kamruzzama नफरत का दौर Sana naaz. Sethi Ji Anshu writer निज़ाम खान Rakhie.. "दिल की आवाज़"