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Anupama Jha

बल्लीमारान वहीं है, पर रहता अब कोई ग़ालिब नहीं

बेनज़ीर है वो, उसके जैसा कोई कातिब नहीं...








     #ghalib #बल्लीमारान #yqdidi

Anupama Jha

ग़ालिब की गलियाँ ,अब नही गाती 
नज्म और शेर
बल्लीमारन की गलियाँ
बन के रह गयी है
बस यादोँ का ढेर

 #ग़ालिब#यादें#बल्लीमारान#गालियाँ
#YQdidi

Karna Gurjar

singers भूपेंद्र खटाना एवं बल्ली गुर्जर #म्यूज़िक

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hindi prabha

# बल्ली सिंह चीमा तय करो किस ओर हो तुम #DailyMessage

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R Rajkumar Kesharvani

#अजीत_की_दुल्हन #कंल हम बात करेंगे अपने मित्र अजीत के बारे में और उनके किस्सों को साझा करेंगे #ajeetkesharwani #बल्लीवाले

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मित्रो अजीत की शादी होनी चाहिए कि नही होनी चाहिए
अजीत को दुल्हन लानी चाहिए कि नही लानी चाहिए #अजीत_की_दुल्हन #कंल हम बात करेंगे अपने मित्र अजीत के बारे में और उनके किस्सों को साझा करेंगे  #ajeetkesharwani #बल्लीवाले

Sangeeta Patidar

तकार- तकरार बिगार- बिगाड़ Rest Zone 'काव्य सृजन' "अगर कुछ मोल-भाव मुखिया कर लेता सलीके से, भले कुछ लोग गिर जाते, मगर सरकार बच जाती।" -बल् #feelings #sangeetapatidar #restzone #rzhindi #ehsaasdilsedilkibaat #rzलेखकसमूह #rztask290

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मतलब समझते अगर शब्दों की तकार बच जाती,
बेवजह आती-जाती ख़यालों की गुहार बच जाती। 

मानते अपने जैसा ही औरों की ज़िन्दगी का मोल, 
डूबते-डूबते किसी के साँसों की कनार बच जाती।

अगर कुछ मोल-भाव मुखिया कर लेता सलीके से,
भले कुछ लोग गिर जाते, मगर सरकार बच जाती।

सह लेते कुछ बे-सिर-पैर के इल्ज़ामात यूँही अगर, 
टूट के बिखरते तो सही, मगर ये बिगार बच जाती। 

देखे बिना क़ाबिलियत, करना था हमें बखान 'धुन', 
होती नहीं दूरियाँ, झाँकने के लिए दरार बच जाती।  तकार- तकरार 
बिगार- बिगाड़

Rest Zone 'काव्य सृजन'

"अगर कुछ मोल-भाव मुखिया कर लेता सलीके से,
भले कुछ लोग गिर जाते, मगर सरकार बच जाती।"
-बल्

Ravendra

बहराइच में निर्माणाधीन छत की बल्ली गिरने से दो मजदूरों की मौत, छह अस्पताल में भर्ती बहराइच जिले में सीतापुर मार्ग पर स्थित एक रिसॉर्ट में #न्यूज़

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ittu Sa

इत्तु सा पैग़ाम हाल-ए-दिल के नाम। कहने को तो बहुत कुछ हैं, पर कोई सुने वाला तो मिले। हाल-ए-दिल ब्यान तो कर दें पर कोई समझने वाला तो मिले। या #Poetry #Quotes #Thoughts #Hindi #poem #Talk #haal #Life_experience

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कहने को तो बहुत कुछ हैं,
 पर कोई सुने वाला तो मिले।
हाल-ए-दिल ब्यान तो कर दें हम,
पर कोई समझने वाला तो मिले।
या होगा वही हाल मेरा ,
मिलेगा वही ग़म ,
जो अरसे पहले घूमता था ,
बल्ली बार के मोहल्ले में।

_इत्तु सा

©Ittu Sa इत्तु सा पैग़ाम हाल-ए-दिल के नाम।

कहने को तो बहुत कुछ हैं, पर कोई सुने वाला तो मिले।
हाल-ए-दिल ब्यान तो कर दें पर कोई समझने वाला तो मिले।
या

Deepak Mishra

चलो बाल निकाल लो खाल की, यों खाल निकाल लो बाल की, राम नाम की छुरी चलाय के, कर दो जय कन्हैया लाल की... चाय लेलो चाय चाय चाय लेलो चाय ले लो #Time #कविता

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चलो बाल निकाल लो खाल की,
यों खाल निकाल लो बाल की,
राम नाम की छुरी चलाय के,
कर दो जय कन्हैया लाल की...

©Kalamgeer चलो बाल निकाल लो खाल की,
यों खाल निकाल लो बाल की,
राम नाम की छुरी चलाय के,
कर दो जय कन्हैया लाल की...

चाय लेलो  चाय चाय
चाय लेलो चाय ले लो

Abhishek Yadav

तुम सत्य खोजते फिरते हो, बाहर का कुछ भी पता नही, अंदर ही बैठे रहते हो, तुम साकार, जगत साकार, निराकार कुछ हो तो कहो, साकार बिना जाने ही प्यार

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तुम सत्य खोजते फिरते हो,
बाहर का कुछ भी पता नही,
अंदर ही बैठे रहते हो,
तुम साकार, जगत साकार,
निराकार कुछ हो तो कहो,
साकार बिना जाने ही प्यारे,
निराकार बने तुम फिरते हो,
बाहर का छप्पर उड़ता जाता,
तुम भीतर की बल्ली पकड़े हो,
बाहर उड़ता है तिनका तिनका,
तुम भीतर भीतर रहते हो,
घट खाली या भरा हुआ है,
जल भीतर है या बाहर,
तुम भीतर से नाटक करते,
बाहर जाने से डरते हो,
नदियाँ बहती ताल तलैया,
सागर बहता है भीतर ही,
तुम तो नदी हो बाहर वाले,
खुद सागर के भ्रम में रहते हो,
जबतक तुम कुछ सोच हो पाते,
ब्रह्मांड अनेकों बन जाते हैं,
तारों का तुमको पता नही कुछ,
ब्रह्मांड समेटे फिरते हो,
समझ सको तो बाहर समझो,
भीतर तो सब नासमझी है,
बाहर खाली हाथ तुम्हारे,
भीतर से जकड़े रहते हो,
अपने तल का पता नही कुछ,
करते हो दूजे तल की बात,
जिसका तल है उसे पता है,
अंतरतल का नाटक करते हो,
पहले बाहर सुनना सीखो,
सीखो साकार, रूप सौंदर्य,
जो कीड़ों के पदचाप हो सुनता,
तुम उसकी बातें करते हो,
निराकार देखा है तुमने,
कृति साकार, प्रतिकृति निराकार,
कृति का अता पता नही कुछ,
प्रतिकृति में गूँगे रहते हो,
साकार तुम्हारा भ्रम है प्यारे,
पर निराकार तो विभ्रम है,
पहले भ्रम, फिर विभ्रम के पार,
पर तुम!असमंजस में रहते हो,
तुम साकार, जीवन साकार,
निराकार तो प्रियतम है,
साकार बने गोता तुम मारो,
क्यों असत्य में रहते हो?
         -✍️ अभिषेक यादव तुम सत्य खोजते फिरते हो,
बाहर का कुछ भी पता नही,
अंदर ही बैठे रहते हो,
तुम साकार, जगत साकार,
निराकार कुछ हो तो कहो,
साकार बिना जाने ही प्यार
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