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Arun Chinchangi
भरारी... घ्यायचीय उंच भरारी आकाशात स्वप्नांना नवे पंख देवून अन् करायचंय विहार मुक्तपणे स्वच्छंदी पक्षाप्रमाणे कोणतीही तमा न बाळगता... बागडायचंय रानाफुलांत स्वैर फुलपाखराप्रमाणे अन् पसरवायचाय गंध मलाही त्या सुवासिक फुलाप्रमाणे मग आसरा घेता घेता द्यायची आहे मलाही एक दिवस सावली वटवृक्षाप्रमाणे... देतो प्रकाश सूर्य उगवून दररोज नव्याने कोणताही थांबा न घेता, न थकता पाडायचाय प्रकाश मलाही स्वकर्तुत्वाने अन् उजळवून टाकायचीय दुनिया माझी नव्याच ऊर्जेने... करायचीत काबीज, शिखरे नवी खुणावणारी अन् पोहचायचंय त्या खुणावणाऱ्या क्षितिजापलीकडेही मग पहायचंय रोखून नजर जगाकडे अन् अनुभवायचीय ती सुंदरता नव्याने जगण्यासाठी... असेल माझेही एक विश्व त्यात असेन राजा मीच माझ्या स्वप्नांचा वाटेल हेवा जगालाही माझा अन् घुमेल नाद आसमंतात माझ्या किमयेचा... ✍ - अरुण शि. चिंचणगी. आयुष्याच्या संघर्षरुपी वाटेवर स्वतःला सिद्ध करू पाहणाऱ्या प्रत्येक वाटसरूस कविता समर्पित...! #भरारी... #my_inspirational_poem..
आवारा अभिषेक
तेरी याद आती है हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है हर एक खाली पड़े आलिन्द तेरी याद आती है सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है हेलो, हे, हाय! सुन के तो नहीं आती मगर हमसे कोई कहता है जब “जय हिंद” तेरी याद आती है कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूंदे जब कोई गाता हो गायत्री तो तेरी याद आती है सुझाये माँ जो मुहूर्त तो तेरी याद आती है हँसे जब बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है कहीं डॉलर के पीछे छिप गए भारत के नोटों पर दिखे गाँधी की जो सूरत तो तेरी याद आती है अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है कहीं रहमान की जय हो को सुन कर गर्व के आंसू करें आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है #NojotoQuote झाँसी
Pratibha Ahire
घेऊदे त्याला पण उंच भरारी....तेव्हाच येईल पंखात बल...मिलुदे स्वच्छंद आकाश...त्यांचे ज्ञान, कौष्याल्य आणि कलागुणांना वाव मिळू देत..त्याची पण वेगळी ओळख निर्माण होऊ दे..दुसऱ्यांना आनंद देण्यासाठी झटणाऱ्या ला पण कधी तरी आनंद मिळू दे.. ©Pratibha Ahire घेऊदे उंच भरारी ...
writer shashi dwivedi
वीरांगना एक थी वीरांगना नारी वो थी झाँसी वाली रानी झाँसी की थी वह शान। वह थी बड़ी महान गोरो को मार भगाई देश को आजाद कराई ।। एक थी वीरांगना नारी वो थी झाँसी वाली रानी मनु था उसका नाम । बरछी ,ढाल ,कटार से खेलना था उसका काम गोरो से न झुकी कभी न झाँसी को झुकने दिया देश के खातिर खुद को कर दिया कुर्बान ।। एक थी वीरांगना नारी वो थी झाँसी वाली रानी -Shashi Dwivedi झाँसी वाली रानी
ऋ shi
तेरे माँ अनेको नाम भये कोई रानी कोई मनु कोई मणिकर्णिका बोला, चमक रही थी जो तलबारें उससे ब्रिटिश का सिंघासन डोला खून बहा जब रण खेतों मे आग लगी हर जन के मन मे क्रांति कि लौ बिराट भई ज्वाला सी बनी हर उस तन मे कर गई अपना बलिदान बेदिका मे देकर झाँसी का नाम सुनहरे पन्नो मे आपका छोटा सा गुणगान किया माँ समर्पित करते आपके चरणों मे 🙏✍️ऋ shi झाँसी की रानी