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Stories related to hindi poem on sunrise

Arunava Chakraborty

#Sunrise

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এক অপূর্ব আলো নত হোক গাছের পাতায়
ঝিলিমিলি লেগে যাক নদীর শান্ত শরীরে
তোমাকে ছুঁয়েছি যেই হিম হিম সাদা কুয়াশায়
সবকিছু শুভ হোক, তুমি থাকো হৃদয়ে গভীরে...
                                Happy new year.....

©Arunava Chakraborty #Sunrise

Vijay Vidrohi

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हरियाणा 

हरियाणवी संस्कृति की धरा पर,
खेतों में है खड़े किसान, 
मेहनत से जुटे दिन और रात
हरियाणा की ये पहचान।

उनके हाथों में हल, उनके दिल में सपने,
सबका पेट भरे हैं अन्न से समझ के अपने

महिलाएं घाघरा ‌चोली पहने, सिर पर पललू,
बेटे को यह प्यार से कहती मेरा कल्लू

खेतों में भी‌ साथ कमावै बणकै ढेठी
ओलंपिक में मेडल लावे हरियाणा की बेटी 

उनके हाथों में सुई, उनके दिल में प्यार,
गिद्दा खडवा घोड़ी नृत्य गाव गीत मल्हार।

हरियाणवी संस्कृति एक सुंदर सी कहानी है,
जिसमें मेहनत, संतोष,प्यार और मीठी बाणी।

गर्व से उस फौजी बेटे पै जो राखे देश का मान
यही है हरियाणवी संस्कृति की असली पहचान।

जो हमें गर्व और सम्मान से भर देती है।
कृपया बताएं कविता कैसी लगी

©Vijay Vidrohi हरियाणा #हरियाणा #my #new #poem  poetry on love love poetry in hindi hindi poetry punjabi poetry poetry lovers

Bharat Bhushan pathak

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नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak #newday  love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

Ak

Bharat Bhushan pathak

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#विधा-सोरठा छंद
देकर जिसने प्राण,रक्षित जीवन को किया।

लिया नहीं अवकाश,सेवा माता को दिया।।१

खाते हरदम चोट,तपते रवि सम ही यहाँ ।

पल भर को भी चैन,लेते वो बोलो कहाँ।।२

छोड़ सदा परिवार,सदैव सरहद पे रहें।
करते सबसे प्रेम,वार शत्रु के भी सहें।।३

मिले हमें आनंद,उपाय करते हैं यही।
रहते ओढ़े बर्फ,कहता एकदम हूँ सही।।४

©Bharat Bhushan pathak  poetry in hindi poetry lovers hindi poetry hindi poetry on life poetry on love

NR (Dilki baatein shabdonme...)

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Chandan Navik 'VINAMRA'

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#Sunrise

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कितना सुंदर शब्द है -"परमार्थ" है ना..!
और इसका साधारण शाब्दिक अर्थ क्या है,-"उत्कृष्ट वस्तु"। बहुधा हम सबने कथा पुराणों में इस शब्द को सुना समझा होगा किन्तु इसकी एक और सुंदर व्याख्या की जा सकती है। कैसे..? देखिये परमार्थ का सन्धि विग्रह करें तो दो पृथक पृथक शब्द बनते हैं अर्थात परम् और अर्थ..! परम् शब्द का अर्थ जिसके ऊपर कुछ भी ना टिक सके, और अर्थ अर्थात ऐसा द्रव्य जिससे भोगों को प्राप्त किया जा सके सामान्यतः इसे धन समझ लें (यद्पि अर्थ को बहुत विस्तृत रूप में माना जाता है किन्तु यहां केवल शाब्दिक अर्थ में समझें) इस प्रकार परमार्थ का अर्थ हुआ "सर्वोत्तम प्राप्य"। और सर्वोतम प्राप्य क्या है, वह जिसे एक बार प्राप्त कर लिया जाये तो फिर कुछ भी पाने की कोई कामना नहीं रहती.. और ऐसा प्राप्य है "परमपिता परमेश्वर" हांजी सरल शब्दों में परमार्थ का अर्थ ही परमेश्वर की प्राप्ति है।
अब प्रश्न आता है इस परमार्थ शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है तो उत्तर है मूलतः जीवमात्र के संदर्भ में..! जीव क्या है..? तो जीव प्रत्येक देहधारी में ईश्वर अंश जिसे ब्रम्हज्ञान द्वारा समझा जा सकता है, प्रत्येक जीव किसी ना किसी देह को धारण करता है और देहकर्म में निमग्न रहता है..! तो, परमार्थ जीव के लिए कहा गया है अब जीवों में भी सर्वोत्तम जीव है मनुष्य। अस्तु परमार्थ प्राप्ति की सर्वश्रेष्ठ योनि है मनुष्य जो परमार्थ प्राप्त कर पाने में अन्य जीवों से बहुत अधिक सामर्थ्य रखता है..! किन्तु केवल जीव परमार्थ को कैसे प्राप्त कर सकता है बिना किसी साधन के तब जीव को साधन रूप में देह प्राप्त हुई ताकि जीव कर्म के द्वारा परमार्थ प्राप्त कर सके..! किन्तु यहां भी एक समस्या है यदि जीव को देह प्राप्त हो भी गई तब उस देह के संचालन हेतु भी साधन की आवश्यकता तो होगी ही.. हाँ तो देह के लिए अति अनिवार्य तीन मुख्य वस्तुएँ हैं रोटी कपड़ा और मकान..! बस इतना देह की मुख्य आवश्यकता है जिसे जीव अपने कर्म से अर्जित करता दिखाई देता है.. पर यहां थोड़ा रुकते हैं और ये देखें कि क्या मानवदेह रुपी जीव अपने सम्पूर्ण जीवन में कितना देहापूर्ति में भागता है और कितना परमार्थ की ओर भागता है.. क्या मानवमात्र ने अपने जीवन के चरमोत्कर्ष को, परमार्थ को प्राप्त करने की कोई इच्छा भी की.वो तो अपने देह की आपूर्ति में परमार्थ को ही भूल बैठा है.! तब..? तब संत समाज उसकी विस्मृति को स्मृति में बदलने का प्रयास करता है, किन्तु वहाँ भी ये मानव समाज बिना स्वार्थ के परमार्थ से जुड़ना नहीं चाहता.. जबकि जीवन ही परमार्थ प्राप्ति के लिए मिला है।
जय सियाराम 🙏🙏

©अज्ञात #Sunrise

jeet musical world

#Sunrise

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ਜੇਕਰ ਨਾਮ ਜਪਿਆ ਵੰਡ ਛਕਿਆ
 ਕਿਰਤ ਕੀਤੀ ਫਿਰ ਆਖਣਾ ਧੰਨ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ 🙏
✍️ ਜਤਿੰਦਰ ਜੀਤ

©jeet musical world #Sunrise

SILENT BABA

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  Title  -  " बिदाई " 

बेटी के जन्म से ही माता-पिता को,,,
सबसे पहले मन में यहीं बात आती हैं कि
बेटी तो एक दिन दूसरे घर में जानी है
माता-पिता बेटी को ,,,,,    
हर दुःख दर्द से दूर करने की कोशिश करते है 
जब उसकी शादी की बात आती है ,,,,,,
तब उसकी बिदाई की फ़िक्र में परेशान रहते हैं कि
बेटी को ससुराल वाले ताने ना दे ,,,,,,,

©SILENT BABA #Sad_Status  poetry in hindi hindi poetry poetry poetry on love hindi poetry on life
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