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Prakash Shukla
"मैं और मेरी तन्हाई"चौथा भाग वह दिन आ ही गया जब उससे मेरा सामना हुआ वह अपनी सहेली के साथ मेरे पास आई और बोली "तुम क्लास में ही रहते हो या बाहर "उसके ये शब्द सुनकर तो मैं नि:शब्द सा रह गया पर पता नहीं वह किस मिट्टी की बनी थी उसने मेरा हाथ पकडा़ मुझे क्लास से बाहर ले गई और मुझे बताने लगी कि मेरा साइंस का प्रोजेक्ट नहीं पूरा है मेरी मदद कर दोगे कया? मैं बेसुध खडा़ सुन रहा था सुन क्या रहा था आवाज कानों तक पहुँच रही थी पर अन्दर हलचल के कारण जगह नहीं मिली उसकी सहेली भी उसका साथ दे रही थी उसकी हाॅ में हाॅ मिला रही थी मैने भी उसके प्रोजेक्ट बनवाने में सहायता करने का वादा कर दिया लेकिन मुझे होश नहीं रहा मैं तो बस यह सोंच कर बेसुध रहा कि उसने मुझसे सामने आकर बात की बस यही मेरे लिए काफी था मैने वादा तो कर दिया था कि प्रोजेक्ट बनाने में मैं उसकी मदद जरूर करूँगा जिसको अगले ही दिन जमा करना था लेकिन मुझे कुछ भी याद न था मैं भूल चुका था छुट्टी होने के बाद मैं अपने घर अपने ख्यालों में मगन और वह भी निश्चिन्त होकर अपने घर को चली गई अगले दिन जब हम स्कूल में पहुँचे तो वह मुझसे पूँछने आई कि मेरा प्रोजेक्ट का क्या हुआ फिर मैं *प्रकाश* "मैं और मेरी तन्हाई"चौथा भाग
"मैं और मेरी तन्हाई"चौथा भाग
read moreOmlata Singh Parmar
वक्त अपने आप मे खुद को जरूर दोहराता है जो बुरा करता है उसका भी बुरा वक्त जरूर आता है दुनिया कहती है बुरी किस्मत जिसे भगवान जानता है कि मनुष्य अपने कर्मों का फल चुकाता है #रामायण का असर
#रामायण का असर
read moreकवि दिनेश अगरिया
*रामायण के आज के एपिसोड का वर्णन* बालिकुमार सभा में जाकर प्रभु संदेश सुनाता है। अभिमानी रावण गरजा और जोर जोर चिल्लाता है।। बोला सबक सिखा वानर को, और हंसा देकर ताली। पाँव जमा कर अंगद बोला, वानर पुत्र हूँ मैं बाली।। बालि नाम को सुनकर के, रावण को याद है आया। बालि ने छह माह तलक तक, उसको बगल दबाया।। बोला अंगद है अभिमानी, क्यों विनाश को बढ़ता है। क्षमा मांग ले मूर्ख प्रभु से, छोड़ कठिन ये दृढ़ता है।। बहुत उदार प्रभु का ह्रदय, कृपा तू उनकी पायेगा। लौटा दे माता को नही तो, बिना काल मर जाएगा।। सुनकर अंगद वाणी को, लंकेश लगा है तपने। तम में बोला वानर तू क्यों, आया है मरने।। जय श्री राम का घोष किया, अंगद ने पांव जमाया। असुर सभा का योद्धा कोई, पाँव डिगा ना पाया।। एक एक कर आये योद्धा, पड़ी गई मुँह की खानी। अंत में अंगद पांव उठाने, उठता खुद अभिमानी।। रावण झुका है चरणों में, अंगद ने पाँव हटाया। प्रभु शरण में जाने का, फिर से पाठ पढ़ाया।। अहंकार में चूर था रावण या परम ब्रह्म का ज्ञानी। प्रभुकमलों से तरने की क्या, खुद ही रची कहानी।। द्वारा रामभक्त दिनेश अगरिया #रामायण का आज का एपिसोड
#रामायण का आज का एपिसोड
read moreNaresh Kumar
*महत्वपूर्ण ये नहीं की रावण विद्वान था......!* *महत्वपूर्ण ये है कि एक 'विद्वान' भी "रावण" हो सकता है.!!* *वक्त से बढ़कर शिक्षा देने वाला आज तक कोई गुरु नहीं हुआ,* *और. विपत्ति से बढ़कर अनुभव देने वाला आज तक कोई विद्यालय नहीं खुला !* 🌹 *सुप्रभात* 🌹 *🌹आपका दिवस मंगलमय हो🌹* ©Naresh Kumar रामायण का ज्ञान #ramayan
Nitu Kumari
#RadheGovinda आदिपुरूष या रामायण का उपहास #रामायण #jai_shree_ram #आदिपुरूष_फिल्म #Poetry
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