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Vaidik Mitt
Maa मुझको अपनी रोटी देकर खुद भूखी सो जाती है मुझको पंखा कर कर के सारी रात सुलाती है अपने पैसे जोड़ जोड़ कर मेरे लिए उपहार ले आती है maa मां पियारी मां
maa मां पियारी मां #कविता
read moreBETAB TOSHIF
कि मेरे यार की यारी लगे हैं जान से प्यारी चलेगा साथ जन्मो तक रूह जब तक हमारी है जुदा हम रह नहीं सकते कि तुम जान हमारी हो मिता इस दिल से नहीं सकते क्योंकि तुम पहचान हमारी हो। 🤝🤝🤝 ©BETAB TOSHIF #friends मेरे यार कीजिए यारि लगे हे जान से पियारी 🥰
#friends मेरे यार कीजिए यारि लगे हे जान से पियारी 🥰
read moreTribhuwan
होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ ©Tribhuwan होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ #shreeram
Krish Vj
।।होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ ।।होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ #jaishreeram #siyaram #ram #ramayana #sukun कर्म करते रहे बाकी होगा वहीं जो राम जी
।।होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥ #JaiShreeRam #siyaram #Ram #ramayana #sukun कर्म करते रहे बाकी होगा वहीं जो राम जी
read moreDip Zala
बिबिध भाँति होइहि पहुनाई। प्रिय न काहि अस सासुर माई॥ तब तब राम लखनहि निहारी। होइहहिं सब पुर लोग सुखारी॥ अर्थ:-तब उनकी अनेकों प्रकार से पह
बिबिध भाँति होइहि पहुनाई। प्रिय न काहि अस सासुर माई॥ तब तब राम लखनहि निहारी। होइहहिं सब पुर लोग सुखारी॥ अर्थ:-तब उनकी अनेकों प्रकार से पह
read moreTriveni Shukla
पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन कोलाहल से भरा हुआ है रात पियारी घोर शान्त, निर्बाध विचरता रहता हूँ लेता विराम जब हो विहान! एकाग्रशील है मन मेरा अब सहज हो रहा चिन्तन भी, साकार 'कल्पना' करने को तादात्म्य हो रहे तन-मन भी! जग कहता जिनको निशाचरी वो दिवास्वप्न के मारे हैं, रातें उजली दिन कारे हैं ये 'रातों के उजियारे' हैं! !! रातों के उजियारे !! पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन
!! रातों के उजियारे !! पुलकित मन के स्पन्दन का नित निशा संग अनुनाद रहा, उगते सूरज की किरणों से एक बैर सा पाला है मैंने! दिन #Inspiration #philosophy #yqdidi #yqhindi #aestheticthoughts #RatonKeUjiyare
read moreReena Patel
मन की थकन जो उतार दे वो अवकाश चाहिए.. इस भागती सी जिंदगी में फुरसत की सांस चाहिए । बिटिया के मेरे आज आगमन हुआ है.... तो बस उसे खिलाने का मुझे कुछ समय चाहिए... कुछ पल उस संग बिताने का मुझे बस कुछ समय चाहिए... चेहरों को नहीं दिल को भी पढने का वक्त दो मुझे हुआ है मेरी बेटी का आगमन …. मुखौटों भरी जिंदगी से कुछ पल को मुझे संन्यास चाहिए.... बिटिया का आज मेरे घर आगमन हुआ है....!! उस संग मुझे खेलने का मुझे कुछ समय चाहिए...!! @_kuchbaateindilki_ ©Reena Patel #बिटिया कोई 1 दिन के लिए नहीं कोई उसका दिन....नसीब वाले होते हे,जिनके घर बिटिया होती है..एसा नही की मेरी कोई बिटिया नहीं!! हे मेरी भी 2 बिट
#बिटिया कोई 1 दिन के लिए नहीं कोई उसका दिन....नसीब वाले होते हे,जिनके घर बिटिया होती है..एसा नही की मेरी कोई बिटिया नहीं!! हे मेरी भी 2 बिट #मुझे #तुमने #thankyou #kuchbaateindilki #Reenapatel #HappyDaughtersDay2020
read moreDigg
Truth 🌟 Love❤️ Peace 🌈 Truth :- होइहि सोई जो राम रचि राखा ! कोकरि तर्क बढ़ावै साखा !! Whatever Lord Ram has destined, Only That shall happen , Why should somebod
Truth :- होइहि सोई जो राम रचि राखा ! कोकरि तर्क बढ़ावै साखा !! Whatever Lord Ram has destined, Only That shall happen , Why should somebod #Love #Krishna #peace #spiritual #nojotoLove #Shiv #shivaki
read moreVikas Sharma Shivaaya'
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता है, वहां कभी भी कोई अनिष्ट नहीं होता। खुशहाली और सकारात्मकता का माहौल हर तरफ रहता है। शत्रु और रोगों पर विजय- ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। "सुन्दरकांड" सुन्दरकांड में 526 चौपाइयाँ, 60 दोहे, 6 छंद और 3 श्लोक है। सुन्दरकांड में 5 से 7 चौपाइयों के बाद 1 दोहा आता है। हनुमानजी वानरों को समझाते है- जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥ तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई॥1॥ जाम्बवान के (सुन्दर, सुहावने) वचन सुन कर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगे और हनुमानजी ने कहा की – हे भाइयो!आप लोग कन्द, मूल व फल खाकर समय बिताना, औरतब तक मेरी राह देखना, जब तक कि मैं सीताजी का पता लगाकर लौट ना आऊँ॥1॥ श्रीराम का कार्य करने पर मन को ख़ुशी मिलती है- जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥ यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥2॥ जब मै सीताजीको देखकर लौट आऊंगा,तब कार्य सिद्ध होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा॥यह कहकर और सबको नमस्कार करके,रामचन्द्रजी का ह्रदय में ध्यान धरकर,प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए चले 2॥ हनुमानजी ने एक पहाड़ पर भगवान् श्रीराम का स्मरण किया- सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥ बार-बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी॥3॥ समुद्र के तीर पर एक सुन्दर पहाड़ था। हनुमान् जी खेल से ही कूद कर उसके ऊपर चढ़ गए॥ फिर वारंवार रामचन्द्रजी का स्मरण करके,बड़े पराक्रम के साथ हनुमानजी ने गर्जना की॥ हनुमानजी, श्रीराम के बाण जैसे तेज़ गति से, लंका की ओर जाते है- जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥ जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना॥4॥ जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखे थे,वह पहाड़ तुरंत पाताल के अन्दर चला गया और जैसे श्रीरामचंद्रजी का अमोघ बाण जाता है,ऐसे हनुमानजी वहा से लंका की ओर चले॥ मैनाक पर्वत का प्रसंग: समुद्र ने मैनाक पर्वत को हनुमानजी की सेवा के लिए भेजा- जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥ समुद्र ने हनुमानजी को श्रीराम का दूत जानकर मैनाक नाम पर्वत से कहा की –हे मैनाक, तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो,इनको ठहरा कर श्रम मिटानेवाला हो,॥ मैनाक पर्वत हनुमानजी से विश्राम करने के लिए कहता है- सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब। कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥ समुद्रके वचन कानो में पड़ते ही मैनाक पर्वत वहांसे तुरंत ऊपर को उठ गया,जिससे हनुमानजी उसपर बैठकर थोड़ी देर आराम कर सके और हनुमान जी के पास आकर,वारंवार हाथ जोड़कर, उसने हनुमानजीको प्रणाम किया॥ 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट: ये अष्टदशाक्षर मंत्र दिव्य प्रभाव देता है, मंत्र महोदधी में कहा गया है, जिस घर में इस मंत्र का जाप होता ह #समाज
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