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Kiran Chaudhary
मंज़िल सामने थी, रास्ता ज़रा मुश्किल था, हार हर कदम पर मेरे साथ थी, मगर मुझे जीत का चस्का था, कभी बेबस भी हुई, तो कभी टूटी भी, कभी खुद से लड़ी, तो कभी रूठी भी, किसी ने कभी साथ न दिया, खुद से सम्भली खुद ही को सहारा दिया भी, मैं हर रोज़ एक ही सपने के साथ सोई ओर उसी के साथ उठी भी, मैं खुद का सूरज बनी तो कभी अंधेरा भी।। ©Kiran Chaudhary मंज़िल सामने थी।।
बदनाम
White तमनाए भी अजीब होती है. कुछ देर तुम मेरे पास थे तो शब्द नही कुछ कहने को, अब तुम जा चुके हो और बहुत सी बाते थी जो तुमसे कहनी थी ©बदनाम तुमसे कहनी थी
Shakuntala Sharma
तकदीर """"""""""""""" तकदीर बदलती है रास्तों को देखकर । रास्ते तय हो जाते हैं तकदीर को देखकर ॥ मंजिल का पता नही फिर भी चलना पड़ता हैं। कदम कांटो पर भी चलते है तकदीर को देखकर कभी हंसते है कभी रोते है ' कभी गिरते हैं कभी संभलते है । जिन्दगी के हर गम हर सितम सह जाते है तकदीर को देखकर ॥ हमारे हाथों कुछ नही होता बस होता वही है जो तकदीर कहती है । हाथों की लकीरें भी खामौश हो जाती है तकदीर को देखकर ॥ ©Shakuntala Sharma #boatclub तकदीर बदलती रहती है।
Rohit Lala
एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे कहीं भी कुछ खाने को नहीं मिला. काफी देर भटकने के बाद उसे एक अंगूर का बगीचा दिखाई दिया. वह बगीचे में घुसी ताकि कुछ अंगूर खा सके. लेकिन बगीचा ऊंची दीवार से घिरा हुआ था. लोमड़ी बहुत कोशिश की पर दीवार कूद ना सकी. निराश होकर बैठने ही वाली थी कि उसे एक विचार आया. उसने सोचा कि वह बाग के रखवाले को बरगलाकर अंगूर प्राप्त कर लेगी. इसी सोच के साथ लोमड़ी बाग के बाहर जोर जोर से रोने लगी. रखवाले ने आवाज सुनी और बाहर निकल कर देखा. उसने लोमड़ी को रोते हुए देखा तो पूछा कि उसे क्या हुआ है. लोमड़ी ने कहा कि उसे बहुत प्यास लगी है और वह इसी बगीचे में लगे हुए मीठे अंगूरों का रस पीना चाहती है. रखवाला लोमड़ी की बातों में धोखा खा गया. वह यह नहीं समझ पाया कि लोमड़ी चालाकी से उसे बगीचे के अंदर जाने का मौका दिलाने के लिए यह सब कह रही है. वह दीवार का दरवाजा खोलकर लोमड़ी को अंदर ले गया. लोमड़ी अंगूर के बगीचे के अंदर गई और उसने खूब सारे अंगूर खाए. फिर वहां से निकलने का समय आया. जाने से पहले उसने रखवाले को धन्यवाद दिया और कहा कि ये अंगूर बहुत खट्टे हैं. यह सुनकर रखवाला चौंक गया. उसने सोचा कि शायद लोमड़ी की गलती से मीठे अंगूरों की जगह खट्टे अंगूर खा लिए. वह लोमड़ी की बातों में फिर से आ गया और यह देखने के लिए बगीचे के अंदर गया कि असल में अंगूर मीठे हैं या खट्टे. लोमड़ी इसी मौके की ताक में थी. जैसे ही रखवाला अंदर गया लोमड़ी ने दौड़ लगा दी और जंगल की तरफ भाग गई. रखवाला समझ गया कि लोमड़ी ने उसे धोखा दिया है. वह गुस्से से भरा हुआ था लेकिन कर भी कुछ नहीं सकता था. ©Rohit Lala एक जंगल में एक चतुर लोमड़ी रहती थी। वह कभी हार नहीं मानती थी और हमेशा किसी न किसी चाल से अपना शिकार पा लेती थी. एक दिन उसे बहुत भूख लगी. उसे
Rameshkumar Mehra Mehra
हर बकत तेरे आने की आस रहती है... हरपल तुमसे मिलने की प्यास रहती है..! सब कुछ है......!! वस तू नही इसलिए शायद....!!! यें जिंदगी उदास रहती है..... ©Rameshkumar Mehra Mehra # हर बकत तेरे आने की आस रहती है,हर पल तुमसे मिलने की प्यास रहती है,सब कुछ है,बस तूती नहीं ,इसलिए शायद यें जिंदगी उदास रहती हैं....
( prahlad Singh )( feeling writer)
Autumn ll में पी लूं सराफत को गर तो ये भरी बोतल मुझसे नाराज़ रहती है ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) नाराज रहती है#autumn
malay_28
मुख़्तसर सी वो मुलाक़ात थी रात छोटी पर बड़ी बात थी बाँध क़दमों में हक़ीक़त चले आँख में ख़्वाबों की बारात थी. ©malay_28 #छोटी रात थी
ANIL KUMAR
Red sands and spectacular sandstone rock formations बहोत नफरत थी उसे बेवफाओ से ना जाने अब उसकी खुद से कैसे बनती होगी ©ANIL KUMAR उसे नफरत थी