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Neel
White कुछ तो है जो आग सा...जल रहा मुझमें, धूप से टुकड़े के जैसा... पल रहा मुझमें। चाहत की डोरियों से बांध...खींच लाऊं क्या..?? मेरा बचपन जो बंद आंखों में...पिघल रहा मुझमें। 🍁🍁🍁 ©Neel #पिघल रहा मुझमें 🍁
RAVI PRAKASH
White लोग अक्सर कहते है जिंदा रहे तो मिलेंगे मगर एक दोस्त ने क्या खूब कहा मिलते रहे तो जिंदा रहेंगे !! ©RAVI PRAKASH #flowers जिंदा रहे तो मिलेंगे
BANDHETIYA OFFICIAL
White लोकतंत्र में बिल्कुल बिखराव होता है, कुछ जुड़ाव होता है, मनमुटाव होता है, फिर लगाव होता है, सूरत ये है, सहमति -असहमति में बनाव होता है, सर्वोपरि है समाज, सर्वोपरि है देश। ©BANDHETIYA OFFICIAL #लोकतंत्र जिंदा रहना चाहिए।
BANDHETIYA OFFICIAL
White लोकतंत्र के नये सूर्य के सामने अंधेरे में लगता ये आदमी अंध श्रद्धा की प्रतिमूर्ति है, सावधान, सूर्य को जरा आकाश पर चढ़ने दो, सबकुछ साफ हो जाएगा। ©BANDHETIYA OFFICIAL #लोकतंत्र जिंदा है।
Raxx
White एक अरसा हो गया मंज़िल तलाशने निकले थे, सफ़र में ही जिंदा लाश बन गए... ©Raxx #car जिंदा लाश
हिंदुस्तानी
White तुम क्या जानो मैं खुद से शर्मिंदा हूं, छूट गया है साथ तुम्हारा, फिर भी जिंदा हु..!!! ©सत्यमेव जयते #फिर भी जिंदा हु..!!!
#फिर भी जिंदा हु..!!!
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
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ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। ज़िन्दगी ये हसीन भी होती । पर अभी बाकी कुछ कसर मुझमें ।। जिस तरह चाहता हूँ मैं तुमको उस तरह यार फिर उतर मुझमें ।। खोजते तुम जिसे हमीं में हो । उसका होता नहीं बसर मुझमें ।। व्यर्थ करती है इश्क़ का दावा । वह न आती कहीं नज़र मुझमें ।। दिल चुराया अगर तुम्हारा है । कह दे उससे अभी निकर मुझमें ।। भूलकर भी न दूर जाता है । वो सितमगर छुपा प्रखर मुझमें ।। ०९/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।।
ग़ज़ल तेरी चाहत का है असर मुझमें । एक सुंदर बसा नगर मुझमें ।। #शायरी
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