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yogitaupadhyay45gmailcom
#MessageOfTheDay ए सखी सुन तो सखी तेरे बिन हम अधूरे हे जीवन में आज भी अकेले हे यूँ न समझ हम भूल गए हे कुछ मजबूरियों में धूल गई हैं सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे बचपन की यादें जवानी की यादें कुछ ओर ही आलम था कुछ ओर ही मस्ती थी बस अब यादों का भवर हे सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे वो रातो को तारे गिनना फिर मिलने का वादा करना वो चिल्ला ना व चीखना सब कुछ बदला सा हे सुन तो सखी हम तेरे बिन अधूरे हे वो सावन की फुहार वो मस्ती की बहार वो अठखेलिया तेरा रूठना मेरा मनाना सब कुछ याद हे मुझें सुन सखी हम तेरे बिन अधूरे हे ©yogitaupadhyay45gmailcom #ए सखी #@ए सहेली
DEEP JAMINDAR
माफ़ी ए यार (सखा-सखी ) हे सखी माफ़ी ए यार ना इश्क़ चाहिए ना प्यार सखी मँगता हू तेरा प्रेम भरा दुलार सखी माफ़ी ए यार नादान सा जी मेरा करता रहता है नादानियां ए सखी लो मान लिया मे हि करता रहता हु शेतानिया माफ़ी ए यार ए मोहन सी निष्ठुर सखी , क्यों न जाने मेरा तू पीर सखी मन बावरा तुझे मालूम सखी , फिर क्यूँ दाग दिये बिरह के तीर सखी माफ़ी ए यार ना करूंगा मैं तुझे तंग सखी, कट गयी देखो मेरी पतंग सखी धूमिल हो गये देखो रंग सखी, चलो खुश रहो तुम उनके संग सखी माफ़ी ए यार - सखा (दीपक मीणा गोठवाल ) ©deep माफ़ी ए यार (सखा-सखी ) हे सखी माफ़ी ए यार ना इश्क़ चाहिए ना प्यार सखी मँगता हू तेरा प्रेम भरा दुलार सखी माफ़ी ए यार नादान सा जी मेरा करता रहत
Vishal Chavan
सखी.. हिरव्यागार देठावर, लालभडक जास्वंद डोलते... जे जे सुंदर त्या सगळ्यातून, सखी माझ्याशी बोलते.... काठोकाठ प्रेमरस आणि अनुपम अनुराग, माझी सखी म्हणजे, जणू स्वर्गातली बाग... झाड वेली फुल पानांवर, जीव जडतो तिचा.. माझी सखी प्रेमग्रंथातील, सर्वोत्तम ऋचा... Vishaal/Aadinaath 12-07-21 . ©Vishal Chavan #सखी
Shilpa Suryavansi
तू तिथे मी इथे दोघी आहोत सुखी तरी कसली तरी आहे तुझ्या आयुष्यात कमी याची मी देते हमखास हमी कारण होतो कधी तरी जिवलग सखी सखी
kuldeep vaishnav
हैं गलत उसको बेवफा कहना हम भी कहा के धुले धुलाये थे, आज कांटो भरा मुकद्दर है हमने गुल भी बहुत खिलाये थे। सखी
ऋतुराज पपनै
love according to me is सखी वो देखो धरती पर स्वर्ग सा सुंदर धाम है। राम लला का घर वो अयोध्या रहते वहाँ श्रीराम हैं। ©ऋतुराज पपनै #सखी
Jaya Dilip Goswami
#PulwamaAttack यह सच है बदल गयी हूँ मैं !उम्र आने पर संवर गयी हूँ मैं | हाँ यह सच है ,कुछ-एक सफ़ेद बालों की गरिमा से भर गयी हूँ,एक औरत से माँ बन गयी हूँ मैं ! सबको प्यार से संभाला अब तक, अपनी जरूरतों को प्यार से सहलाया आज ,हाँ ,थोड़ी -थोड़ी सी बदल गयी हूँ मैं ...... रिश्तों को निभाती हूँ ,उससे जुड़े भार नहीं ढोती ,कितने बोझ अपने कन्धों पर लेकर चलूँ , समझ में आ गयी है यह बात कि ,आखिर औरत हूँ,धरती नहीं हूँ मैं ! आजकल दूसरों को एकदम से सलाह नहीं देती ,अगर उसकी स्थिति मेरे समझ से बाहर हो | अपने ज्ञान का प्रर्दशन करने से पहले, दूसरों को सलाह देने से पहले, खुद को टटोलने लगी हूँ मैं ! उनको इज़्ज़त देती हूँ, उनका पक्ष जानने की कोशिश करतीं हूँ,,सासु माँ को सास रहने देतीं हूँ ,माँ समझकर अपनी अपेक्षाएं नहीं बढाती अब,लगता है खुश रहने लगीं हूँ मैं ! आजकल सब्जी वाले ,ऑटो वाले से ,काम वाली से बिन बात मोलभाव नहीं करती , शॉपिंग मॉल में लुटे पैसे का भाव समझ गयी हूँ मैं | जानती हूँ खुद को सजाना ,संवारना जरुरी है पर खुद को सँवारने से पहले आत्मा पर पड़े मैल खुरचने लगीं हूँ मैं !लगता है अब निखर गयीं हूँ मैं ! थक जाने पर शरारतें बच्चों की परेशां करतीं है ,पर अब उनपर चिल्लाती नहीं ,उन्हें समझने की कोशिश में लगीं हूँ मैं !गीली मिट्टी सवांरने लगीं हूँ मैं ! बुजुर्गों के किस्सों मे उनके बचपन को जी लिया करतीं हूँ ,अनेकों बार सुनी उनकी बातों पर आज उन्हें टोकती नहीं बस पहली बार सुना हो वैसे मज़े लेने लगीं हूँ मैं | हरेक दिन को आखरी समझ कर जीने का तरीका सीख रहीं हूँ ,अपने इस नए "मैं" से प्यार करने लगीं हूँ मैं ! वक़्त से पंख उधार लेकर तितलियों सी उड़ने लगी हूँ मैं, फिर भी पैरों के नीचे जमीन रखतीं हूँ , "खुद से दोस्ती करने लगी हूँ मैं !" सखी