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Stories related to फ़लसफ़ा

Anjali Singhal

#Thinking "ज़िन्दगी का तो फ़लसफ़ा ही है आना और जाना। मुख़्तसर सी ज़िन्दगी में ढूँढे हम तवील खुशियों का खजाना।।" #AnjaliSinghal shayari #

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White "ज़िन्दगी का तो फ़लसफ़ा ही है आना और जाना।
मुख़्तसर सी ज़िन्दगी में ढूँढे हम तवील खुशियों का खजाना।।"

©Anjali Singhal #Thinking 

"ज़िन्दगी का तो फ़लसफ़ा ही है आना और जाना।
मुख़्तसर सी ज़िन्दगी में ढूँढे हम तवील खुशियों का खजाना।।"

#AnjaliSinghal #shayari #

नवनीत ठाकुर

#नवनीत हर ग़म को अपनी ताक़त बना, हर ठोकर को अपनी इबादत बना। जो डिगे न कभी, वो इरादा बना, और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना। तेरे ख्वाब तेरे हौ

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green-leaves हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौसले की दुआ हैं,
तेरी मेहनत ही तेरी सबसे बड़ी वफ़ा है।
ख़ुदा भी देगा तुझे ताज-ए-क़ामयाबी,
बस चलते रहना, यही रास्ता सच्चा है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीत 
हर ग़म को अपनी ताक़त बना,
हर ठोकर को अपनी इबादत बना।
जो डिगे न कभी, वो इरादा बना,
और अपनी तक़दीर का फ़लसफ़ा बना।

तेरे ख्वाब तेरे हौ

theABHAYSINGH_BIPIN

#Hope वक्त के साथ किरदार बदलता है, वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं। कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर, वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं। वक्त के

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वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के साथ मिटती हैं दूरियाँ,
वक्त के साथ अपने भी बदलते हैं।
क्यों पकड़े हो कसकर पतंग की डोर,
इशारे में थामो, उड़ान बदलती है।

क्यों बढ़ने हैं तुम्हें सब एक दिशा से,
वक्त के साथ रिश्ते भी बिखरते हैं।
क्यों आवेश में पड़े चिंतित हो,
वक्त पर ही सारी पहेलियाँ सुलझती हैं।

हर रिश्ते में वो जज़्बात रहते हैं,
हर रिश्ते में वो तड़प रहती है।
क्यों हो इतना भी बेकरार तुम,
वक्त पर ही नींद सुकून की आती है।

जिंदगी का फ़लसफ़ा किसे पता,
वक्त पर ही जिंदगी सब सिखाती है।
क्यों कार्यों के बोझ तले डूबे हो,
वक्त ही वक्त ख्वाहिशें जगाता है।

नासूर ज़ख्मों की परवाह क्यों,
वक्त पर ही दवा मिलती है।
दिल अगर टूटा है तो क्या हुआ,
वक्त पर ही अपने मिलते हैं।

क्या हुआ जो मौसम सावन चला गया,
वक्त पर ही तो सारे मौसम बदलते हैं।
क्या हुआ जो रिश्ते पतझड़ बन गए,
वक्त पर ही बसंत की बहार खिलती है।

छोड़ दो बेफिक्री में बेफिकर उसे,
वक्त पर ही दबे राज भी खुलते हैं।
वक्त पर सब कुछ अच्छा मिलता है,
वक्त पर ही सही, नक्षत्र मिलते हैं।

©theABHAYSINGH_BIPIN #Hope  
वक्त के साथ किरदार बदलता है,
वक्त के साथ रीतिरिवाज बदलते हैं।
कब तक बैठोगे रूढ़िवादी सोच पर,
वक्त के साथ जज़्बात बदलते हैं।

वक्त के
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