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Anjana Gupta Astrologer
शनि चरण पाया विचार एक अन्य पद्धति के अनुसार जन्मकालीन चंद्रमा की राशि से शनि 1, 6, 11वें स्थान में हो तो सोने का चरण या पाया; 2, 5, 9वें स्थान में हो तो चांदी का पाया; 3, 7, 10वें स्थान में हो तो तांबे का पाया तथा 4, 8, 12 वें भाव में हो तो लोहे का पाया माना जाता है। यदि गोचर कुण्डली में शनि, जन्मकालिक चंद्र राशि से अष्टम स्थान पर है, अत: लोहे के पाये में है। सोने के पाये में तथा लोहे के पाये में रहने पर घरेलू सुख में अशांति, स्वास्थ्य- हीनता, धन का क्षय, कलंक, मानहानि तथा सभी कार्यों में विघ्न होता है । चांदी व तांबे का पाया शुभ होता है। उसमें व्यापार व रोजगार में सफलता, शत्रु व रोग का नाश, कार्यों में सफलता एवं धन-सम्पत्ति की वृद्धि होती है । 24 जनवरी 2020 के बाद मिथुन राशि से शनि आठवां 8 होगा, तुला राशि से शनि चतुर्थ 4 होगा, धनु राशि से शनि दूसरा 2 होगा, मकर राशि पर शनि पहला 1 होगा और कुंभ राशि पर शनि 12 वा होगा। शनि का गोचर
Anita Najrubhai
Environment भूमि भूमि एक माँ के समान होतीं हैं बहोत सारी कठिनाई यों ओर दर्द सहती है फिर भी इन्सान माँ समान भूमि पर अपना घमंड दिखाते हैं भूमि पर एक एक वृक्ष रोपना चाहिए फिर भी इन्सान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वृक्षों नो विनाशथाय छे ©Anita Najrubhai #EnvironmentDay2021 #भूमि भूमि एक माँ के समान है
Brandavan Bairagi "krishna"
।।मातृ-भूमि के लिये।। कर दूं समर्पण, सर्वस्व मातृ भूमि के लिये। दे मुझे वरदान माते,दे मुझे वरदान। देश हित प्रथम हो चाहे हो जां कुर्बान। दे मुझे वरदान........ विश्व में विजय पताका, फहराऊँ अपने देश की भारत भूमि की बढ़े शान। दे मुझे वरदान........... सर्व धर्म का सन्देश मेरे देश का, इस भावना से हो जग कल्यान। दे मुझे वरदान .......... बस यही कामना है, हो मेरा जीवन समर्पित मातृ-भूमि के लिये। बृन्दावन बैरागी"कृष्णा" ©Brandavan Bairagi "krishna" ।।मातृ-भूमि के लिये।। #mountain
Kumar Manoj Naveen
अजीब दास्तां है सुनाए न बने, पर बिन कहे भी दिल कैसे रहें। बच्चे थे तब सोचते थे कब होंगे हम बड़े, अब सोचते है क्यों हुए हम बड़े? न होते बड़े,न होती जिम्मेदारी, रोजी-रोटी के संघर्षों से सदा होती दूरी। ना आफिस की होती चिंता, न बास शब्द कोई जानता? होती नही हमारी शादी, न होते बीबी- बच्चे, नहीं होती रोज किच-किच। घर में शांति होती। क्या नजारा होता? बस अपना ही राज होता। घर तब हमारा होता। मां-पापा, भाई-बहन सब साथ होते, एक-दूसरे संग हिल-मिल दिन बिताते। मां के हाथ की रोटी का स्वाद होता, पापा के डांट का बस अख्तियार होता। पर प्रकृति के नियमों पर जोर चलता कहां है? होता वही है जो विधना ने लिख दिया है। ***नवीन कुमार पाठक (मनोज)***** ©Kumar Manoj प्रकृति के नियम#